
हीट वेव (लू)
हीट वेव
(लू)
मुख्य परीक्षा सामान्य अध्ययन 1
(हीट वेव, चक्रवात, भूकंप, सुनामी, ज्वालामुखीआदि से संबंधित महत्वपूर्ण भूभौतिकीय घटनाएं)
संदर्भ:
- हाल ही में, भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने चेतावनी दी थी कि उत्तर-पश्चिम, पश्चिम और मध्य भारत में अधिकतम तापमान दीर्घकालिक औसत से 3-5 डिग्री सेल्सियस अधिक रहेगा।
- 21 फरवरी,2023 को, राष्ट्रीय राजधानी में पांच दशकों से अधिक समय में तीसरा सबसे गर्म फरवरी दिन (33.6 डिग्री सेल्सियस) दर्ज किया गया।
हीटवेव क्या है:
- आईएमडी के अनुसार, हीट वेव की स्थिति में किसी क्षेत्र का तापमान उसके औसत तापमान से कम से कम 4.5-6.4 डिग्री सेंटीग्रेड बढ़ जाता है।
- जब मैदानी क्षेत्रों का तापमान 45 डिग्री सेल्सियस, तटीय और पहाड़ी क्षेत्रों का तापमान 37 डिग्री सेल्सियस को पार कर जाता है, तब यह स्थिति हीट वेव कहलाती है।
भारत में हीट वेव उत्पन्न होने के मुख्य कारण:
- पिछले कुछ वर्षों में हीट वेव का संभवत: सबसे अधिक असर भारतीय महाद्वीप में देखा गया है। वर्ष 2022 में हीट वेव का असर बहुत जल्दी से दिखने लगा था।
- वर्ष 2022 में ला निनो द्वारा उत्पन्न उत्तर-दक्षिण दबाव कारण हीट वेव का फैलाव दक्षिण भारत में भी देखा गया था।
- ला निनो विश्व को प्रभावित करने वाली एक मौसमी परिघटना है जिसमें एक ठंडी हवाओं का समूह मध्य प्रशांत महासागर के पूरब-पश्चिम दिशा में प्रवाहित होता है।
- पिछले तीन वर्षों में उत्तर भारत में इन ला निनो के कारण एल निनो का असर महसूस किया गया है।
- एल निनो एक ऐसी मौसमी परिघटना है जिसमें गर्म हवाएं मध्य प्रशांत महासागर के पश्चिम-पूरब दिशा में प्रवाहित होती हैं।
- उत्तर भारत में हीट वेव के उत्पन्न होने में एल निओ की मुख्य भूमिका रहती है।
- शहरी क्षेत्रों में पक्की और कंक्रीट की सड़कों का बढ़ा हुआ प्रभाव।
- वनावरण और वृक्षों के आवरण की कमी होना।
- अर्बन हीट आइलैंड प्रभाव वातावरण के तापमान को सामान्य से 3 से 4 डिग्री अधिक महसूस करा सकते हैं।
- अधिक गर्मी की लहरों की उम्मीद थी क्योंकि पिछले 100 वर्षों में वैश्विक तापमान में औसतन 0.8 डिग्री की वृद्धि हुई थी। रात का तापमान भी बढ़ रहा है।
- जलवायु परिवर्तन के कारण उच्च दैनिक तापमान और लंबे समय तक, अधिक तीव्र गर्मी की लहरें विश्व स्तर पर तेजी से बढ़ रही हैं।
- मध्यम-उच्च ताप तरंग क्षेत्रों में अल्ट्रा वायलट किरणों की उच्च तीव्रता।
- असाधारण गर्मी के तनाव और मुख्य रूप से ग्रामीण आबादी का संयोजन भारत को गर्मी की लहरों के प्रति संवेदनशील बनाता है।
भारत में हीट वेव के प्रभाव
- हीट वेव की लगातार घटनाएं अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों पर प्रतिकूल प्रभाव डालती हैं।
- गरीब और सीमांत किसानों की आजीविका नकारात्मक रूप से प्रभावित होती है।
- फसल की पैदावार कम हो हो जाती है। पिछले वर्ष हरियाणा, पंजाब और उत्तर प्रदेश में ग्रीष्म लहरों के कारण गेहूं के उत्पादन में 6-7% कमी दर्ज की गयी। पशु धन और दूध उत्पादकता कम हो जाती है।
- बिजली की मांग बढ़ जाती है।
- अधिक हीट वेव के असर से से मधुमेह, परिसंचरण एवं श्वसन संबंधी रोगों में भी वृद्धि हो जाती है।
- देश में खाद्य असुरक्षा बढ़ जाती है।
- गर्मी के कारण श्रम उत्पादकता में कमी आने से खाद्य उत्पादन अप्रत्याशित कमी आ जाती है।
- हीट वेव का असर से विशेष रूप से उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों खाद्य कीमतों में वृद्धि बढ़ेगी।
- आगामी वर्षों में घरेलू आय कम हो जाएगी और कुपोषण एवं जलवायु संबंधी मौतों में बढ़ोत्तरी होगी।
- वर्ष 2030 में कृषि और निर्माण जैसे क्षेत्रों में कार्यरत श्रमिक वर्ग हीट वेव से गंभीर रूप से प्रभावित होंगे क्योंकि भारत की एक बड़ी आबादी अपनी आजीविका के लिये इन क्षेत्रों पर निर्भर है।
हीट वेव से निपटने के उपाय:
- मौसम संबंधी डेटा की उचित ट्रैकिंग के माध्यम से हीट हॉट-स्पॉट की पहचान करना और रणनीतिक अंतर-एजेंसी समन्वय के साथ स्थानीय हीट एक्शन प्लान के समय पर विकास और कार्यान्वयन को बढ़ावा देना।
- जलवायु परिस्थितियों के संबंध में श्रमिकों की सुरक्षा के लिए मौजूदा व्यावसायिक स्वास्थ्य मानकों, श्रम कानूनों और क्षेत्रीय विनियमों की समीक्षा करना।
- स्वास्थ्य, जल और बिजली तीनों क्षेत्रों में नीतिगत हस्तक्षेप और समन्वय करने की आवश्यकता है।
- पारंपरिक अनुकूलन प्रथाओं को बढ़ावा देना, जैसे घर के अंदर रहना और आरामदायक कपड़े पहनना।
- सरल डिजाइन सुविधाओं जैसे कि छायांकित खिड़कियां, भूमिगत जल भंडारण टैंक और इन्सुलेटिंग हाउसिंग सामग्री को उपयोग हेतु प्रोत्साहित करना।
- स्थानीय हीट एक्शन प्लान का अग्रिम कार्यान्वयन, साथ ही प्रभावी अंतर-एजेंसी समन्वय एक महत्वपूर्ण प्रतिक्रिया है जिसे सरकार कमजोर समूहों की सुरक्षा के लिए तैनात कर सकती है।
- हमें पूर्वानुमान चेतावनियों में और सुधार करना चाहिए, उन्हें जल्द से जल्द जारी करना चाहिए, और कमजोर लोगों की सुरक्षा के लिए उन्हें शहर-व्यापी श्रेणीबद्ध ताप कार्य योजनाओं के साथ जोड़ना चाहिए
- समावेशी विकास और पारिस्थितिक संवहनीयता के लिये राष्ट्रीय जलवायु परिवर्तन कार्य योजना को पूरी निष्ठा से लागू किया जाना चाहिए।
- प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक एवं सोशल मीडिया के माध्यम से लोगों को जागरूक किया जाना चाहिए।
- हीट वेव प्रसार के दौरान सरकार द्वारा ‘हीट-प्रूफ’ से जुड़ी सुविधाओं को तैयार करने हेतु निजी क्षेत्रों को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।
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मुख्य परीक्षा प्रश्न: हीट वेव क्या हैं? भारत में हीट वेव के उत्पन्न होने के कारणों को समझाइए।
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