इंटरनेशनल बिग कैट एलायंस

इंटरनेशनल बिग कैट एलायंस

मुख्य परीक्षा: सामान्य अध्ययन-3

( जैव विविधता संरक्षण)

खबरों में क्यों?

  • हाल ही में,भारत सरकारने 100 मिलियन डॉलरके निवेश के साथ बड़ी बिल्लियों के लिए वैश्विक गठबंधन शुरू करने का प्रस्ताव रखाहै।

प्रमुख बिंदु:

  • भारत ने आईबीसीएका समर्थन करने के लिए 5 वर्षों में 100 मिलियन अमरीकी डालर का वित्त पोषण प्रदान करने के लिए प्रतिबद्धता व्यक्त की  है। पांच साल के बाद, यह गठबंधन सदस्यता शुल्क और अन्य संगठनों के पैसे से समर्थित होगा।
  • यहगठबंधनसात बड़ी बिल्लियों - बाघ, शेर, तेंदुआ, हिम तेंदुआ, प्यूमा, जगुआर और चीता के संरक्षण की दिशा में काम करेगा।
  • आईबीसीएइन जानवरों की रक्षा में रुचि रखने वाले 97 देशों और संगठनों के लिए खुला रहेगा, जिसमें इन बड़ी बिल्लियों के प्राकृतिक आवास, साथ ही अन्य इच्छुक राष्ट्र, अंतर्राष्ट्रीय संगठन आदि शामिल हैं।

आईबीसीए की गतिविधियां और शासन:

  • आईबीसीएवकालत, साझेदारी, ज्ञान ई-पोर्टल, क्षमता निर्माण, पर्यावरण-पर्यटन, विशेषज्ञ समूहों के बीच साझेदारी और वित्त दोहन में संलग्न होगा।
  • यहगठबंधन बेंचमार्क प्रथाओं, क्षमता निर्माण, संसाधन भंडार, अनुसंधान और विकास, और जागरूकता निर्माण पर सूचना का प्रसार करेगा।
  • इसकी शासन संरचना में सभी सदस्य देशों की एक महासभा होगी, जिसमेंकम से कम सात सदस्यीय परिषद शामिल होगी।
  • यह 5 साल की अवधि के लिए महासभा द्वारा चुने गए 15 से कम सदस्य देशों और एक सचिवालय तक सीमित होगा।

आईबीसीएप्रस्ताव की आलोचना:

  • आलोचकों का माननाहै कि भारत 22 लुप्तप्राय प्रजातियों के लिए 100 मिलियनडॉलरखर्च नहीं कर सकता है, और न ही बड़ी बिल्लियों की रक्षा के लिए राजनीतिक इच्छाशक्ति के बिना एक और मंच बनाने से संरक्षण में मदद कोईमिलेगी।
  • बड़ी बिल्ली जीवविज्ञानियों ने आशंका जताई है कि अपर्याप्त धन के कारण कई प्रमुख संरक्षण योजनाएं और प्रजातियों की बहाली के कार्यक्रम पहले से ही सुस्त पड़ हुएहैं।
  • आईबीसीएमें ऐसी सीमाओं को दूर करने के लिए आवश्यक राजनीतिक इच्छाशक्ति का अभाव है।
  • पहले पांच वर्षों के बाद, आईबीसीएसे सदस्यता शुल्क, द्विपक्षीय और बहुपक्षीय संस्थानों तथानिजी क्षेत्र से योगदान के माध्यम से खुद को बनाए रखने की उम्मीद है।

इस गठबंधन का महत्व:

  • जैवविविधताकासंरक्षण:बड़ी बिल्लियाँ शीर्ष परभक्षी होतीहैं जोशाकाहारी जीवों की आबादी को तोनियंत्रित करती हैं, साथ ही ये अतिवृष्टिकोरोकनेऔरपारिस्थितिकीतंत्रकेस्वास्थ्य को बनाए रखने में भीमदद करतीहैं।
  • आर्थिक महत्व:बड़ी बिल्लियाँ, मुख्यरूप से बाघ, भारत में पर्यटकोंकोआकर्षित करतीहैं जिससेदेश मेंमहत्वपूर्ण राजस्व उत्पन्न करने के अलावा स्थानीय समुदायों और छोटे व्यवसायों को प्रोत्साहन मिलता है।
  • सांस्कृतिक महत्व: बड़ी बिल्लियाँ सदियों से भारतीय संस्कृति और पौराणिक कथाओं का हिस्सा रही हैं और इन्हेंदेश में शक्ति और सुंदरता के प्रतीक के रूप में पूजाभी जाता है।
  • पारिस्थितिकी तंत्र सेवाएं:ये बिल्लियाँ शिकार की आबादी को विनियमित करके पारिस्थितिकी तंत्र के स्वास्थ्य को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभातीहैं
  • येपारिस्थितिकी तंत्र के संतुलन को बनाए रखने में मदद करतीहैंऔर परागण, कीट नियंत्रण और पोषक चक्रण जैसी पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं के प्रावधान को सुनिश्चित करती हैं।
  • वैज्ञानिक मूल्य:बड़ी बिल्लियों का उनके प्राकृतिक आवास में अध्ययन करने से उनके व्यवहार, पारिस्थितिकी और जीव विज्ञान से संबंधित विशेषजानकारीमिलती है जिसका उपयोग प्रभावी संरक्षण रणनीतियों और प्रबंधन योजनाओं को विकसित करने के लिए किया जा सकता है।

बड़ी बिल्लियों की सुरक्षा से संबंधित चुनौतियाँ:

  • पर्यावास का नुकसान और विखंडन:मानव आबादी बढ़नेऔर बुनियादी ढांचे का विस्तार होने से बड़ी बिल्लियों के प्राकृतिक आवास तेजी से नष्ट या खंडित हो रहे हैं।
  • अवैध शिकार और अवैध व्यापार:पारंपरिक दवाओं और विलासिता के सामानों के निर्माणलिए बड़ी बिल्लियों का अवैध व्यापार उनके अस्तित्व के लिए एक महत्वपूर्ण खतरा बना हुआ है।
  • मानव-वन्यजीव संघर्ष: मानव आबादी बढ़ने से मानवऔर बड़ी बिल्लियों के बीच काफीहद तकसंघर्ष बढ़ा है। मानव-वन्यजीव संघर्ष बड़ी बिल्लियों के एक गंभीर चुनौती है।
  • जलवायु परिवर्तन:यह बड़ी बिल्लियों के प्राकृतिक आवासों में परिवर्तन का कारण बन रहा है, शिकार की उपलब्धता को प्रभावित कर रहा है, और चरम मौसम की घटनाओं की आवृत्ति और गंभीरता को बढ़ा रहा है जो पारिस्थितिकी तंत्र के नाजुक संतुलन को बाधित कर रहा है और बड़ी बिल्लियों के अस्तित्व को और अधिकखतरे में डाल रहा है।
  • राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी:भारत में राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी के कारण बड़ी बिल्लियों की रक्षा सम्बन्धीमहत्वपूर्ण संरक्षण नीतियांलागू नहीं हो पाती हैं होती है, जिससे इनकासंरक्षण और अधिक चुनौतीपूर्ण हो जाता है।

बड़ी बिल्लियों की सुरक्षा हेतु सरकार के महत्वपूर्ण प्रयास:

  • प्रोजेक्ट टाइगर:
  • यह बाघ संरक्षण के लिए भारत सरकार का प्रमुख कार्यक्रम है जो वर्ष1973 में शुरू किया गया था।
  • इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य बाघों और उनके आवासों की रक्षा के लिए संरक्षित क्षेत्रों का निर्माण करना, कानून प्रवर्तन में सुधार करनाऔर स्थानीय समुदायों को बाघसंरक्षण के प्रयासों में शामिल करना।
  • राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण:
  • यह प्रोजेक्ट टाइगर और अन्य संरक्षण कार्यक्रमों के प्रभावी कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने के लिए 2005 में स्थापित एक वैधानिक निकाय है।
  • यह बाघ अभयारण्यों के प्रबंधन की देखरेख करता है, तकनीकी सहायता प्रदान करता हैऔर अन्य सरकारी एजेंसियों और हितधारकों के साथ समन्वय करता है।
  • वन्यजीव संरक्षण अधिनियम:
  • यह 1972 में बनाया गया एक राष्ट्रीय कानून है, जो वन्यजीवोंकेअवैध शिकार और उनके व्यापार पर रोक लगाकर भारत में वन्यजीवों की रक्षा करता है।
  • यहकानून राष्ट्रीय उद्यानों, वन्यजीव अभयारण्यों और बायोस्फीयर रिजर्व सहित संरक्षित क्षेत्रों की स्थापना के लिए भी प्रावधान करता है।
  • राष्ट्रीय वन्यजीव कार्य योजना:
  • यह भारत में वन्यजीव संरक्षण के लिए एक व्यापक योजना है जो वन्यजीवों और उनके आवासों की सुरक्षा और प्रबंधन के लिए रणनीतियों और कार्यों की रूपरेखा तैयार करती है।
  • इस कार्ययोजना में बाघों की आबादी में वृद्धि करना,नए संरक्षित क्षेत्रों की स्थापना करनाआदि लक्ष्य शामिल हैं।
  • पर्यावरण-विकास कार्यक्रम:
  • इसकार्यक्रम का उद्देश्य मानव-वन्यजीव संघर्ष को कम करना और संरक्षण के प्रयासों में सामुदायिक भागीदारी को बढ़ाना है।
  • एम-स्ट्राइप्स:
  • यह बाघों की आबादी की निगरानी और प्रबंधन के लिए वन्यजीव संरक्षण ट्रस्ट द्वारा विकसित एक मोबाइल-आधारित निगरानी प्रणाली है।
  • यहप्रणालीबाघों की गतिविधियों और निवास स्थान के उपयोग पर डेटा एकत्र करने के लिए जीपीएस और मोबाइल तकनीक का उपयोग करतीहै, जिसका उपयोग संरक्षण निर्णयों को सूचित करने के लिए किया जाता है।

आगे की राह:

  • भारत में बड़ी बिल्लियों की रक्षा करना एक जटिल और चुनौतीपूर्ण कार्य है जिसके लिए राज्यसरकारों, स्थानीय समुदायों और अंतर्राष्ट्रीय संगठनों कासहयोग लिया जाना चाहिए।
  • इन बड़ी बिल्लियों के संरक्षण से जुड़ी चुनौतियों से निपटने के लिए वन्य जीवन और लोगों की जरूरतों को संतुलित करते हुए प्रभावी संरक्षण नीतियों और रणनीतियों को विकसित करने और लागू करने के लिए एक ठोस प्रयास किए जाने चाहिए।
  • संरक्षण की सुनियोजित रणनीति न केवल इनके अस्तित्व को सुनिश्चित करेगी बल्कि पारिस्थितिक तंत्र को संतुलित बनाए रखने में भी सहयोग करेगी।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

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