खाद्य सुरक्षा

खाद्य सुरक्षा

मुख्य परीक्षा: सामान्य अध्ययन 3

खाद्य सुरक्षा संबंधी मुद्दे

 

संदर्भ:

  • भारत की बढ़ती जनसंख्या और सीमित संसाधनों के कारण वर्तमान में देश में जो गरीबी और खाद्य असुरक्षा की स्थिति बनी हुई है, वहसमावेशी विकास और खाद्य सुरक्षा की दृष्टि से एकचिंता का विषय है।

भूमिका:

  • भोजन व्यक्ति को पोषण, विकास और जीवन देता है और उसे प्राप्त करना हर नागरिक का मूलभूत अधिकार है।
  • यह विडंबना ही है कि एक तरफ देश में भुखमरी के चलते लोगों की मौत हो जाती है और दूसरी तरफ गोदामों में रखे अनाजों को सड़ने से बचाने के लिए कोई ठोस व्यवस्था नहीं की गई है। इसके अलावा, अधिक मात्रा में भोजन की बर्बादी खाद्य संकट पैदा करती है। वहीं सरकार की न्यूनतम समर्थन मूल्य की नीति सभी खाद्यान्नों पर न होकर कुछ ही खाद्यान्नों के लिए है। इसके कारण देश में खाद्य असुरक्षा बढ़ जाती है।

खाद्य असुरक्षा से संबंधित आंकड़े:

द ग्लोबल फूड पालिसी रिपोर्ट 2022

  • इस रिपोर्ट के अनुसार, भारत में जलवायु परिवर्तन के कारण 2030 तक नौ करोड़ से ज्यादा भारतीयों को भुखमरी का सामना करना पड़ सकता है।
  • रिपोर्ट के मुताबिक,आगामी70-80 वर्षों में फसलों की पैदावार में काफी हद तक कमी आने की संभावना है। साथ ही लू और गर्मी का स्तर भी कई गुना ज्यादा बढ़ने की आशंका है।
  • सामान्य परिस्थितियों में यह आंकड़ा 7.39 करोड़ होता है, लेकिन जलवायु परिवर्तन के कारण भुखमरी का सामना करने वाले लोगों की संख्या में 23 फीसदी की वृद्धि हो सकती है।
  • इंटरनेशनल फूड पालिसी रिसर्च इंस्टीट्यूट की रिपोर्ट के मुताबिक, वर्ष2100 तक भारत के साथ अमेरिका, कनाडा, जापान, स्विट्जरलैंड, रूस और ब्रिटेन जैसे सभी देश, चाहे वे अमीर हों या गरीब, उष्ण हों या शीत सभी खाद्य संकट से प्रभावित होंगे।

संयुक्त राष्ट्र और यूरोपीय संघ की एजेंसियों की नई रिपोर्ट

  • इसरिपोर्ट के अनुसार संघर्ष, आर्थिक संकट और मौसम में आ रहे बदलावों के कारण दुनियाभर में भूख से पीड़ित लोगों की संख्या 2021 में काफीबढ़ गई है।
  • 52देशों में लगभगउन्नीस करोड़ लोगों को अचानक खाद्य सुरक्षा का सामना करना पड़ रहा है।
  • 2020 की तुलना में पीड़ितों की संख्या में 4करोड़ की वृद्धि देखी जा रही है। वहीं रूस और यूक्रेन युद्ध ने भी वैश्विक खाद्य उत्पादन को काफी प्रभावित किया है।
  • कांगो, यमन, अफगानिस्तान, इथियोपिया, सूडान, सीरिया और नाइजीरिया जैसे देशों में चल रहे संघर्षों के कारण वहां खाद्य सुरक्षा के लिए खतरा और बढ़ रहा है।

खाद्य असुरक्षा (संकट) :

  • मोटे तौर पर खाद्य संकट को दो भागों में बांटा जा  सकता है: 1.मध्यम स्तरीय खाद्य संकट, 2.गंभीर खाद्य संकट

मध्यम स्तरीय खाद्य संकट:

  • पौष्टिक और पर्याप्त भोजन तक लोगों की पहुंच सुनिश्चित न होना ही खाद्य संकट है। जब धन या अन्य संसाधनों के अभाव में लोग भुखमरी के शिकार होने लगें तो खाद्य संकट की स्थिति कही जाती है। कई लोगों को भरपेट खाना नहीं मिल पाता या उनके परिवार को राशन मुहैया नहीं हो पाता, इसे मध्यम स्तरीय खाद्य संकट कहते हैं।
  • इस संकट में लोगों को भोजन की मात्रा और गुणवत्ता के साथ समझौता करना पड़ता है।

गंभीर खाद्य संकट :

  • इस संकट में लोगों को कई दिनों तक भोजन नहीं मिलता। उन्हें पौष्टिक और पर्याप्त आहार उपलब्ध नहीं हो पाता। लंबे समय तक यही स्थिति बने रहने पर यह भूख की समस्या का रूप धारण कर लेती है।
  • इस प्रकार भूख से होने वाली मौतें गंभीर खाद्य संकट के कारण ही होती हैं।

खाद्य असुरक्षा बढ़ने के कारण :

  • गरीबी और जनसंख्या वृद्धि :भारत में खाद्य असुरक्षा की सबसे बड़ी वजह गरीबी है। आर्थिक तंगी के चलते कई लोगों को पर्याप्त और पोषणयुक्त भोजन नहीं मिल पाता, जिससे वे कुपोषण के शिकार हो जाते हैं। देश में जनसंख्या वृद्धि की तुलना में खाद्यान्नों का उत्पादन कम रहा और यही कारण है कि आज भी खाद्यान्न समस्या एक गंभीर समस्या बनी हुई है।
  • कृषि योग्य भूमि का अभाव :देश में कृषि योग्य जमीन बहुत ही सीमित है और भूमि की उत्पादकता बढ़ाने मेंहरित क्रांति सीमित प्रभाव के कारण खाद्य समस्या को हल करने में सफल नहीं हो सकी। कृषि उत्पादन तेजी से न बढ़ पाने का एक कारण यह भी है कि रासायनिक खाद, अधिक उपज वाले बीज आदि कृषि के जरूरी साधन अधिक सुगमता से उपलब्ध नहीं रहे और अपने अधिक मूल्यों के कारण भी ये साधारण किसानों की पहुंच से दूर रहे।
  • आपदाएं:समय-समय पर सूखे और बाढ़ की आपदाओं के कारण देश में खाद्य संकट की समस्या गंभीर रूप ले लेती है।
  • अनियमित आपूर्तिऔर भण्डारण की समस्या :अनियमित आपूर्ति, यानी जितने खाद्य का उत्पादन होता है, वह सब उपभोक्ता तक नहीं पहुंच पाता, बल्कि कीट-पतंगों, चूहों, पक्षियों और अन्य कई कारणों से बहुत सारा अनाज बर्बाद हो जाता है। कभी-कभी भंडारण किया हुआ अनाज भी बहुत मात्रा में सड़ जाता है।
  • अनिश्चित मानसून :चूंकि भारत में अधिकांश फसलें सिंचाई के लिए मानसून पर निर्भर हैं और मानसून अनिश्चित और अनियमित होता है। इस कारण खाद्यान्न का उत्पादन भी अनिश्चित रहता है।
  • महंगाई:महंगाई के चलते खाद्यान्नों की कीमतों में बढ़ोत्तरी होने से, निम्न आय वर्ग के लोगों के लिए उन्हें खरीद पाना बहुत कठिन हो जाता है।
  • योजनाओं का सही प्रकार से क्रियान्वयन न हो पाने के कारण भी खाद्य असुरक्षा बढ़ती है।

खाद्य सुरक्षा हेतु भारतसरकार की पहलें:

  • राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन
  • राष्ट्रीय कृषक नीति
  • खाद्य सब्सिडी योजना
  • राष्ट्रीय वर्षापोषित क्षेत्र प्राधिकरण की स्थापना
  • वृहद् कृषि प्रबंधन योजना
  • अंतरराष्ट्रीय अनाज परिषद
  • विश्व खाद्य कार्यक्रम
  • सार्क फूड बैंक
  • खाद्य एवं कृषि संगठन

आगे की राह :

  • देश में गरीबी को कम करने के प्रयास किए जाने चाहिए। देश में जनसंख्या नियंत्रण बहुत जरूरी है।
  • बेरोजगार लोगों को अधिक से अधिक रोजगार के अवसर उपलब्ध करा कर गरीबी पर नियंत्रण किया जा सकता है, जिससे लोगों की परिवारिक आर्थिक तंगी दूर होगी और वे पौष्टिक आहार ले सकेंगे।
  • कार्य करने में अशक्त लोगों और अत्यधिक गरीब परिवारों को सरकार द्वारा आर्थिक सहायता प्रदान की जानी चाहिए, ताकि वे भुखमरी का शिकार होने से बच सकें। हालांकि प्रधानमंत्री गरीब कल्याण पैकेज के तहत सरकार गरीबों के खाते में पैसे जमा करा रही है, लेकिन बढ़ती हुई महंगाई को देखते हुए इसमें और अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है।
  • राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत कुछ ही खाद्य उत्पादों का वितरण किया जाता है। इनमें पौष्टिकता प्रदान करने वाले कुछ अन्य खाद्यान्नों को भी शामिल करने की आवश्यकता है।
  • कुछ चुनिंदा फसलों के बजाय पोषण देने वाली दूसरी फसलों पर भी सरकार द्वारा न्यूनतम समर्थन मूल्य दिया जाना चाहिए, ताकि किसान उन फसलों का भी अधिक उत्पादन करें।
  • खाद्यान्नउत्पादनमेंदेशकोअधिकसेअधिकआत्मनिर्भरबनानेकीआवश्यकता है, ताकि हमारे देश में खाद्यान्न की कमी न हो और किसी अन्य देश से आयात न करना पड़े।
  • गोदाम में जमा किए गए खाद्यान्न को सड़ने से बचाने के लिए सभी आवश्यक उपाय करने चाहिए।
  • सरकार द्वारा कई योजनाएं चलाई जाती हैं, लेकिन उनका क्रियान्वयन सही तरीके से नहीं हो पाता, जिससे सही पात्र को उसका फायदा नहीं मिल पाता।
  • इस ओर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है और इस कमी को दूर किया जाना चाहिए, ताकि गरीब से गरीब व्यक्ति सरकारी योजनाओं का लाभ उठा सके। नागरिकों को खाद्य सुरक्षा मुहैया कराना देश की सरकार की पहली प्राथमिकता होनी चाहिए, तभी राष्ट्र का विकास संभव हो पाएगा।
  • गरीबी-बेरोजगारी के उन्मूलन और खाद्य सुरक्षा जैसी मूलभूत आवश्यकताओं की पूर्ति के बिना किसी भी देश का युवा वर्ग मजबूत नहीं हो सकता।

-----------------------------------------------------

 

मुख्य परीक्षा प्रश्न

देश में खाद्य संकट के कारणोंके समाधान हेतु उपायों की विवेचना कीजिए।