जल संकट

जल संकट

मुख्य परीक्षा सामान्य अध्ययन:3

(जल संरक्षणसे संबंधित मुद्दे एवं चुनौतियां)

संदर्भ:

  • जल संकट अब दुनिया के लगभग सभी देशों के साथ भारत के लिए भी एक विकट समस्या बन चुका है।
  • संयुक्त राष्ट्र के पूर्व महासचिव कोफी अन्नान के अनुसार आगामी वर्षों में पानी की कमी गंभीर संघर्ष का कारण बन सकती है। अगर पृथ्वी पर जल संकट इसी तरहगहराता रहा तो निश्चित तौर पर पानी हासिल करने के लिए विभिन्न देश आपस में टकराने लगेंगे और दो अलग-अलग देशों के बीच युद्ध की नौबत भी आ सकती है।

भूमिका:

  • एक आकलन के अनुसार, दुनियाभर में इस समय लगभगदो अरब लोग ऐसे हैं, जिन्हें स्वच्छ पेयजल उपलब्ध नहीं हो पा रहा और इसके कारण लाखों लोग बीमार होकर असमय काल का ग्रास बन जाते हैं। हालांकि पृथ्वी का लगभगतीन चौथाई भागपानी से लबालब है, लेकिन धरती पर मौजूद पानी के विशाल स्रोत में से महज एक-डेढ़ फीसदी पानी ही ऐसा है, जिसका उपयोग पेयजल या दैनिक क्रियाकलापों के लिए किया जाना संभव है।

जल संकट के परिणाम :

ग्लोबलकमीशनआनदइकोनोमिक्सआफवाटर’ (जीसीईडब्लू)रिपोर्ट :

  • दुनियाभरमेंइसदशककेअंततकताजेपानीकीआपूर्तिकीमांगचालीसफीसदतकबढ़जाएगीऔरपानीकीकमीकेसाथहीनिरंतरबढ़तीगर्मीकेकारणआगामीदोदशकोंमेंखाद्यान्न उत्पादन काफी घट जाएगा।
  • भारतको खाद्य आपूर्ति में सोलह फीसद से अधिक की कमी का सामना करना पड़ेगा, जिससे खाद्य असुरक्षित आबादी में पचास फीसद से ज्यादा की वृद्धि होगी।
  • हिमनदोंकेतेजीसेपिघलनेसेदेशमेंपानीकीभयावहस्थितिपैदा होने के अनुमान लगाए जा रहे हैं।

संयुक्त राष्ट्र की सीएसई रिपोर्ट :

  • हाल ही में संयुक्त राष्ट्र की सीएसई रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में गंगा, ब्रह्मपुत्र और सिंधु जैसी नदियां करोड़ों लोगों को पानी देती हैं, लेकिन नई वैज्ञानिक रिपोर्ट के मुताबिक भारत की दस नदियों के सूखने का खतरा पैदा हो गया है।

पानी के संबंध में न्यूयार्कमेंसम्मेलन :

  • हाल ही में न्यूयार्क में करीब पांच दशक बाद ताजे पानी के संबंध में एक सम्मेलन हुआ, जिसमें संयुक्त राष्ट्र महासचिव गुतारेस ने दुनिया और भारत में पानी की स्थिति के बारे में भयावह चित्र प्रस्तुत किया।
  • नदियों को भारत की जीवनरेखा माना जाता रहा है, लेकिन इस सम्मेलन में कहा गया कि गंगा, सिंधु और ब्रह्मपुत्र जैसी विशाल नदियों में पानी कम होता जाएगा और 2050 तक पानी की उपलब्धता जरूरत से एक तिहाई कम रह जाएगी। करीब ढ़ाई हजार किलोमीटर लंबी गंगा देश की सबसे प्रमुख नदी है, जिस पर कई राज्यों के करोड़ों लोग निर्भर करते हैं। हिमालय में 9,575 हिमनद यानी ग्लेशियर हैं और नदियों में पानी हिमनदों से आता है।
  • केवल उत्तराखंड में ही 968 हिमनद हैं, लेकिन मौसम के असाधारण परिवर्तन के कारण हिमनद तेजी से पिघलने लगे हैं। पिछले 87 वर्षों में 30 किलोमीटर लंबे गंगोत्री हिमनद का 1.75 किलोमीटर हिस्सा पिघल गया है।

इंटरनेशनल एटमिक एनर्जी एजेंसी :

  • इंटरनेशनल एटमिक एनर्जी एजेंसी के अनुसार, पृथ्वी पर उपलब्ध पानी की कुल मात्रा में से केवल3प्रतिशत पानी ही स्वच्छ बचा है और उसमें से भी लगभग2प्रतिशत पानी पहाड़ों और ध्रुवों पर बर्फ के रूप में जमा है, जबकि शेष एक प्रतिशत पानी का उपयोग ही पेयजल, सिंचाई, कृषि और उद्योगों के लिए किया जाता है। बाकी पानी खारा होने या अन्य कारणों से उपयोगी या जीवनदायी नहीं है।
  • इस समय दुनियाभर में करीब तीन बिलियन लोगों के समक्ष पानी की समस्या मुंह बाए खड़ी है और विकासशील देशों में तो यह समस्या कुछ ज्यादा ही विकराल हो रही है, जहां करीब 95 फीसदी लोग इस समस्या को झेल रहे हैं।
  • भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश के बीच पानी के मुद्दे को लेकर तनातनी चलती रही है।
  • उत्तरी अफ्रीका के कुछ देशों के बीच भी पानी की वजह से झगड़े होते रहे हैं। इजराइल और जार्डन, मिस्र और इथोपिया जैसे कुछ अन्य देशों के बीच भी पानी को लेकर काफी गर्मागर्मी देखी जाती रही है।

वर्तमान में भारत में जल उपलब्धताकी स्थिति :

  • भारत में गर्मी के मौसम की शुरुआत के साथ ही स्थिति बिगड़ने लगती है। भारत में वैश्विक जनसंख्या की लगभग 18 फीसदी आबादी निवास करतीहै, जबकि भारत को केवल चार फीसदी जल संसाधन ही उपलब्ध हैं।
  • भारतमेंजलआपूर्तिकीउपलब्धता1,100 से 1,197 बिलियन क्यूबिक मीटर (बीसीएम) के बीच है और पानी की मांग भारत में 2010 के मुकाबले 2050 तक दोगुनी होने की उम्मीद है।

जलसंरक्षणहेतु सरकार की योजनाएं:

  • जल राज्य का विषय होने के कारण, जल संसाधनों के संवर्धन एवं संरक्षण के लिए कदम मुख्य रूप से संबंधित राज्य सरकारों द्वारा उठाए जाते हैं।
  • वर्षा की उच्च कालिक एवं स्थानिक भिन्नता के कारण, देश के कई क्षेत्रों में जल की उपलब्धता राष्ट्रीय औसत से काफी कम है।

अटल भूजल योजना

  • देश के सात राज्यों की 8,220 ग्राम पंचायतों में भूजल प्रबंधन के लिए ‘अटल भूजल योजना’ चल रही है, लेकिन भूजल के गिरते स्तर के मद्देनजर इसे पूरी गंभीरता के साथ देशभर में चलाए जाने की दरकार है।

जल जीवन मिशन

  • भारतसरकार, राज्य के साथ साझेदारी में, 2024 तक देश के प्रत्येक ग्रामीण परिवार को नल से जल आपूर्ति उपलब्धकरानेके लिए जल जीवन मिशन को शुरू किया है।

अमृत 2.0 योजना

  • देशकेसभीवैधानिकशहरोंको जल की आपूर्ति सुनिश्चित कराने हेतुभारत सरकार ने 1 अक्टूबर, 2021 को अमृत योजना (AMRUT) 2.0 को लांच किया था।

पीएम कृषि सिंचाई योजना (पीएमकेएसवाई)

  • जलकाइष्टतमउपयोगसुनिश्चितकरनेकेलिए, भारत सरकार 2015-16 से प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (पीएमकेएसवाई) लागू कियाहै।

मिशन अमृत सरोवर

  • मिशनअमृतसरोवरकोराष्ट्रीयपंचायतीराजदिवसपर24 अप्रैल, 2022 को आजादी का अमृत महोत्सव के उत्सव के एक भाग के रूप में प्रारंभ किया गया था।
  • मिशनकाउद्देश्य देश के प्रत्येक जिले में 75 जल निकायों का विकास एवं कायाकल्प करना है।

निष्कर्ष:

  • बारिश की एक-एक बूंद बेशकीमती है, जिसे सहेजना बहुत जरूरी है। अगर वर्षा के पानी के संरक्षण करने पर विशेष ध्यान दिया जाए तो पानी की कमी की पूर्ति आसानी से की जा सकती है और इस तरह जल संकट से काफी हद तक निपटा जा सकता है।
  • चूँकिपानी प्रकृति की अमूल्य देन है इसलिए इसके संरक्षण हेतु हमें प्राकृतिक संसाधनों को दूषित होने से बचाना चाहिए।
  • इसके अतिरिक्त वर्षा जल का संरक्षण और पानी के अनावश्यक दोहन करने से भी बचना चाहिए।

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मुख्य परीक्षा प्रश्न:

दुनियाभर में जल संकट की स्थिति को देखते हुए जल संरक्षण हेतु भारत सरकार द्वारा शुरू की गयी राष्ट्रीय योजनाएं कहाँ तक सफल रही हैं ? विवेचना कीजिए।