ईएसजी नियमन बनाम टिकाऊ विकास

ईएसजी नियमन बनाम टिकाऊ विकास

मुख्य परीक्षा:सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3

(पर्यावरण संरक्षण हेतु ईएसजी नियमन)

03 अगस्त, 2023

चर्चा में:

  • इन दिनों कारपोरेट जगत से लेकर जी-20 के आयोजनों में ESG यानी पर्यावरण, सामाजिक और प्रशासनिक नियमन चर्चा में है।
  • प्रतिवर्ष जलवायु सम्मेलन से लेकर शून्य कार्बन उत्सर्जन के हर विमर्श में ईएसजी नियमों पर जरूर चर्चा होती है।

ईएसजी नियमन क्या है:

  • ईएसजी लक्ष्य किसी कंपनी के संचालन के लिए मानकों का एक सेट है जो कंपनियों को बेहतर प्रशासन, नैतिक प्रथाओं, पर्यावरण-अनुकूल उपायों और सामाजिक जिम्मेदारी का पालन करने के लिए मजबूर करता है।
  • पर्यावरणीय मानदंड इस बात पर विचार करते हैं कि कोई कंपनी प्रकृति के प्रबंधक के रूप में कैसा प्रदर्शन करती है।
  • सामाजिक मानदंड यह जांचते हैं कि यह कर्मचारियों, आपूर्तिकर्ताओं, ग्राहकों और उन समुदायों के साथ संबंधों का प्रबंधन कैसे करता है जहां यह संचालित होता है।
  • शासन कंपनी के नेतृत्व, कार्यकारी वेतन, ऑडिट, आंतरिक नियंत्रण और शेयरधारक अधिकारों से संबंधित है।

ईएसजी की नीतिगत पहल:

  • वर्तमान में दुनियाभर की सरकारें ईएसजी को लेकर नीतियां और कानूनी ढांचा बना रही हैं।
  • जलवायु संकट से निजात दिलाने में ईएसजी की नीतिगत पहल को कारगर उपाय माना जा रहा है।
  • देश में व्यावसायिक उत्तरदायित्व और वहनीयता घोषणा (BRSR) के रूप में इसे क्रियान्वित किया जा रहा है।
  • पिछले वित्तवर्ष में भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (SEBI) एक हजार सूचीबद्ध कंपनियों के लिए बीआरएसआर अनिवार्य कर चुकी है।

ईएसजी की नीतिगत पहल से निम्नांकित आवश्यक जानकारी को प्राप्त किया जा सकेगा:

  • ईएसजी की घोषणाओं से पता चलेगा कि कंपनी ने पर्यावरण, समाज और प्रशासन की कसौटी पर क्या किया।
  • पर्यावरण के मोर्चे पर कंपनियां बताएंगी कि उनकी आर्थिक गतिविधियां कितनी हरित हैं।
  • बिजली खपत में नवीकरणीय ऊर्जा की भागीदारी का स्तर क्या है।
  • ऊर्जा दक्षता के लिए कौन से उपाय किए जा रहे हैं।
  • जल संरक्षण, ठोस तथा तरल अपशिष्ट के प्रबंधन समेत चक्रीय अर्थव्यवस्था के लिए कंपनी द्वारा कौन से कदम उठाए गए।
  • क्या कंपनी ई-कचरे के पुनर्चक्रण को बढ़ावा देती है। पर्यावरण संरक्षण से जुड़े ऐसे अनेक सवालों के जवाब बीआरएसआर के अंतर्गत कंपनी को देना होगा।

ईएसजी की नीतिगत पहल से संबंधित सामाजिक दावे:

  • ईएसजी की दूसरी कसौटी सामाजिक दावों से जुड़ी है। इसमें कंपनियां कार्यबल में लैंगिक समानता की जानकारी देंगी।
  • बाल श्रम उन्मूलन, दिव्यांगजनों और मातृत्व अवकाश के क्रियान्वयन का स्तर भी कंपनियां लोगों के सामने रखेंगी।
  • इसका उद्देश्य कंपनियों के कार्यबल में महिलाओं और दिव्यांगजनों की भागीदारी बढ़ाना है। इसके साथ ही सरकार सार्वजनिक एवं निजी क्षेत्र में भाषायी और भौगोलिक विविधता को भी मजबूत करना है।

ईएसजी में आंतरिक प्रशासन से संबंधित दावे:

  • ईएसजी के अंतिम मानक में आंतरिक प्रशासन के मुद्दे पर कंपनी द्वारा भ्रष्टाचार और अवैध गतिविधियों पर रोक लगाने के उपाय बताए जाएंगे।
  • कंपनी के कामकाज में डिजिटिल अवसंरचना की भागीदारी का स्तर क्या है, ऐसी कई अपेक्षित जानकारियां आम आदमी के लिए निकायों द्वारा उपलब्ध कराई जाएंगी।

भारत में ईएसजी रेटिंग प्रदाता फर्म की मांग बढ़ी:

विश्लेषण:

  • भारत में बीआरएसआर अस्तित्व में आने के साथ ईएसजी रेटिंग प्रदाता फर्म की मांग बढ़ी है। हाल ही में सेबी ने साख निर्धारण एजंसियां (संशोधन) विनियम-2023 प्रस्तुत किया है। इसके जरिए किसी भी कंपनी को ईएसजी रेटिंग प्रदान करने के लिए बुनियादी अवसंरचना विकसित किया गया है। हालांकि सवाल है कि पर्यावरण, समाज और प्रशासन के मुद्दे पर कंपनियों द्वारा पेश किए जाने वाले दावे और उन्हें मिलने वाली रेटिंग कितनी भरोसेमंद होंगी।
  • दरअसल, पिछले कुछ समय में पर्यावरण से जुड़े झूठे दावे दुनियाभर की सरकारों के लिए परेशानी का सबब बन गए हैं। पौधरोपण में पौधे लगाने और उनकी देखभाल से अधिक फोटो खिंचवाने पर अधिक जोर रहता है। पड़ोस की किराना दुकान हो या शापिंग माल हर जगह सब्जी, दाल, चावल, आटा, टूथपेस्ट सब कुछ हरित बताया जाता है। निजी सौंदर्य प्रसाधन से लेकर विमानन कंपनियों के बीच खुद को पर्यावरण हितैषी बताने की जैसे होड़ मची है। सवाल है कि हमारे सामने पेश किए जाने वाले इन पर्यावरण हितैषी दावों की हकीकत क्या है? ये सवाल धरती को संवारने से जुड़े ईमानदार प्रयासों को प्रोत्साहित करने के लिए भी जरूरी हैं।
  • पर्यावरण से जुड़ी झूठी घोषणाओं पर ‘न्यू क्लाइमेट इंस्टीट्यूट’ और ‘कार्बन मार्केट वाच’ ने एक रिपोर्ट पेश की है। इसमें विश्व की चौबीस शीर्ष कंपनियों के उत्पाद और सेवाओं से जुड़े पर्यावरण अनुकूल दावों की जांच की गई है। रपट कहती है कि पंद्रह कंपनियों ने अपने उत्पाद और सेवाओं को लेकर झूठे और भ्रामक दावे किए। उन्होंने अपनी कारोबारी गतिविधियों को पर्यावरण अनुकूल बताने के लिए जो प्रचार किया, वह सच्चाई से काफी दूर था। बारह कंपनियों ने ‘डिकार्बनाइजेशन’ को लेकर झूठे दावे किए, जबकि चौबीस में तेरह कंपनियों के पास जैव ईंधन को लेकर कोई ठोस योजना नहीं है। सिर्फ चौदह कंपनियों ने बिजली की खपत से होने वाले उत्सर्जन को कम करने की रणनीति अपनाई। जाहिर है, ईएसजी के नियमन को पारदर्शी बनाकर ही इसे प्रभावी बनाया जा सकता है।
  • ऐसे में बाजार नियामक के सामने सबसे बड़ी चुनौती यह है कि ईएसजी रेटिंग प्रदान करने वाली कंपनियां आंकड़ों में हेरफेर न कर सकें। कंपनियों द्वारा पर्यावरण संरक्षण से जुड़े झूठे दावों पर संयुक्त राष्ट्र भी चिंता जता चुका है।
  • इकोनामिक सर्वे 2023 के मुताबिक ईएसजी घोषणाओं से निवेशकों के सामने अनिश्चितता का वातावरण खत्म होता है। हालांकि यह तभी संभव है जो ईएसजी पहल सीएसआर की तरह औपचारिकता या रस्मअदायगी न समझी जाए। देश में सीएसआर फंड में हेराफेरी का खेल नया नहीं है। यहां तक की केंद्र सरकार की संबंधित एजंसियों ने पिछले कुछ सालों में गैर-सरकारी संगठनों और कार्पोरेट जगत के इस अवैध गठबंधन पर चोट करने की कोशिश की है

ईएसजी पहल का महत्व:

  • ईएसजी की नीतिगत पहल राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान के लक्ष्य को हासिल करने में मददगार होंगे। इससे पर्यावरण अनुकूल उत्पाद और सेवाओं को बढ़ावा मिलेगा।
  • ईएसजी रेटिंग के आधार पर ही कंपनियां हरित परियोजनाओं में निवेश के लिए प्रोत्साहित होंगी।
  • इससे कारोबारी गतिविधियां पर्यावरण अनुकूल बनेंगी।
  • भारत जैसे देश में यह सामाजिक सशक्तीकरण के नजरिए से भी अच्छी पहल साबित हो सकती है।
  • ईएसजी रेटिंग से कंपनियों को दीर्घकालिक निवेश की रणनीति बनाने में मदद मिलेगी।
  • इससे संयुक्त राष्ट्र द्वारा तय सत्रह सतत विकास लक्ष्य के हम करीब पहुंचेंगे। निवेश के सामने पैदा होने वाले जोखिम कम हों तो उत्पादन और वितरण की पूरी शृंखला टिकाऊ बनती है।

आगे की राह:

  • ईएसजी नियमन को मोटे तौर पर पहले से क्रियान्वित सामाजिक उत्तरदायित्व कार्यक्रम (सीएसआर) जैसा माना जा रहा है। दोनों का स्वरूप भले ही पृथक हो, लेकिन यह एक दूसरे के पूरक बनें, जिससे सही अर्थों में व्यापार सुगमता की राह भी आसान हो। विशेषज्ञों का सुझाव है कि ईएसजी रेटिंग कंपनियों के वित्तीय प्रदर्शन से संबद्ध हो।
  • कुछ समय पहले देश के सबसे बड़े औद्योगिक घराने ने 2030 तक अपनी कारोबारी गतिविधियों को शून्य कार्बन उत्सर्जक बनाने का लक्ष्य तय किया। सार्वजनिक एवं निजी क्षेत्र की अन्य कंपनियां भी ऐसे लक्ष्य तय करें।
  • कुछ दिनों पहले पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने ग्रीन क्रेडिट कार्यक्रम शुरू किया है। इसके अंतर्गत कोई भी व्यक्ति और संस्थान ग्रीन क्रेडिट अर्जित कर सकेगा। हरित साख का आदान-प्रदान भी संभव होगा। इसे चरणबद्ध तरीके से क्षेत्रानुसार क्रियान्वित किया जाना है। इसमें वृक्षारोपण, जल संरक्षण व संचयन, प्राकृतिक कृषि, मृदा संरक्षण, अपशिष्ट प्रबंधन, वायु प्रदूषण, सतत भवन व बुनियादी ढांचा और मैंग्रोव संरक्षण प्रमुख हैं। जरूरत है कि पर्यावरण, सामाजिक और प्रशासनिक (ईएसजी) विनियमन के साथ मिलती-जुलती अन्य पहलों को एकीकृत किया जाए।
  • व्यक्ति और कंपनियां भी पर्यावरण और सामाजिक सशक्तीकरण से जुड़ी इस पहल को दीर्घकालिक लाभ के नजरिए से देखें। अंतत: इसका लाभ धरती के स्वास्थ्य के साथ उत्पादन और वितरण की पूरी शृंखला को होगा।

निष्कर्ष:

  • ईएसजी पहल से कंपनियों को दीर्घकालिक लाभ होता है। हालांकि किसी भी हरित पहल से शुरुआत में लागत भी बढ़ती है। ऐसे में ईएसजी की बेहतर रेटिंग पर कंपनियों को कर में छूट या हरित प्रोत्साहन दिया जाना चाहिए। ईएसजी से जुड़े कौशल की कमी पर उद्योग जगत की चिंता लाजमी है। भारतीय प्रबंधन संस्थान अहमदाबाद ने ईएसजी पर नया पाठ्यक्रम शुरू किया है। विश्वविद्यालय स्तर पर जल्द ऐसे पाठ्यक्रम शुरू किए जाने की आवश्यकता है। पर्याणवरण, सामाजिक कार्य और वित्त से जुड़े पाठ्यक्रमों से भी ईएसजी विनियमन की बुनियादी जानकारी दी जानी चाहिए। इससे रोजगार के नए मौके और जागरुकता दोनों में वृद्धि होगी।

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मुख्य परीक्षा प्रश्न

ईएसजी नियमन क्या है? ईएसजी नियमन से जुड़े प्रमुख दावों की विवेचना कीजिए।