“डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना (DPI)” रिपोर्ट

“डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना (DPI)” रिपोर्ट

जीएस-2: ई-गवर्नेंस

(यूपीएससी/राज्य पीएससी)

प्रारंभिक परीक्षा के लिए महत्वपूर्ण:

DPI रिपोर्ट, डिजिटल सार्वजनिक ढांचा, NASSCOM, इंडिया स्टैक, एप्लिकेशन प्रोग्रामिंग इंटरफ़ेस, डिजिटल इंडिया।

मुख्य परीक्षा के लिए महत्वपूर्ण:

डिजिटल सार्वजनिक ढांचा (DPI) के बारे में, DPI रिपोर्ट, सिफारिशें, महत्व/उपलब्धियाँ, DPI को अपनाने में चुनौतियाँ, हेतु आगे की राह, निष्कर्ष।

27/02/2024

ख़बरों में क्यों:

हाल ही में, डिजिटल सार्वजनिक ढांचे (DPI) से मिलने वाले राजस्व पर सॉफ्टवेयर कंपनियों के निकाय NASSCOM और प्रबंधन परामर्श कंपनी आर्थर डी लिटिल ने DPI ऑफ इंडिया- एक्सेलरेटिंग इंडियाज़ डिजिटल इंक्लूजन” शीर्षक से एक रिपोर्ट जारी की है।

प्रमुख बिंदु:

  • वर्ष 2022 में DPI से मिलने वाले राजस्व ने देश की GDP में 0.9% (कुल 31.8 अरब डालर) का योगदान दिया है।
  • NASSCOM के अनुमान के मुताबिक़, वर्ष 2030 तक DPI का GDP में योगदान 2.9 -4.2% तक हो जाएगा।
  • DPI, भारत को वर्ष 2030 तक 1 ट्रिलियन डॉलर की डिजिटल अर्थव्यवस्था की ओर ले जाएगा।
  • रिपोर्ट के अनुसार, वर्तमान में 30 से अधिक देश सामाजिक और वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देने के लिए अपने देशों में UPI और आधार जैसे भारत के DPI को या तो अपना रहे हैं या लागू करने की योजना बना रहे हैं।

DPI की क्षमता बढानें हेतु सिफारिशें:

  • डिजिटल तंत्र को एकीकृत करने के लिए नवीन तकनीकों का इस्तेमाल किया जाना चाहिए।
  • मौजूदा डिजिटल तंत्र के उपयोग के बारे में जागरुकता बढ़ानी चाहिए।
  • निजी क्षेत्र के साथ साझेदारी के माध्यम से नवाचार को बढ़ावा देना चाहिए।
  • मौजूदा DPI का लाभ उठाने के लिए उत्पादों और सेवाओं का निर्माण करना चाहिए; आदि।

डिजिटल सार्वजनिक ढांचा (DPI) के बारे में:

  • यह डिजिटल प्लेटफार्मों और प्रौद्योगिकियों का एक संग्रह है; जैसे- आधार, डिजिटल लॉकर, डिजीयात्रा, UPI आदि।
  • इन प्रौद्योगिकियों को सरकारों, नियामकों, निजी क्षेत्र, स्वयंसेवकों सहित विभिन्न संस्थाओं के बीच सहयोग के माध्यम से विकसित किया गया है।

डिजिटल सार्वजनिक ढांचे का उद्देश्य:

  • डिजिटलीकरण की सेवाओं को व्यापक तौर पर बढ़ावा देना
  • देश के लोगों की सामाजिक सेवाओं तक पहुँच सुनिश्चित करना
  • सुरक्षित तरीके से लोगों के लिए आर्थिक अवसर उपलब्ध कराना

महत्व/उपलब्धियाँ:

ई गवर्नेंस और पारदर्शिता:

  • बेहतर सेवा वितरण: डीपीआई सरकारी सेवाओं को सुव्यवस्थित करते हैं, मैन्युअल प्रक्रियाओं और भ्रष्टाचार को कम करते हैं, जिससे अधिक दक्षता और पारदर्शिता आती है।
  • नागरिक केंद्रित: डीपीआई भागीदारी और जवाबदेही को बढ़ावा देकर, सरकारी सेवाओं, सूचनाओं और अवसरों तक बेहतर पहुंच के साथ नागरिकों को सशक्त बनाते हैं।
  • भ्रष्टाचार में कमी: ऑनलाइन सेवाओं और डिजिटल लेनदेन के माध्यम से पारदर्शिता भ्रष्टाचार की गुंजाइश को कम करती है, जिससे बेहतर शासन प्रथाओं को बढ़ावा मिलता है।

आर्थिक प्रभाव:

  • वित्तीय समावेशन: आधार और यूपीआई जैसे डीपीआई ने लाखों लोगों को औपचारिक वित्तीय प्रणाली जोड़ा, जिससे क्रेडिट और वित्तीय सेवाओं तक आसान पहुंच आसान हो गई।
  • डिजिटल अर्थव्यवस्था को बढ़ावा: डीपीआई डिजिटल लेनदेन, ई-कॉमर्स और ऑनलाइन व्यवसायों का समर्थन करते हैं, आर्थिक विकास में तेजी लाते हैं और नए अवसर पैदा करते हैं।

सामाजिक प्रभाव:

  • बेहतर सार्वजनिक स्वास्थ्य: डीपीआई स्वास्थ्य देखभाल वितरण, रोग निगरानी और टेलीमेडिसिन में सहायता कर सकते हैं, जिससे दूरदराज के क्षेत्रों में गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य देखभाल तक पहुंच बढ़ सकती है।
  • आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन और राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन जैसी सरकारी पहल स्वास्थ्य देखभाल में डीपीआई का लाभ उठाती हैं।
  • शिक्षा और कौशल विकास: डीपीआई ऑनलाइन शिक्षण प्लेटफॉर्म, डिजिटल सामग्री पहुंच और कौशल विकास कार्यक्रमों की सुविधा प्रदान करते हैं, ज्ञान प्रसार को बढ़ावा देते हैं और रोजगार क्षमता में सुधार करते हैं।
  • सतत विकास लक्ष्य: डीपीआई भारत में सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) को प्राप्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।
  • राष्ट्रीय सुरक्षा: मजबूत डीपीआई राष्ट्रीय सुरक्षा बनाए रखने में सहायता करते हुए ई-निगरानी और खुफिया जानकारी एकत्र करने में सहायता कर सकते हैं।
  • आपदा प्रबंधन: डीपीआई प्राकृतिक आपदाओं के दौरान प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली, संसाधन आवंटन और संचार की सुविधा प्रदान कर सकते हैं, जिससे प्रतिक्रिया प्रभावशीलता में सुधार हो सकता है।
  • अंतर्राष्ट्रीय सहयोग: भारत के डीपीआई वैश्विक मान्यता प्राप्त कर रहे हैं, निवेश आकर्षित कर रहे हैं और तकनीकी विकास में अंतर्राष्ट्रीय साझेदारी को बढ़ावा दे रहे हैं।
  • वर्तमान में, भूटान, फ्रांस, यूएई, सिंगापुर और श्रीलंका ने अपने डिजिटल सिस्टम में UPI को शामिल किया है।

DPI को अपनाने में चुनौतियाँ:

  • डिजिटल विभाजन: इंटरनेट तक असमान पहुंच और डिजिटल साक्षरता व्यापक रूप से अपनाने में बाधा डालती है।
  • डेटा गोपनीयता और सुरक्षा: डेटा के दुरुपयोग और उल्लंघनों के बारे में चिंताओं के लिए मजबूत सुरक्षा उपायों की आवश्यकता है।
  • मानकीकरण और अंतरसंचालनीयता: विभिन्न डीपीआई घटकों को एक साथ निर्बाध रूप से काम करना सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है।
  • क्षमता निर्माण: डीपीआई का प्रभावी ढंग से लाभ उठाने के लिए सरकारी अधिकारियों और नागरिकों का कौशल बढ़ाना आवश्यक है।

इंडिया स्टैक के बारे में:

  • यह API (एप्लिकेशन प्रोग्रामिंग इंटरफ़ेस) का एक सेट है।
  • यह विभिन्न क्षेत्रों में विभिन्न प्रकार की डिजिटल सेवाओं को प्रदान करने हेतु एक सुदृढ़ डिजिटल बुनियादी संरचना का निर्माण करती है।
  • यह सरकारों, व्यवसायों, स्टार्टअप और डेवलपर्स को रिमोटली,ऑटोमेटिकली, पेपरलेस और कैशलेस सेवा वितरण को सक्षम बनाने के लिए आवश्यक डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर प्रदान कराता है।

आगे की राह:

  • समावेशन पर ध्यान: पीएम ग्रामीण डिजिटल साक्षरता मिशन जैसी पहलों के माध्यम से डिजिटल विभाजन को समाप्त करने की आवश्यकता है।
  • गोपनीयता और सुरक्षा: डेटा सुरक्षा ढांचे को मजबूत करना और जिम्मेदार डेटा प्रशासन सुनिश्चित करना।
  • जैसा कि पुट्टास्वामी फैसले, 2027 में रेखांकित किया गया है, प्राथमिकता के आधार पर डेटा संरक्षण अधिनियम का अधिनियमन और कार्यान्वयन आवश्यक है।
  • मौजूदा डीपीआई को मजबूत करना: अपनाने को बढ़ाना और उनके उपयोग में नवाचार को बढ़ावा देना।
  • नया डीपीआई विकसित करना: सार्वजनिक स्वास्थ्य, शिक्षा और कृषि जैसे क्षेत्रों की खोज करना।

निष्कर्ष:

डीपीआई में भारत के डिजिटल परिदृश्य को बदलने और नागरिकों को सशक्त बनाने की अपार संभावनाएं हैं। यह सुनिश्चित करने के लिए कि डीपीआई प्रासंगिक और प्रभावी बने रहें, निरंतर मूल्यांकन और अनुकूलन आवश्यक है।

मौजूदा चुनौतियों से निपटना और समावेशी विकास पर ध्यान केंद्रित करना उनकी पूरी क्षमता को उजागर करने की कुंजी है।

स्रोत: द हिंदू

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मुख्य परीक्षा प्रश्न:

डिजिटल सार्वजनिक ढांचा क्या है? डिजिटल सार्वजनिक ढांचे से संबंधित चुनौतियों के निपटान हेतु आगे की राह सुझाएँ।