जनरेशन अल्फा-सबसे प्रभावशाली पीढ़ी

जनरेशन अल्फा-सबसे प्रभावशाली पीढ़ी

GS-1: समाज

(यूपीएससी/राज्य पीएससी)

19/03/2024

सन्दर्भ:

  • आजकल के बच्चे पुरानी पीढ़ी की तुलना में अत्यधिक प्रतिभाशाली हैं। इसका अंदाजा इंडियन आइडल, सुपर डांसर, 'लिटिल चैंप्स' और 'KBC-स्टूडेंट स्पेशल' टी. वी. कार्यक्रमों और रोबोटिक्स आदि में भाग लेने वाले बच्चों की उत्कृष्ट प्रतिभा से लगाया जा सकता है। इन बच्चों की जागरूकता, बुद्धिमत्ता, आत्मविश्वास, स्पष्टवादिता और बातचीत की शैली का स्तर इन्हें पिछली जनरेशन के बच्चों से पूरी तरह से अलग करती है। मानो या न मानो, ये बच्चे जेनरेशन अल्फा से हैं। ऐसा माना जा रहा है कि जनरेशन अल्फा के बच्चे 100% डिजिटल दुनिया का नेतृत्व करेगें।
  • जेनरेशन अल्फा के बच्चे यानि अल्फ़ाज़ ने वर्तमान में पूरी दुनिया को न केवल अपने आश्चर्यजनक कार्यों से अवगत करा रहे हैं, बल्कि भविष्य के सामने चिंताओं और चुनौतियों की दीवार भी खड़ी कर रहे हैं।

जेनरेशन अल्फा के बारे में:

  • जेनरेशन अल्फा 2010 से 2024 के बीच पैदा हुए बच्चों की जनरेशन है जिसे आई जेनरेशन के नाम से भी जाना जाता है।

विशेषताएं:

  • यह 21वीं सदी में पैदा हुई पहली जनरेशन है और इसे अब तक की सबसे प्रभावशाली जनरेशन माना  जाता है।
  • इस जनरेशन को सबसे अधिक तकनीकी रूप से प्रभावित जनसांख्यिकीय अप-टू-डेट माना जाता है। अल्फ़ाज़ (जेनरेशन अल्फा में जन्मे बच्चे) जटिल विचारों को जानते और समझते हैं और ऐसे काम करने में सक्षम हैं जो उनकी उम्र से कहीं अधिक हैं।
  • बच्चों की पीढ़ियों को निम्नलिखित प्रकार से वर्गीकृत किया गया है:
  • लॉस्ट जनरेशन (जन्म 1883-1900)
  • ग्रेटेस्ट जनरेशन (जन्म 1901-1927),
  • साइलेंट पीढ़ी (जन्म 1928-1945),
  • बेबी बूमर्स (जन्म 1946-1964),
  • जनरेशन एक्स (जन्म 1965-1980),
  • जनरेशन वाई या मिलेनियल्स (जन्म 1981-1995),
  • जेनरेशन जेड (जन्म 1996-2010),
  • जेनरेशन अल्फा आई (जन्म 2010-2024) ।

जनरेशन अल्फा की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि:

  • जनरेशन अल्फा शब्द पहली बार 2008 में ऑस्ट्रेलियाई कंसल्टिंग एजेंसी 'मैकक्रिंडल रिसर्च' ने एक सर्वे में इस्तेमाल किया था।
  • इस एजेंसी के फाउंडर मार्क मैकक्रिंडल को इस शब्द को गढ़ने का श्रेय दिया जाता है।
  • एजेंसी मैकक्रिंडल रिसर्च के अनुसार, 'जनरेशन अल्फा' हरिकेन तूफान के नाम पर पड़ा था। 
  • यद्यपि जनरेशन 'Z' के बाद की जनरेशन का नाम 'A' रखने के सुझाव के बाद बहुमत के आधार पर 'जनरेशन अल्फा' रखा गया।

जनरेशन 'Z' में अंतर जनरेशन 'अल्फा':

  • जनरेशन 'Z' काफी डाइवर्स और मल्टी-कल्चरल है। जनरेशन 'Z' के लिखने, पढ़ने का तरीका काफी हद तक पारंपरिक है। ये ट्रांजिशन के फेज में आई जेनरेशन है जो तकनीक के साथ पुराने मूल्यों के साथ बड़ी हुई है।
  • जबकि जनरेशन 'अल्फा' डिजिटल लर्निंग की तरफ बढ़ रही है, जहां लिखने का कॉन्सेप्ट खत्म होता लगता है। ये जनरेशन दुनिया में कहीं भी रहे, उसकी लाइफस्टाइल में ज्यादा फर्क नहीं होगा।

'जनरेशन' के मायने:

  • 19वीं सदी से पहले 'जनरेशन' को परिवार और आस-पास के समाज तक ही सीमित करके देखा जाता था।
  • 1863 में फ्रांसीसी शब्दकोशकार (लैक्सीकोग्राफर) और दार्शनिक एमिली मैक्सीमिलियन पॉल लिटरे ने बताया कि किसी खास समय और समाज में जीवित लोगों को ‘जनरेशन’ कहा जाता है।
  • समय के साथ जनरेशन शब्द में मॉर्डनाइजेशन, इंडस्ट्रियलाइजेशन, वेस्टर्नाइजेशन और ग्लोबलाइजेशन भी शामिल हो गए हैं।

अल्फा जनरेशन के लक्षण:

  • पिछली जनरेशन विशेष रूप से Z जनरेशन के साथ कुछ लक्षण साझा करती हैं, लेकिन अल्फा जनरेशन बहुत अलग है। इसमें निम्नांकित लक्षण देखे जा सकते हैं:

हाइपरकनेक्टेड:

  • अल्फ़ा बच्चे स्थायी तौर पर तकनीकी उपकरणों से जुड़े रहते हैं और नई तकनीकों पर उनका ध्यान इस कदर है कि यह जीवन जीने का एक तरीका बन गया है।
  • जनरेशन अल्फ़ा एक रोमांचक पीढ़ी की तरह जो स्वाभाविक रूप से स्मार्टफोन और टैबलेट का उपयोग करती है। इस पीढ़ी के बच्चों का जन्म आईफ़ोन, आईपैड और ऐप्स के साथ हुआ था। अल्फ़ाज़ अपने घर में सिरी, एलेक्सा और गूगल असिस्टेंट की परिचित आवाज़ के साथ बड़े हो रहे हैं। अल्फ़ाज़ की दुनिया में, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और वॉयस असिस्टेंट के साथ बातचीत करना बिल्कुल स्वाभाविक है।

स्वतंत्रता:

  • इस जनरेशन के बच्चे अपने निर्णय लेने और अपनी डिजिटल पहचान को प्रबंधित करने में स्वतंत्र होते हैं, और वे उम्मीद करते हैं कि उनकी व्यक्तिगत जरूरतों और प्राथमिकताओं को ध्यान में रखा जाए।

अल्फा जनरेशन की समस्याएं:

  • अल्फ़ा पीढ़ी के बच्चे ऐसे समय में पैदा होते हैं जब तकनीकी उपकरण स्मार्ट हो रहे हैं, और भौतिक और डिजिटल एक साथ आ रहे हैं। जैसे-जैसे वे बड़े होंगे, नई प्रौद्योगिकियां उनके जीवन, उनके अनुभवों, उनके दृष्टिकोण और दुनिया की उनकी अपेक्षाओं का हिस्सा बन जाएंगी। कुछ न्यूरोवैज्ञानिकों और मनोवैज्ञानिकों का कहना है कि इसके कई सकारात्मक परिणाम होंगे, लेकिन कुछ नकारात्मक परिणाम भी होंगे जो जरूरी नहीं कि सभी को समान रूप से प्रभावित करें:
  • ध्यान अवधि और एकाग्रता में कमी:
  • चूंकि वे एक साथ कई स्क्रीन का उपयोग करने और सूचनाओं को तुरंत स्कैन करने के आदी होते हैं, इसलिए उनका ध्यान अवधि और एकाग्रता ख़राब हो सकती है।
  • मेल मिलाप के लिए समय का अभाव:
  • दिन का अधिकांश समय घर के अंदर ऑनलाइन अध्ययन, सीखने और गेम खेलने में व्यतीत होने से इन बच्चों की समाजीकरण की प्रक्रिया निष्प्रभावी हो सकती है मतलब इनका संबंध सामाजिक रिश्तों पर नहीं बल्कि तकनीकी पर टिका रहेगा। 
  • रचनात्मकता और कल्पना का कम विकास:
  • नई तकनीकों की बदौलत अल्फा पीढ़ी जो कौशल हासिल करेगी, उस पर सवाल उठाए बिना, इस बात पर जोर दिया जाना चाहिए कि जैसे-जैसे बच्चों के बीच पारंपरिक खेलों और खिलौनों का उपयोग कम होगा और नई तकनीक का विकास होगा,  इस जनरेशन की कल्पना क्षमता और रचनात्मकता पर नकारत्मक प्रभाव पड़ने की आशंका बनेगी।
  • प्रसन्नता प्राप्त करने की क्षमता में कमी:
    • अत्यधिक तकनीकी की संलिप्ता इस जनरेशन के बच्चों में शारीरिक अक्षमता पैदा करने के साथ साइबर अपराध के लिए प्रेरित कर सकती है।
    • जैसा कि मनोवैज्ञानिक जीन एम. ट्वेंज ने अपनी पुस्तक आईजेन में लिखा है, "स्मार्टफोन और सोशल मीडिया के उदय और आज के युवाओं में अवसाद, चिंता और अकेलेपन में वृद्धि के बीच एक संबंध है"

जनरेशन अल्फ़ा से संबंधित चिंताएं:

  • तकनीकी प्रगति में उत्कृष्ट कुछ देशों के लोग विशेषकर पश्चिमी यूरोप, अमेरिका चीन, जापान "जेन अल्फा" पीढ़ी के व्यवहार से खुश नहीं हैं और चिंतित हैं। उनका मानना है कि जेन अल्फ़ा पहली पीढ़ी है जो कम उम्र में सोशल मीडिया के संपर्क में आई है, उसका भविष्य खतरे में है।  
  • हालांकि, प्राचीन काल से प्रत्येक पीढ़ी अपनी पिछली और मौजूदा पीढ़ी की संस्कृति, आदर्शों और परंपराओं का अनुशरण करने में अग्रणी रही है खासकर भारत में।
  • यदि लोगों की यह चिंता सही साबित हुई, तो यह और प्रत्येक नई पीढ़ी मानव विकास में सबसे निचले बिंदु पर होगी।

आगे की राह:

  • लोगों का मानना है कि बुद्धि एक गुण के रूप में निश्चित होती है और इसे बदला नहीं जा सकता जबकि, मानसिक संज्ञानात्मक क्षमताएं लचीली होती हैं और उनमें परिवर्तन करके बच्चों में सुधार किया जा सकता है।
  • यह इस बात से परिलक्षित होता है कि किस तरह से बच्चों को परीक्षा में बेहतर प्रदर्शन करने के लिए प्रोत्साहित करके बेहतर ग्रेड लाने के लिए प्रेरित किया जाता है। इस धारणा पर विश्वास भारतीय बच्चों को उनकी बुद्धि को तेज करते हुए उनकी संज्ञानात्मक क्षमताओं पर लगातार काम करने में मदद करता है।
  • बच्चों को बहुभाषी बनने के लिए प्रेरित किया जाना चाहिए ताकि उनकी याददाश्त, रचनात्मकता और मानसिक क्षमता में वृद्धि हो सके।
  • जनरेशन अल्फ़ा को सभी स्तरों पर शिक्षा के प्रति परिवर्तन और एक नए दृष्टिकोण की आवश्यकता है।
  • कॉलेजों को ऐसे अध्ययन कार्यक्रम बनाकर अल्फ़ाज़ प्राप्त करने की तैयारी करनी चाहिए जिनके लिए गहन शिक्षण की आवश्यकता होती है। स्कूलों को ऐसे कार्यक्रम तैयार करना शुरू करने की ज़रूरत है जो युवा अल्फ़ाज़ के जिज्ञासु दिमाग के अनुसार अनुकूलित और जल्दी से बदलने के लिए पर्याप्त लचीले हों।
  • युवा अल्फ़ाज़ को सिखाने का सही तरीका उनकी आलोचनात्मक सोच और समस्या-समाधान कौशल विकसित करने की आवश्यकता है।
  • जेनरेशन अल्फ़ा के बच्चों के लिए समस्याओं को विभिन्न दृष्टिकोणों से देखने में सक्षम होना महत्वपूर्ण होगा।
  • टीमवर्क उन्हें विभिन्न दृष्टिकोणों के अनुसार संभावित वैकल्पिक समाधानों का विश्लेषण करने देगा और फिर अपनी व्यक्तिगत और व्यक्तिगत आलोचनात्मक सोच के आधार पर निर्णय लेने देगा।

भविष्य में जनरेशन अल्फा: 

  • पूरी दुनिया में हर हफ्ते 28 लाख से ज्यादा बच्चे जन्म ले रहे हैं।
  • अल्फा जनरेशन की सबसे ज्यादा जनसंख्या एशिया में होगी।
  • अल्फा जनरेशन के सबसे बड़े देशों में भारत चीन और इंडोनेशिया होंगे।
  • मेटावर्स गेमिंग बड़े पैमाने पर अपनी छाप छोड़ने जा रही है।
  • इस जनरेशन के 81% बच्चे पूरी दुनिया की खरीदारी में अहम भूमिका निभाएंगे।
  • जनरेशन अल्फा के 55% बच्चों का खरीदारी रुझान सोशल मीडिया इन्फ्लुएंशर और यू-ट्यूब स्टार तय कर रहे हैं।
  • रंगभेद या नस्लभेद नहीं पहचानेगी जनरेशन अल्फा।
  • 27% पेरेंट मानते हैं कि उनके बच्चे आईपैड या आईफोन को सबसे ज्यादा अहमियत देते हैं।
  • 96% का कहना है कि उनके बच्चे रंग या नस्लभेद के बारे में नहीं जानते।
  • 5 में से 4 पेरेंट का सोचना है कि अल्फा जनरेशन की सोच ग्लोबल और सुलझी होगी।
  • 95% पर्यावरण को लेकर अल्फा जनरेशन बेहद सचेत रहेगी।

जनरेशन अल्फा के बाद क्या?

  • जनरेशन अल्फा के लिए अब 2 ही साल बाकी हैं। अगली जनरेशन का नाम क्या नाम होगा, ये सवाल अभी से उठने लगा है। इसका जवाब है- 'जनरेशन बीटा' जो 2025 से 2039 तक जन्म लेने वाले बच्चों की होगी
  • 2019 में भारत, US, UK, चीन और ब्राजील में थे सबसे अधिक अल्फा जनरेशन के बच्चे।
  • जनरेशन के करीब 8000 पेरेंट पर एक सर्वे कराया गया। इसमें कई तथ्य सामने आए हैं।

निष्कर्ष:

मिलेनियल पेरेंट यानी जनरेशन ‘Z’ से पैदा हो रही अल्फा जनरेशन 21वीं सदी में सबसे पहली और अब तक की सभी जनरेशन में विशाल तो है ही, साथ ही दुनिया के हर कोने में अपनी पहुंच बनाने वाली है। अल्फा जनरेशन के भविष्य को नवोन्मुखी बनाए रखने के लिए हमें उन्हें परंपराओं और संस्कृति से जोड़े रखने की आवश्यकता है।

अल्फ़ाज़ को रचनात्मक और त्वरित विचारक होने की आवश्यकता है क्योंकि वे मानव जाति के सदस्य होंगे। यह वह पीढ़ी है जो मंगल और चंद्रमा पर निवास करेगी।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस, दैनिक भास्कर

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मुख्य परीक्षा प्रश्न:

“जनरेशन अल्फा” अब तक की सबसे प्रभावशाली पीढ़ी है। आलोचनात्मक विश्लेषण कीजिए।