कैसे बचाव करें बाढ़ आपदा से

कैसे बचाव करें बाढ़ आपदा से

मुख्य परीक्षा: सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3

(बाढ़ आपदा)

24 जुलाई, 2023

चर्चा में:

  • हालिया दिनों में भारत, चीन, अमेरिका, ब्रिटेन से लेकर स्पेन तक में भारी बारिश के कारण बाढ़ से हाल बेहाल हैं।

बाढ़ आपदा:

  • बाढ़ आपदा अपनी अधिक आवृर्ति (Frequency), व्यापकता और विनाशकारी प्रभावों के कारण, सम्भवतः विश्वभर में सबसे अधिक खतरनाक प्राकृतिक आपदाओं में से है।
  • नदी का असामान्य स्तर/उच्च स्तर जिस पर नदी अपने बैंकों (मुहानों) को ओवरफ्लो करती है और आस-पास के क्षेत्रों को जलमग्न करती हो ‘‘बाढ़’’ के रूप में परिभाषित किया जाता है। जल का अप्रत्याशित स्तर जिसमें नदी या बंधों के किनारों से ऊपर पानी निकलकर बड़े क्षेत्र को डूबा कर और अपार जन-धन की स्थिति को ही बाढ़ की विभिषिका/आपदा कहा जाता है। बाढ़ के कारण नदी के आस-पास के समतल क्षेत्र जलमग्न हो जाते हैं और खेती, पशु-धन और मकानों आदि को प्रभावित करते हैं जिससे जान-माल की क्षति होती है। वास्तव में क्षति का कारण जल स्तर में उत्तरोत्तर वृद्धि, नदी के मैदानों की भू आकृति, नदी बहाव के पूर्व पथ में शहरीकरण अथवा कृषि भूमि और आवासों का निर्माण होने की स्थिति ही बाढ़ आपदा का कारण होता है।

बाढ़ प्रभावित क्षेत्र:

  • भारत दुनिया के सबसे अधिक बाढ़ प्रभावित देशों में से एक है। बांगलादेश के बाद, भारत सबसे अधिक बाढ़ वाला क्षेत्र है, जिसमें लगभग कुल भौगोलिक क्षेत्र का 1/8वाँ भाग यानी लगभग 40 मिलियन हेक्टेयर बाढ़ प्रभावित है।
  • भारत में सबसे अधिक बाढ़ आने की संभावना जिन राज्यों में रहती है उसमें उत्तर प्रदेश, बिहार, असम, पश्चिम बंगाल, उड़ीसा एवं गुजरात प्रमुख हैं। उत्तर प्रदेश और बिहार के कुछ क्षेत्र तो लगभग प्रतिवर्ष बाढ़ की चपेट में रहते हैं।

बाढ़ आपदा का प्रभाव;

  • बाढ़ से होने वाले प्रमुख प्रभाव सीधे तौर पर लोगों की जीविका पर होते हैं। भू-कटान से कृषि योग्य भूमि नष्ट हो जाती है। अतः लोगों के विस्थापित होना पड़ता है। मानव के सामूहिक और सामुदायिक जीवन पर बाढ़ का विशेष प्रभाव पड़ता है। बाढ़ के कारण पूरे क्षेत्र की मृदा सतह की और जन-धन की क्षति तो होती है, जन पलायन भी एक बड़ी समस्या है। संपर्क व्यवस्था अस्त-व्यस्त हो जाती है। बाढ़ से आर्थिक प्रभाव, कृषि क्षेत्र में नुकसान, फसल का नुकसान, पेय जल की समस्या और स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव पड़ता है।

बाढ़ आपदा से प्रभावित वर्तमान परिदृश्य

  • भारत में हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, राजस्‍थान, पंजाब, दिल्ली समेत देश के उत्तरी राज्य खासे प्रभावित हुए हैं। हिमाचल के कई जिलों में तो एक दिन में ही एक महीने के बराबर बारिश हुई है। तेज बारिश के कारण कई जगह भूस्खलन भी हो रहा है। गंगा, रावी, चिनाब, ब्यास, सतलुज समेत कई नदियां उफान पर हैं।
  • दूसरी ओर, अमेरिका में न्यूयार्क की हडसन वैली में भी तेज बारिश के कारण बाढ़ आ गई। पेंसिल्वेनिया और दक्षिणी न्यूयार्क राज्य भी अधिक प्रभावित हुए।
  • कुछ दिनों पहले स्पेन के उत्तर-पूर्वी शहर सरागोसा में अचानक बाढ़ आ गई थी। सड़कें जलमग्न हो गई थीं और कारें खिलौनों की तरह बह रही थीं। उत्तरी ब्रिटेन के शेफील्ड शहर में भीषण गर्मी के तूफान के कारण अचानक बाढ़ आ गई।
  • बढ़ते जलवायु संकट की वजह से जर्मनी से लेकर पाकिस्तान तक, कई देश भयंकर बाढ़ का सामना कर रहे हैं।

बाढ़ आपदा से बचाव के उपाय:

  • जर्मनी के जीगन यूनिवर्सिटी में टिकाऊ भवन और डिजाइन पर काम करने वाली सिविल इंजीनियरिंग प्रोफेसर लामिया मेसारी-बेकर के अनुसार, इमारतों का निर्माण इस तरह करना चाहिए कि वह बाढ़ के पानी का सामना कर सके। भूकंप-रोधी डिजाइन की तरह यह भी अहम है।
  • इमारतों को बाढ़ से निपटने लायक बनाने के लिए नींव की गहराई, संरचनात्मक डिजाइन और निर्माण सामग्री को विशेष रूप से चुना जाता है। मजबूत बेसमेंट बनाने की सलाह दी जा रही है, ताकि उसमें पानी भर सके और लोगों को जल्दी से सुरक्षित रूप से बाहर निकलने का मौका मिल सके।
  • जानकारों की राय में सिर्फ इमारतों पर ध्यान केंद्रित करने से समस्या हल नहीं होगी। शहरों और इसके आसपास के इलाकों में जलाशयों के साथ-साथ बांधों को मजबूत बनाकर पानी को नियंत्रित करने के बारे में भी सोचने की जरूरत है, ताकि बाढ़ का पानी घरों के बेसमेंट में पहुंचने से रोका जा सके। ये बांध और जलाशय अचानक होने वाली बारिश के पानी को जमा करने में मददगार साबित होते हैं।
  • जर्मन शहर बान के दक्षिण में स्थित आहर घाटी 2021 की बाढ़ में पूरी तरह तबाह हो गया था। संकरी घाटियों की छोटी नदियों में पानी को फैलने के लिए ज्यादा जगह नहीं होने से कुछ ही घंटों की मूसलाधार बारिश से भारी बाढ़ आ गई। जानकारों के मुताबिक, ऐसी जगहों पर शहरों को पानी के बढ़ते स्तर से बचाने के लिए, नहरों और बांधों को ऊंचा करने के साथ-साथ उनके क्षेत्रफल को भी बढ़ाने की जरूरत है।
  • जर्मनी के यूनिवर्सिटी आफ डार्मश्टाट में हाइड्रोलिक इंजीनियरिंग के प्रोफेसर बोरिस लीमैन के मुताबिक, बुनियादी ढांचों की सुरक्षा करने के लिए हमारे जल प्रबंधन और हाइड्रोलिक इंजीनियरिंग प्रणाली के मौजूदा डिजाइन पर्याप्त नहीं हैं। जानकारों का कहना है कि इन हालात में सबसे बेहतर तरीका है कि प्रकृति को नियंत्रित करने की जगह जहां तक संभव हो, नदियों को प्राकृतिक स्वरूप में बहने दिया जाए। उनकी दिशा बदलने या उनके बहाव को सीधा नहीं किया जाना चाहिए। ऐसा करने से बाढ़ की स्थिति के दौरान पानी जमा हो जाता है और उसकी मात्रा बढ़ जाती है। नदियों को सीमित करने की जगह बाढ़ के मैदानों के लिए जगह बनाना चाहिए। इससे नदियों में पानी ज्यादा होने पर ये बाढ़ के मैदान जलाशय के तौर पर काम करते हैं।
  • वर्ष 2000 के दशक की शुरुआत में कई विनाशकारी बाढ़ की घटनाओं के बाद पूर्वी जर्मनी में एल्बे नदी के किनारे बाढ़ के मैदानों का विस्तार किया गया।दूसरा उपाय यह है कि शहरों को इस तरह बसाया जाए कि पानी ज्यादा से ज्यादा जगहों पर फैल सके और वह एक जगह इकट्ठा न हो। जर्मन शहर लाइषलिंगेन में एक नए माडल को प्रयोग के तौर पर आजमाया जा रहा है जिसे स्पंज सिटी के नाम से जाना जाता है।
  • विचार यह है कि छतों, चौराहों और सड़कों से बारिश के पानी को सड़क के किनारे घास से ढंकी नालियों में डाला जाए। फिर अतिरिक्त पानी को प्राकृतिक रूप से बहने दिया जाए और स्थानीय भूजल में जोड़ा जाए। इससे जल प्रबंधन के बुनियादी ढांचे पर भार कम होगा। साथ ही, अतिरिक्त पानी को इकट्ठा करने के लिए बड़े-बड़े टंकी भी बनाए जाएंगे और यहां जमा पानी का इस्तेमाल शहर में मौजूद घास के मैदानों की सिंचाई के लिए किया जाएगा।उसके मुताबिक काम करने के तरीके खोजे जाएं।

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मुख्य परीक्षा प्रश्न

बाढ़ आपदा क्या है? बाढ़ आपदा से निपटने हेतु उपाय सुझाइए।