हरित अर्थव्यवस्था: समृद्धि की दिशा में प्रयास

हरित अर्थव्यवस्था: समृद्धि की दिशा में प्रयास

मुख्य परीक्षा:सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3

(भारतीय अर्थव्यवस्था)

18 अगस्त, 2023

भूमिका:

  • वर्तमान में जलवायु संकट का असर संपूर्ण अर्थव्यवस्था पर पड़ रहा है। लेकिन हरित अर्थव्यवस्था के बढ़ते चलन से रोजगार और परंपरागत आजीविकाएं नई शक्ल ले रही हैं। हरित तकनीक के कारण उत्पादन और वितरण की पूरी प्रणाली बदल रही है।
  • आधुनिक युग में, हम सभी देखते हैं कि अर्थव्यवस्थाओं की महत्वपूर्ण भूमिका है जो समृद्धि और विकास की मात्रा को निर्धारित करती हैं। हमारे समाज में हरित अर्थव्यवस्था का मतलब है सामाजिक, आर्थिक, और पर्यावरणीय सुधारों के साथ मिलकर एक संतुलित और विकसित अर्थतंत्र की स्थापना करना।

भारत में हरित अर्थव्यवस्था की स्थिति:

  • अंकटाड की तकनीक एवं नवाचार रिपोर्ट-2023 के अनुसार, हरित अर्थव्यवस्था में भारत 43वें स्थान पर है। 166 देशों की सूची में अमेरिका पहले, जर्मनी सातवें और चीन नौवें पायदान पर है।
  • अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन यानी आइएलओ ने हर उस रोजगार को हरित श्रेणी में परिभाषित किया है, जो कार्बन उत्सर्जन को कम करने वाली आर्थिक गतिविधि से संबद्ध है। यह कृषि, उद्योग, सेवा और प्रशासनिक गतिविधियों में सबसे अधिक है। अभी दुनिया भर में साढ़े सात करोड़ रोजगार सिर्फ प्रकृति आधारित गतिविधियों पर केंद्रित हैं।
  • आइएलओ का अनुमान है कि 2030 तक दो करोड़ अतिरिक्त रोजगार प्रकृति आधारित उद्यमों से सृजित होंगे।
  • देश में पिछले वित्तीय वर्ष में एक लाख चौंसठ हजार लोग सौर और पवन ऊर्जा क्षेत्र में कार्यरत थे।
  • अंतरराष्ट्रीय अक्षय ऊर्जा एजंसी (आइआरईएनए) और आइएलओ की संयुक्त रपट के अनुसार, 2020-21 में भारत में कुल 8 लाख 63 हजार हरित रोजगार पैदा हुए। वर्तमान में देश के कुल कार्यबल का बीस फीसद हरित रोजगार से संबद्ध है।
  • ‘स्किल काउंसिल फार ग्रीन जाब’ का अनुमान है कि अकेले सौर ऊर्जा क्षेत्र में 2050 तक 30 लाख 26 हजार युवाओं को नौकरियां मिलेंगी।
  • आर्थिक सर्वेक्षण 2022-23 के अनुसार, इलेक्ट्रिक वाहन उद्योग में इस दशक के अंत तक पांच करोड़ प्रत्यक्ष और परोक्ष रोजगार होंगे। इसी समान अवधि में पचास लाख मीट्रिक टन सालाना ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन क्षमता हासिल करने के क्रम में छह लाख रोजगार सृजित होंगे।
  • भारत में पिछले कुछ वर्षों में रसोई से लेकर विशाल औद्योगिक इकाइयों तक हरित संसाधनों की मौजूदगी बढ़ी है। आवासीय परियोजनाओं में शीतलन और उष्मागति की जैसी ऊर्जा दक्ष पद्धतियों को अपनाया जा रहा है।
  • कौशल विकास की दिशा में ‘स्किल काउंसिल आफ ग्रीन जाब’ (एससीजीजे) ने एक लाख से अधिक लोगों को ‘सूर्यमित्र प्रशिक्षण कार्यक्रम’ से प्रशिक्षित कर एक अच्छा माडल प्रस्तुत किया है। राष्ट्रीय कौशल विकास निगम की छत्तीस अलग-अलग क्षेत्रों पर केंद्रित कौशल परिषद हरित तकनीक के प्रशिक्षण पर जितना जोर देगी, रोजगार बाजार के लिए उतना ही बेहतर होगा।
  • युवाओं के बीच हरित रोजगार के अवसर को प्रोत्साहित करने के लिए ‘ग्रीन जाब पोर्टल’ की स्थापना की जानी चाहिए।
  • हरित रोजगार को बढ़ावा देने वाली कौशल और दक्षता उन्नयन योजनाओं को समन्वित करना होगा।
  • इसके अंतर्गत प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना, दीनदयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल योजना, प्रधानमंत्री किसान ऊर्जा सुरक्षा एवं उत्थान महाभियान, मुद्रा योजना, प्रधानमंत्री वन धन योजना, प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना, प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के जरिए हरित तकनीक का प्रशिक्षण हितग्राहियों को दिया जाए।

 हरित अर्थव्यवस्था का महत्व:

  • हरित अर्थव्यवस्था का महत्व व्यापार, निवेश, और रोजगार के क्षेत्र में बदलते समय के साथ और अधिक वर्गीकृत अर्थतंत्र में बढ़ गया है। इसके साथ ही, पर्यावरणीय दुरुपयोग, जलवायु परिवर्तन और प्रदूषण जैसे मुद्दे भी हमारी अर्थव्यवस्थाओं को प्रभावित कर रहे हैं। हरित अर्थव्यवस्था के अभियानों का उद्देश्य यह है कि हम संप्रेषित प्राकृतिक संसाधनों का उचित तरीके से उपयोग करके अपने आर्थिक विकास को सुनिश्चित कर सकें, जिससे कि हम भविष्य की पीढ़ियों के लिए स्थिरता और उत्तरदायित्व संज्ञान में ला सकें।

हरित अर्थव्यवस्था के लाभ:

  • सामाजिक सुधार: हरित अर्थव्यवस्था के अभियान से गरीबी, बेरोजगारी, और असमानता जैसे समस्याओं का समाधान संभव होता है। यह समाज में सामाजिक समरसता और समानता की दिशा में कदम बढ़ाता है।
  • आर्थिक सुरक्षा: हरित अर्थव्यवस्था के अंतर्गत, विभिन्न आर्थिक क्षेत्रों में निवेश करके आर्थिक सुरक्षा प्राप्त की जा सकती है। यह समृद्धि और स्थिरता की दिशा में मदद करता है।
  • पर्यावरण संरक्षण: हरित अर्थव्यवस्था उपयोगी संसाधनों का सही तरीके से उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित करता है, जिससे पर्यावरण का संरक्षण हो सकता है।

हरित अर्थव्यवस्था की प्राप्ति के उपाय:

  • नवाचारी तकनीकों का प्रयोग: नवाचारी तकनीकों का प्रयोग उत्पादन में अधिक उत्तरदायित्व और कम प्रदूषण के साथ किया जा सकता है।
  • वैशिष्ट्यकरण और प्रोत्साहन: सरकारी और गैर-सरकारी संगठनों द्वारा वैशिष्ट्यकरण और प्रोत्साहन के योजनाओं का अधिक प्रयोग किया जा सकता है, जिससे कि नए और स्थिर उद्यमिता को प्रोत्साहित किया जा सके।
  • शिक्षा और प्रशिक्षण: शिक्षा और प्रशिक्षण के माध्यम से लोगों को अधिक उचित तरीके से उत्पादन करने का ज्ञान मिल सकता है, जिससे कि वे अपने उद्यमिता को बेहतरीन तरीके से प्रबंधित कर सकें। कार्यशील आयुवर्ग (15-59) के लोगों को हरित तकनीक और कौशल प्रशिक्षण का अवसर प्रदान कराया जाए।
  • बिजली उत्पादन से लेकर रोजमर्रा से जुड़ी सेवाएं उपलब्ध कराने में हरित तकनीक की अहम भूमिका है। जिस तरह वैश्विक अर्थतंत्र जलवायु अर्थव्यवस्था की ओर करवट ले रहा है, ऐसे समय में भारत के पास घरेलू और अंतरराष्ट्रीय दोनों ही मोर्चों पर अवसर हैं। बशर्ते, हम हरित रोजगार से जुड़ी तकनीक और कौशल हासिल कर सकें। यह हरित तकनीक में शोध और निवेश बढ़ाकर ही संभव है
  • राष्ट्रीय कौशल विकास निगम (एनएसडीसी) के अध्ययन के अनुसार, देश में पचास करोड़ लोगों को किसी न किसी एक कौशल की जरूरत है।
  • हरित रोजगार के लिए जरूरी आवश्यक कौशल उन्नयन कार्यक्रमों को राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के माध्यम से आगे बढ़ाया जाना चाहिए। अक्षय ऊर्जा, हरित परिवहन, गैस आधारित अर्थव्यस्था तथा नैनो तकनीक पर केंद्रित पाठ्यक्रमों को बढ़ावा देना होगा।
  • देश के प्रतिष्ठित शैक्षणिक संस्थानों में इन विषयों पर डिप्लोमा से लेकर पीएचडी पाठ्यक्रम शुरू होना अच्छा संकेत है, लेकिन इन पाठ्यक्रमों में औद्योगिक तथा अकादमिक (इंडस्ट्री-एकेडमिया) समन्वय अब भी कमजोर है। यह तय करना होगा कि ये पाठ्यक्रम सिर्फ महानगरों में स्थित शैक्षणिक संस्थानों तक सीमित न रहें। ध्यान रहे, कौशल विकास और दक्षता संवर्धन के प्राथमिक लाभार्थियों में नियोक्ता प्रमुख होते हैं।

निष्कर्ष:

  • हरित अर्थव्यवस्था एक सुसंगत, समृद्ध, और सामाजिक रूप से न्यायपूर्ण अर्थतंत्र की दिशा में प्रयास करता है। यह सभी क्षेत्रों में सुधार कर सामाजिक और आर्थिक सुरक्षा प्रदान करने का माध्यम बन सकता है, जिससे कि हम आने वाली पीढ़ियों को एक बेहतर भविष्य दे सकें।

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मुख्य परीक्षा प्रश्न

हरित अर्थव्यवस्था के सन्दर्भ में भारतीय अर्थव्यवस्था की स्थिति को स्पष्ट कीजिए