'ग्रीन इस्लाम' आंदोलन

'ग्रीन इस्लाम' आंदोलन

GS-3: पर्यावरण संरक्षण

(IAS/UPPCS)

प्रीलिम्स के लिए प्रासंगिक:

'ग्रीन इस्लाम' आंदोलन, विश्नोई आंदोलन, चिपको आन्दोलन, अप्पिको आंदोलन, साइलेंट घाटी आंदोलन, जंगल बचाओ आंदोलन, नर्मदा बचाओ आंदोलन, टिहरी बांध विरोधी आंदोलन।

मेंस के लिए प्रासंगिक:

क्या है 'ग्रीन इस्लाम' आंदोलन, आंदोलन शुरू करने के कारण, भारत में पर्यावरण संरक्षण से संबंधित आंदोलनों का संक्षिप्त परिचय, निष्कर्ष।

22/04/2024

स्रोत: NBT

न्यूज़ में क्यों:

हाल ही के दिनों में, विश्‍व के सबसे बड़े मुस्लिम देश इंडोनेशिया ने 'ग्रीन इस्लाम' आंदोलन शुरू किया है।

  • इंडोनेशिया कोपेनहेगन और पेरिस समझौते के तहत अपने उत्सर्जन को कम करने के लिए प्रतिबद्ध है।

क्या है 'ग्रीन इस्लाम' आंदोलन:

  • ग्रीन इस्लाम: यह आंदोलन पर्यावरण संरक्षण से संबंधित है। दुनिया में सबसे बड़ी मुस्लिम आबादी वाले देश इंडोनेशिया में यह इस्लाम आंदोलन तेजी से प्रसारित हो रहा है।
  • उद्देश्य: यह आंदोलन इंडोनेशिया की राजधानी जकार्ता में लोगों में पर्यावरण प्रति जागरुकता पैदा करने और धरती को संरक्षित करने के उद्देश्य से शुरू किया गया है। 
  • नेतृत्व: इस आंदोलन का नेतृत्व, इस्तिकलाल मस्जिद के ग्रैंड इमाम नसरुद्दीन उमर के शीर्ष नेतृत्व में इस देश की बड़ी मस्जिदों के उलेमा कर रहे हैं।

इस आंदोलन का संदेश:

  • यह द्वीपीय देश खुद में मौसम की घटनाओं में बड़े बदलाव से प्रभावित हो रहा है। पर्यावरण चुनौतियों का सामना कर रहे 27 करोड़ से अधिक आबादी वाले इंडोनेशिया में कुछ लोग धर्म की तरफ एक विशेष उम्मीद से देखते हैं। दुनिया में सबसे बड़ी मुस्लिम आबादी वाले देश में एक ऐसे इस्लाम की मांग बढ़ रही है, जो पर्यावरण के प्रति जागरूक है। इसे 'ग्रीन इस्लाम' कहा जा रहा है।
  • इस आंदोलन के धार्मिक उपदेशों का प्रमुख विषय पर्यावरण है।

उलेमाओं के अनुसार-

  • "मनुष्य के रूप में हमारी सबसे खतरनाक कमी ये है कि हम पृथ्वी को महज एक वस्तु मानते हैं। हम प्रकृति के प्रति जितने लालची होंगे, कयामत का दिन उतनी ही जल्दी जाएगा।"
  • दुनिया में फैली एक चौथाई मुसलमानों की आबादी को पर्यावरण के लिए सबसे महत्वपूर्ण मानते हैं।
  • वे कहते हैं कि रमजान में जैसे मुसलमान रोजा रखते हैं, वैसे ही उन्हें धरती की रक्षा को भी अपना फर्ज बनाना चाहिए। रोजाना नमाज की तरह पेड़ लगाना भी आदत होनी चाहिए।
  • उनका कहना है कि वह केवल पैगंबर मुहम्मद के निर्देशों का पालन कर रहे हैं कि मुसलमानों को प्रकृति की परवाह करनी चाहिए।

आंदोलन शुरू करने के कारण:

  • इंडोनेशिया अपनी भौगोलिक और प्राकृतिक विविधता के कारण, इंडोनेशिया जलवायु परिवर्तन के प्रभावों के प्रति सबसे अधिक संवेदनशील देशों में से एक है।
  • वनों की कटाई की उच्च दर और कोयला बिजली पर निर्भरता के कारण ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में सबसे अधिक योगदान देने वाले देशों में इसका प्रमुख योगदान है ।
  • 17,000 से अधिक द्वीपों से बना और एक लंबी तटरेखा के साथ, इंडोनेशिया समुद्र के बढ़ते स्तर और बाढ़, सूखे और तूफान जैसी चरम मौसम की घटनाओं के प्रभावों के प्रति विशेष रूप से संवेदनशील है।
  • जलवायु परिवर्तन का प्रभाव: जलवायु परिवर्तन से इंडोनेशियाई द्वीप समूह के चारों ओर समुद्री जल स्तर में वृद्धि होने से इसके कई द्वीपों के डूबने की आशंका है।
  • ग्लोबल वार्मिग: इंडोनेशिया सबसे बड़ी मुस्लिम आबादी वाला देश होने के साथ ही दुनिया में कोयले और पॉम आयल का सबसे बड़ा निर्यातक भी है। कोयले और पॉम आयल का उत्पादन इस देश में कार्बन उत्सर्जन में बढ़ोत्तरी की है इससे यहाँ जलवायु परिवर्तन का संकट बढ़ा है।
  • तटीय बाढ़ का ख़तरा: इंडोनेशिया के अधिकतर द्वीप के तटीय क्षेत्रों को बाढ़ से खतरा है।
  • तटीय जैव विविधता का विनाश: समुद्रीय जल स्तर में बढ़ोत्तरी से आर्द्रभूमि और जैव विविधता आवास के विनाश का कारण बन सकता है।
  • खतरनाक तूफानों में वृद्धि: समुद्र का ऊँचा स्तर अधिक खतरनाक तूफानों का कारण बन रहा है जिससे जान-माल का नुकसान हो रहा है।
  • बुनियादी ढाँचे पर प्रभाव: उच्च तटीय जल स्तर की संभावना से इंटरनेट की पहुँच जैसी बुनियादी सेवाओं को खतरा है।
  • अंतर्देशीय जीवन के लिए खतरा: बढ़ता समुद्र जल स्तर नमक के साथ मिट्टी और भूजल को दूषित कर सकता है।
  • पर्यटन को खतरा: तटीय क्षेत्रों में पर्यटन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ने से रोजगार में कमी और देश की अर्थ व्यवस्था में गिरावट देखी जा रही है।

भारत में पर्यावरण संरक्षण से संबंधित आंदोलनों का संक्षिप्त परिचय:

विश्नोई आंदोलन:

  • यह प्रकृति पूजकों का अहिंसात्मक आन्दोलन है जो वनों की कटाई के खिलाफ 1700 ईस्वी के आसपास ऋषि सोमजी द्वारा शुरू किया गया था।  बाद में इसका नेतृत्व अमृता देवी द्वारा किया गया।
  • श्रीगुरु जम्भेश्वर को बिश्नोई पंथ का संस्थापक माना जाता हैं जिन्हें जम्भोज़ी के नाम से भी जाना जाता हैं। इस सम्प्रदाय के संस्थापक ने अपने अनुयायियों के लिए 29 नियम दिये गये थे।
  • 'बिश्नोई' दो शब्दों से मिलकर बना हुआ है: बीस + नो अर्थात जो उनतीस नियमों का पालन करता है। इन्हीं 29 नियमों अर्थात बीस और नौ के कारण ही इस सम्प्रदाय का नाम विश्नोई पडा।
  • प्रभावित राज्य: राजस्थान, हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश और मध्यप्रदेश।

चिपको आन्दोलन:

  • यह एक पर्यावरण-रक्षा का आन्दोलन था जो भारत के उत्तराखण्ड में  (पूर्ववर्ती उत्तर प्रदेश) में किसानो ने वृक्षों की कटाई का विरोध में शुरू किया गया था।  सुंदरलाल बहुगुणा और चंडी प्रसाद भट्ट इस आंदोलन के नेता थे। इस आंदोलन में महिलाओं ने भी भागीदारी निभाई थी।

अप्पिको आंदोलन:

  • यह आंदोलन भी चिपको आंदोलन की तरह पर्यावरण संरक्षण के लिये चलाया गया एक क्रांतिकारी आन्दोलन था। यह आंदोलन अगस्त, 1983 में कर्नाटक के उत्तर कन्नड़ क्षेत्र में शुरू हुआ था। यह आन्दोलन वनों की सुरक्षा के लिए कर्नाटक में पांडूरंग हेगडे (Panduranga Hegde) के नेतृत्व में शुरू हुआ था।

साइलेंट घाटी आंदोलन:

  • 89 वर्ग किलामीटर क्षेत्र में विस्तारित, केरल की शांत घाटी अपनी घनी जैव-विविधता के लिए मशहूर है। 1980 में यहाँ कुंतीपूंझ नदी पर एक परियोजना के अंतर्गत 200 मेगावाट बिजली निर्माण हेतु बांध के प्रस्ताव के विरोध में वैज्ञानिकों, पर्यावरण कार्यकर्ताओं तथा क्षेत्रीय लोगों ने यह आन्दोलन शुरू किया था।
  • इनका मानना था कि इससे इस क्षेत्र के कई विशेष फूलों, पौधों तथा लुप्त होने वाली प्रजातियों को खतरा है। इसके अलावा यह पश्चिमी घाट की कई सदियों पुरानी संतुलित पारिस्थिति की को भारी हानि पहुँचा सकता है। दबाव में, सरकार को 1985 में इसे राष्ट्रीय आरक्षित वन घोषित करना पड़ा।

जंगल बचाओ आंदोलन:

  • इस आंदोलन की शुरुआत 1980 में बिहार से हुई थी। बाद में यह आंदोलन झारखंड और उड़ीसा तक फैल गया। 1980 में सरकार ने बिहार के जंगलों को मूल्यवान सागौन के पेड़ों के जंगल में बदलने की योजना पेश की, और इसी योजना के विरुद्ध बिहार के सभी आदिवासी कबीले एकजुट हुए और उन्होंने अपने जंगलो को बचाने के लिए एक आन्दोलन चलाया। इसे 'जंगल बचाओ आंदोलन' का नाम दिया गया था। कई पर्यावरणविद इस आंदोलन को "राजनैतिक लालच का खेल और लोकलुभावनवाद" कहते हैं।

नर्मदा बचाओ आंदोलन:

  • यह आंदोलन भारत में चल रहे पर्यावरण आंदोलनों में राष्ट्रीय स्तर का आंदोलन था।
  • नर्मदा नदी पर सरदार सरोवर बांध परियोजना का उद्घाटन 1961 में पंडित जवाहर लाल नेहरू ने किया था। लेकिन तीन राज्यों-गुजरात, मध्य प्रदेश तथा राजस्थान के मध्य एक उपयुक्त जल वितरण नीति पर कोई सहमति नहीं बन पायी। 1969 में, सरकार ने नर्मदा जल विवाद न्यायधिकरण का गठन किया ताकि जल संबंधी विवाद का हल करके परियोजना का कार्य शुरु किया जा सके।
  • पर्यावरणविदों और स्थानीय लोगों ने 1985 से हाइड्रो-बिजली के उत्पादन के लिए नर्मदा पर बांधों के निर्माण के खिलाफ विरोध शुरू कर दिया था, जिसे नर्मदा बचाओ अनंदोलन के नाम से जाना जाता था। मेधा पाटकर इस अनंदोलन की नेता रही हैं, जिन्हें अरुंधति रॉय, बाबा आमटे और आमिर खान का समर्थन मिला।

टिहरी बांध विरोधी आंदोलन:

  • टिहरी बांध परियोजना के विरोध में यह आंदोलन सुंदरलाल बहुगुणा तथा अन्य  पर्यावरणविदों द्वारा शुरू किया गया था।
  • टिहरी बांध उत्तराखंड के गढ़वाल क्षेत्र में भागीरथी और भिलंगना नदी पर बनने वाला ऐशिया का सबसे बड़ा तथा विश्व का पांचवा सर्वाधिक ऊँचा (अनुमानित ऊँचाई 260.5 मी०) बांध है।
  • इसके निर्माण की स्वीकृति 1972 में योजना आयोग ने दी थी।

निष्कर्ष:

ग्रीन इस्लाम आंदोलन जलवायु परिवर्तन संकट से निपटने और पर्यावरण संरक्षण के प्रति लोगों में जागरूकता फैलाने के लिए इंडोनेशिया में शुरू किया गया एक महत्वपूर्ण आंदोलन है। इस आंदोलन का प्रभाव दुनिया के कई कार्बन उत्सर्जकों देशों पर पड़ रहा है। पर्यावरण संरक्षण एवं संवर्धन में भारत में अनेक जन आंदोलन प्रमुख भूमिका निभाते रहे हैं।

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मुख्य परीक्षा प्रश्न

'ग्रीन इस्लाम' आंदोलन क्या है? पर्यावरण संरक्षण एवं संवर्धन हेतु भारत में शुरू किए गए प्रमुख आंदोलनों पर संक्षिप्त टिप्पणी कीजिए