खेलों में बढ़ता यौन उत्पीड़न

 

 खेलों में बढ़ता यौन उत्पीड़न

संदर्भ:

  • हाल ही में भारतीय कुश्ती महासंघ के प्रमुख खिलाफ भारतीय महिला पहलवानों ने यौन उत्पीड़न के गंभीर आरोप लागाए गए हैं।  
  • बीते एक दशक में भारतीय खेल प्राधिकरण (साई) की अलग-अलग इकाइयों में यौन उत्पीड़न के ऐसे अनेक मामले सामने आए हैं। इनमें छेड़छाड़ से लेकर शारीरिक शोषण जैसे मामले शामिल हैं।

यौन उत्पीड़न के मामले:

  • दुनियाभर में यौन उत्पीड़न के मामले में भारत चौथे स्थान पर है।
  • भारत में हर एक घंटे में औसतन तीन यौन उत्पीड़न की घटनाएं होती हैं।
  • प्रत्येक दिन भारत में यौन उत्पीड़न की औसतन 75 घटनाएं दर्ज होती हैं
  • वर्ष 2013 में यौन उत्पीड़न के लगभग 95,731 मामले विचाराधीन थे।
  • खेलों सहित लगभग हर क्षेत्र में महिला और पुरुषों दोनों का व्यापक स्तर पर उत्पीड़न के मामले बढ़ रहे हैं

यौन उत्पीड़न:

  • यौन उत्पीड़न का संबंध ऐसे अवांछनीय यौन व्यवहार अथवा यौन प्रकृति के मौखिक या शारीरिक आचरण से है जिसके परिणामस्वरुप किसी व्यक्ति के दैनिक कार्य में अनुचित हस्तक्षेप हो या फिर कार्यस्थल पर अपमान एवं भय महसूस हो। यौन उत्पीड़न को अक्सर मनोवैज्ञानिक बलात्कार भी माना जाता है।
  • यौन उत्पीड़न में निम्नलिखित आचरण शामिल हो सकते हैं-
  • शारीरिक संपर्क करना।   
  • यौन संबंधी मांग करना।   
  • यौन संबंधी टिप्पणी करना।   
  • अश्लील चित्र या पोर्नोग्राफी दिखाना।   
  • अवांछित रूप से शारीरिक, मौखिक एवं अमौखिक आचरण करना।   

यौन उत्पीड़न के कारण:

  • अति मरदाना संस्कृति यानी पुरुष प्रधानता।  
  • महिलाओं की पुरुषों पर आर्थिक निर्भरता।  
  • महिलाओं में नेतृत्व क्षमता की कमी।  
  • महिलाओं में शिक्षा की कमी के कारण जागरूकता का अभाव।
  • सामाजिक कुप्रथाएं- बाल विवाह, पर्दा प्रथा, विधवा पुनर्विवाह आदि।  
  • समुचित न्याय व्यवस्था की कमी।  
  • हाईप्रोफाइल लोगों के विरुद्ध कोई प्रभावी कार्यवाही न होना।  
  • प्रशासन की उदासीनता

यौन उत्पीड़न रोकने के प्रयास:

राष्ट्रीय स्तर पर-

महिलाओं से छेड़छाड़ एवं यौन उत्पीड़न रोकने हेतु कानून-

  • यौन उत्पीड़न रोकने हेतु भारत में कोई विशिष्ट कानून का प्रावधान नहीं है।  
  • भारतीय दंड संहिता की धाराएं 294, 354, 376, और 510 सार्वजनिक स्थलों पर विभिन्न प्रकार के यौन उत्पीड़न को रोकती हैं।  
  • महिलाओं का अश्लील चित्रण (प्रतिषेध) अधिनियम, 1986 में महिला उत्पीड़न के मामले में दो वर्ष तक के कारावास की सजा का प्रावधान है।   
  • वस्त्र निर्यात प्रोत्साहन बोर्ड बनाम ए.के. चोपड़ा मामले में सुप्रीम कोर्ट ने महिला उत्पीड़न को लैंगिक भेदभाव माना है।  
  • रूपन देओल बजाज बनाम कंवर पाल सिंह गिल मामले में महिला उत्पीड़न को एक बड़ा अपराध माना है।  
  • विशाखा व अन्य बनाम राजस्थान राज्य मामले में दिशा-निर्देश जारी कर महिला उत्पीड़न को विधिक रूप से मौलिक अधिकारों का उल्लंघन माना है।  
  • महिला आरोपी की दंड प्रक्रिया संहिता 1973
  • अनैतिक व्यापार निवारण अधिनियम 1956
  • कार्यस्थल पर महिलाओं के साथ यौन उत्पीड़न (रोकथाम, निषेध और निवारण) अधिनियम, 2013
  • पॉक्सो (POCSO) अधिनियम

संवैधानिक प्रावधान-

भारतीय संविधान का मूल उद्देश्य नागरिकों को सामजिक-आर्थिक न्याय दिलाना है।

  • अनुच्छेद-14 कानून के मामले में महिला और पुरुष दोनों को समान अधिकार देता है।  
  • अनुच्छेद-15 धर्म, जाति, लिंग, जन्म स्थान आदि के आधार पर भेदभाव का विरोध करता है।
  • अनुच्छेद-19(1) सभी नागरिकों को कोई भी अधिकार चुनने का अधिकार देता है।  
  • अनुच्छेद-21 जीवन जीने और स्वतंतत्रा का अधिकार देता है।    

  

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर-

  • मानवाधिकारों हेतु सार्वभौमिक घोषणा पत्र,1948यह अनुच्छेद 1, 2 और 7 के तहत महिलाओं के लिए सम्मान, अधिकार, स्वतंत्रता और समानता की बात करता है।
  • महिलाओं के खिलाफ सभी प्रकार के भेदभाव मिटाने हेतु संयुक्त राष्ट्र समझौता, 1979
  • आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक अधिकारों पर अंतरराष्ट्रीय घोषणापत्र, 1966    

 यौन उत्पीड़न बचाव हेतु सुझाव:

  • आस-पास के सुरक्षित स्थानों के बारे में जानकारी रखें।
  • मुश्किल स्थिति से निपटने हेतु विशेष कोड या संकेत का प्रयोग करें।
  • बाहरी कार्यों के निपटान हेतु अलग-अलग मार्गों का अनुशरण करें।
  • अभिवावकों को अपनी समस्त गतिविधियों के बारे में अवगत कराते रहें।
  • मित्रों के साथ बाहर जाने में सावधानी बरतें।
  • आपातकालीन और अपने सगे-संबंधियों के मोबाइल नंबरों को याद कर लें।
  • कार्यस्थलों पर यौन उत्पीड़न को रोकने हेतु एक शिकायत निवारण प्रणाली का गठन किया जाना चाहिए।
  • स्थानीय स्तर पर जन-जागरूकता कार्यक्रमों को शुरू किया जाना चाहिए।
  • इसे रोकने में परिवारों को आगे आना चाहिए।
  • समाज की मानसिकता में बदलाव लाने के लिए प्रयास किए जाने चाहिए।
  • फास्ट ट्रैक कोर्टों की स्थापना की जानी चाहिए।
  • प्रत्येक संगठन में महिला और पुरुष कर्मियों को यौन उत्पीड़न की रोकथाम हेतु जागरूकता प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए।
  • खेलों में बढ़ते यौन उत्पीड़न की रोकथाम हेतु नैतिकता संबंधी नियमों को सख्ती से पालन करवाना चाहिए।
  • वैश्विक स्तर पर स्वस्थ खेल संस्कृति की स्थापना करनी चाहिए।  

निष्कर्ष:

  • यह पूरी तरह सच है कि समाज के दृष्टिकोण को एकदम से नहीं बदला जा सकता। परंतु यह आवश्यक है कि भारतीय खेल प्राधिकरण अपने खिलाड़ियों की सुरक्षा के लिए त्वरित एवं प्रभावी रूप से कठोर कदम उठाए।
  • कोच और अधिकारियों को शक्तिशाली बनाने के बजाय एक ऐसी पारदर्शी व्यवस्था की स्थापना हो, जहां महिला खिलाड़ी अपने भविष्य के डर से, किसी भी प्रकार के शोषण का शिकार न हो।
  • देश को सम्मान दिलाने वाली महिला खिलाड़ियों के सम्मान की रक्षा करने का प्रथम दायित्व सरकार और प्रशासन का है।

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