चीन-म्यांमा संबंध भारत के लिए चुनौती पूर्ण

चीन-म्यांमा संबंध भारत के लिए चुनौती पूर्ण

मुख्य परीक्षा : सामान्य अध्ययन 2

(अंतरराष्ट्रीय संबंध)

संदर्भ:

  • हाल ही के दिनों में चीन औरम्यांमा के मध्य बढ़ते आर्थिक संबंध भारत केसामरिक हितों के समक्ष अत्यधिक चुनौतीपूर्ण बन रहे हैं।
  • भारत नेपिछले कुछ वर्षों से पूर्वोत्तर राज्यों का आर्थिक विकास करने और हिंद महासागर क्षेत्र में अपने सामरिक हितों की पूर्ति के लिए म्यांमा की सड़क परियोजनाओं में बहुत मदद की है। मगर अब म्यांमा की सैन्य सरकार का रुख भारत के हितों की रक्षा के अनुकूल नहीं दिखाई पड़ रहा है। आर्थिक सहयोग के साथ चीन से म्यांमा का बढ़ता रक्षा सहयोग भारत की सामरिक चुनौती बढ़ाने वाला है।
  • म्यांमा के कोको द्वीप में असामान्य सैन्य गतिविधियों से चीन और भारतीय नौसेना के हितों के साथ टकराव होने की संभावना बढ़ गई है।

चीन द्वारा निर्माणाधीन परियोजनाएं :

  • वर्तमान में चीन, भारत केपड़ोसी देशों बांग्लादेश, श्रीलंका, मालद्वीप, पाकिस्तान और म्यांमा के बंदरगाहों में निवेश कर रहा है।
  • चीनहिंद महासागर क्षेत्र में समुद्री ऊर्जा के रास्तों पर नियंत्रण करने और दक्षिण एशियाई देशों में बंदरगाहों को विकसित करने पर विशेष ध्यान केंद्रित किया है।
  • चीन की नौसेनाउन समुद्री ठिकानों पर अन्य देशों के नौसैनिकों को प्रशिक्षण दे रही है, जहां चीन की नौसेना ने हाल ही में अड्डे बनाए हैं।
  • चीन दक्षिण पूर्व एशिया, मध्य एशिया, खाड़ी देश, अफ्रीका और यूरोप के देशों को सड़क और समुद्री रास्ते से जोड़ने के उद्देश्य से वन बेल्ट रोड परियोजनानिर्माणाधीन है।
  • भौगोलिक, आर्थिक और सामरिक दृष्टि से यहपरियोजना चीन औरम्यांमाके लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण है।
  • वर्ष2019 से 2030 तक आर्थिक सहयोग के तहत चीन और म्यामां देशों की सरकारों नेआधारभूत संरचना, उत्पादन, कृषि, यातायात, वित्त, मानव संसाधन विकास, शोध, तकनीक और दूरसंचार जैसे क्षेत्रों में कई परियोजनाओं के निर्माण हेतु सहमति व्यक्त की है। इसके तहत चीन के युन्नान प्रांत की राजधानी कुनमिंग से म्यांमार के दो मुख्य आर्थिक केंद्रों को जोड़ने के लिए लगभग सत्रह सौ किलोमीटर लंबा कारिडोर बनाया जाना है।

म्यामां की भौगोलिक स्थिति से भारत के सामरिक हित:

  • म्यांमा भौगोलिक रूप से दक्षिण एशिया और दक्षिण पूर्व एशिया के बीच स्थित है। यह चारों ओर से जमीन से घिरे चीन के युन्नान प्रांत और हिंद महासागर के अवस्थित है।
  • म्यांमा का कोको द्वीप बंगाल की खाड़ी में स्थित कुछ छोटे द्वीपों का समूह है। भारत के सामरिक, आर्थिक, रणनीतिक और व्यापक राजनीतिक हित द्वीपों की सुरक्षा से जुड़े हैं और इसमें अंडमान और निकोबार द्वीप समूह को बेहद खास माना जाता है।
  • अंडमान के प्राकृतिक बंदरगाह जहाजों और पनडुब्बियों के अनुकूल माने जाते हैं। अंडमान निकोबार की सामरिक स्थिति का महत्वपहली बार 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के समय दिखा था, जब भारतीय नौसेना ने इसका इस्तेमाल तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तान के जहाजों और नौसैनिक ठिकानों को ध्वस्त करने में किया था।
  • अंडमान निकोबार द्वीप समूह पर एकीकृत कमान के तहत भारत की तीनों सेनाओं के साझा अड्डे हैं।
  • पिछले कुछ वर्षों में भारत ने अंडमान और निकोबार में कई सैन्य अभ्यास किए हैं। इस वर्ष अंडमान और निकोबार कमांड ने थल सेना, नौसेना, वायु सेना और तटरक्षक बलों की संपदाओं को शामिल करते हुए बड़े स्तर पर एक संयुक्त सैन्य अभ्यास ‘एक्स कवच’ का आयोजन किया।
  • इस अभ्यास का उद्देश्य संयुक्त युद्ध क्षमताओं और मानक संचालन प्रक्रियाओं को ठीक करना और सेनाओं के बीच अंतर परिचालन और संचालन तालमेल को बढ़ाना था।
  • 2020 में जब गलवान घाटी में चीन और भारत के बीच सैन्य तनाव चरम पर था, तब भारतीय नौसेना ने अमेरिकी नौसेना के समूह के साथ मिलकर अंडमान निकोबार द्वीप समूह के पास सैन्य अभ्यास किया था। इसमें युद्धपोतों के एक बेड़े ने यूएसएस निमित्ज की अगुआई में अभ्यास किया था। यह दुनिया के सबसे बड़े युद्धपोतों में से एक है। यह युद्धपोत परमाणु क्षमता से लैस है।

 

भारत के सामरिक हितों पर प्रभाव :

  • भारत दक्षिण पूर्वी देशों के साथ आर्थिक और कारोबारी सहयोग बढ़ाना चाहता है, तो उसका रास्ता म्यांमा से होकर ही जाता है। मगर भारत की ‘लुक ईस्ट’ या ‘एक्ट ईस्ट’ की नीतियों के बावजूद म्यांमा में चीन का प्रभाव लगातार बढ़ा है।
  • चीन अल्पविकसित और गरीब देशों को आर्थिक फायदों के सपने दिखाकर उनके संसाधनों पर कब्जा कर लेता है और इससे सामरिक समस्या भी बढ़ जाती है।
  • म्यांमामें भारतीय नौसेना और वायुसेना के अड्डों को और मजबूत बनाया गया है। म्यांमा,भारत की सुरक्षा चिंताओं से भली भांति वाकिफ है, लेकिन इसके बाद भी कोको द्वीप में उसकी बढ़ती गतिविधियां भारत के लिए समुद्री सुरक्षा को लेकर आशंकित करने वाली है।
  • ऐसा माना जा रहा है कि चीन द्वारा म्यांमा के कोको द्वीप पर इलेक्ट्रानिक जासूसी की क्षमताएं मजबूत की जा रही हैं।
  • चीनपिछले कुछ वर्षों में म्यांमा की सैन्य सत्ता को हथियार, जासूसी विमान और समुद्री सुरक्षा समेत अन्य मदद दे रहा है। लगभगढाई दशक से म्यांमा की इरावदी नदी पर चीन की सेनाओं का बड़ा अड्डा मौजूद है।
  • अंतरराष्ट्रीय स्तर पर म्यांमा के अलग-थलग पड़ने के कारण चीन के साथ म्यांमा के बड़े मजबूत संबंध हैं। म्यांमा के ग्रेट कोको द्वीप के सबसे दक्षिणी सिरे पर चीन द्वारा एक अतिरिक्त हवाई पट्टी का निर्माण किया जा रहा है, इसके साथ ही विमानों के खड़े होने के लिए ‘हैंगर’ जैसी नई सुविधाएं तैयार की जा रही हैं।
  • चीनहिंद महासागर मेंएक बड़ा लाभ अर्जित करने के लिए कोको द्वीप पर रडार स्टेशन और ऊंची इमारतों का निर्माण कर रहा है। चीन इसकी मदद से अंडमान और निकोबार द्वीप समूह से हो रहे संचार की निगरानी कर सकेगा।
  • इसके अलावा वह भारतीय सेना की निगरानी वाली उड़ानों और नौसेना के तैनाती के चलन का भी पता लगा सकेगा।
  • कोको द्वीप में उच्च स्तर के इलेक्ट्रानिक जासूसी उपकरण स्थापित करने से अंडमान निकोबार द्वीप समूह पर स्थित भारत की तीनों सेनाओं के अड्डे के लिए चुनौतियां पैदा होंगी।
  • चीन म्यांमा में एक सैन्य सरकार चाहता है, जिससे वह अपने आर्थिक और सामरिक हितों को बिना किसी दबाव के पूरा कर सके।

निष्कर्ष:

  • म्यांमा आसियान का एकमात्र सदस्य देश है, जिससे भारत की समुद्री और भू-भागीय सीमाएं मिलती हैं। भारत की ‘लुक ईस्ट’ नीति से म्यांमा का महत्त्व ज्यादा बढ़ गया है।
  • भारत के लिए म्यांमा की अस्थिरता बहुत चुनौतीपूर्ण है। भारत और म्यांमा के बीच लगभगसोलह सौ चालीस किलोमीटर की सीमा है जिसमेंमें पूर्वोत्तर का बड़ा क्षेत्र आता है। इस सीमा पर ऐसे कई कबाइली समूह हैं, जो अलगाववादी हैं और वे पूर्वोत्तर में सुरक्षा संकट बढ़ाते रहते हैं। इनमें से कुछ गुटों को चीन का समर्थन भी हासिल है।
  • म्यांमा की भौगोलिक स्थिति भारत की सुरक्षा की दृष्टि से महत्वपूर्ण है। भारत 1992 से अपनी ‘पूर्व की ओर देखो’ नीति के अनुसार मणिपुर-म्यांमा-थाईलैंड राजमार्ग का निर्माण करने को कृतसंकल्पित है। दोनों देशों के बीच सोलह किलोमीटर के क्षेत्र में मुक्त आवागमन का प्रावधान है, सरहदी हाट खुलने से व्यापार-व्यवसाय में तेजी आने की उम्मीद बढ़ी है।
  • यही नहीं, दोनों देशों के साझा सैन्य अभियानों से पूर्वोत्तर के चीन-पाक-बांग्लादेश समर्थित आतंकवाद पर गहरी चोट होती रही है। भारतीय सेना द्वारा 1995 का ‘गोल्डन बर्ड आपरेशन’ के कारण आतंकवादियों का सफाया हो या 2015 में म्यांमा की सीमा में घुसकर आतंकियों को मार गिराने की सफलता, म्यांमा-भारत के आपसी सहयोग की यह मिसाल है।
  • भारत के मिजोरम तथा म्यांमा के सितवे बंदरगाह को जोड़ने के लिए कलादान मल्टीमाडल पारगमन परियोजना को विकसित किया जा रहा है।

स्रोत- जनसत्ता

                             --------------------------------------------------------

मुख्य परीक्षा प्रश्न

वर्तमानमें चीन म्यांमा के कोको द्वीप पर आर्थिक परियोजनाओं के द्वारा भारत के सामरिक हितों को प्रभावित कर रहा है। विवेचना कीजिए।