महात्मा गांधीजी की 76वीं पुण्यतिथि

 

महात्मा गांधीजी की 76वीं पुण्यतिथि

GS-I: भारतीय आधुनिक इतिहास

(यूपीएससी/राज्य पीएससी)

प्रीलिम्स के लिए महत्वपूर्ण:

राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी की 76वीं पुण्यतिथि, महात्मा गांधी का ऐतिहासिक परिचय, चंपारण आन्दोलन, असहयोग आन्दोलन, प्रवासी भारतीय दिवस, रोलेट एक्ट, दांडी मार्च और सविनय अवज्ञा आंदोलन, भारत छोड़ो आन्दोलन, पूना समझौता, राजघाट, शहीद दिवस, नाथूराम गोडसे, राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ।

मेन्स के लिए महत्वपूर्ण:

महात्मा गांधी का ऐतिहासिक परिचय, स्वतंत्रता आन्दोलन में गांधीजी का प्रमुख योगदान, गांधी विचारों की प्रासंगिकता, निष्कर्ष।

30 जनवरी, 2024

संदर्भ:

सत्य व अहिंसा के पुजारी, स्वदेशी और स्वावलंबन से भारत की स्वतंत्रता का मार्ग प्रशस्त करने वाले राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी की 76वीं पुण्यतिथि के अवसर पर 30 जनवरी को राजघाट पर भारत सरकार द्वारा श्रृद्धांजलि अर्पित की गयी

  • उल्लेखनीय है कि 30 जनवरी, 1948 को नाथूराम गोडसे, हिंदू राष्ट्रवाद का कट्टर समर्थक, ने दिल्ली के बिड़ला हाउस में प्रार्थना सभा के लिए जाते हुए महात्मा गांधी को गोली मार दी थी। महात्मा गांधी उस समय 78 वर्ष के थे।
  • नाथूराम ने बहुत ही करीब से गांधीजी की छाती में तीन गोलियां मारी थीं, जिससे राष्ट्रपिता का निधन हो गया।

नाथूराम गोडसे के बारे में:

  • नाथूराम गोडसे का जन्म एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था। उसने हाई स्कूल की पढ़ाई बीच में छोड़ दी थी। फिर वह स्वतंत्रता संग्राम में शामिल हो गया था। ऐसा दावा किया जाता है कि गोडसे अपने भाइयों के साथ राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ (आरएसएस) से भी जुड़ा था। बाद में उसने 'हिंदू राष्ट्रीय दल' के नाम से अपना संगठन बनाया था जिसका मकसद स्वतंत्रता के लिए लड़ना था।
  • गोडसे ने अपना खुद का समाचार पत्र भी निकाला था जिसका नाम 'हिंदू राष्ट्र' था। उसकी लेखनी में काफी रुचि थी। उसके विचार और आर्टिकल कई समाचारपत्रों में छपते थे।
  • शुरू में वह महात्मा गांधी का पक्का अनुयायी था। गांधीजी ने जब नागरिक अवज्ञा आंदोलन छेड़ा तो उसने न सिर्फ आंदोलन का समर्थन किया बल्कि बढ़-चढ़कर इसमें हिस्सा लिया। बाद में वह गांधीजी के खिलाफ हो गया। उसके दिमाग में यह बात बैठ गई कि गांधीजी ने अपनी 'आमरण अनशन' नीति से हिंदू हितों का बार-बार गला घोंटा है।

गोडसे ने महात्मा गांधी की हत्या क्यों की:

  • गांधीजी की हत्या के बारे में बहुत सी थ्योरियां दी जाती हैं। उस पर कई आर्टिकल लिखे गए हैं और कोर्ट की कार्यवाहियों में भी बार-बार हत्या का जिक्र हुआ है। लेकिन हत्या के पीछे असल कारण क्या था, उसके बारे में अब तक कुछ ठीक-ठीक पता नहीं चल पाया है। किस राजनीतिक पार्टी के इशारे पर ऐसा हुआ, लिखने के लिए काफी स्याही बर्बाद की गई लेकिन कोई भी ठोस नतीजे पर नहीं पहुंच सका है। वैसे कहा जाता है कि उसने कई बार पहले भी गांधीजी की हत्या की कोशिश की थी लेकिन कामयाब नहीं हुआ। 30 जनवरी को वह अपने मकसद को पूरा करने में सफल रहा।

हत्या के पीछे कुछ संभावित कारण:

देश का विभाजन:

  • ऐसा माना जाता है कि ये कुछ कारण थे जिस वजह से नाथूराम ने गांधीजी की हत्या की थी
  • उसका मानना था कि गांधीजी देश के विभाजन के जिम्मेदार थे। गोडसे को लगता था कि गांधीजी ने दोनों तरफ अपनी अच्छी छवि बनाने के चक्कर में देश का बंटवारा करवा दिया।
  • गोडसे का यह भी मानना था कि तत्कालीन सरकार मुस्लिमों का अनुचित रूप से तुष्टिकरण कर रही है और यह सब गांधीजी की नीतियों के कारण हो रहा है।

कश्मीर समस्या/मुद्दा:

  • गोडसे उस वक्त बहुत टेंशन में आ गया था जब उसको पता चला कि कश्मीर समस्या के बावजूद जिन्ना ने गांधीजी के पाकिस्तान दौरे की सहमति दी है। उसको लगा कि यह सब इसिलए हो रहा है क्योंकि गांधीजी का मुस्लिमों के प्रति कुछ ज्यादा ही दया वाला भाव है और हिंदुओं की भावनाओं की परवाह नहीं है। गोडसे ने खुद गांधीजी के बारे में कहा था, 'वह एक साधु हो सकते हैं लेकिन एक राजनीतिज्ञ नहीं है।'
  • एक तर्क यह भी दिया जाता है कि कांग्रेस के सदस्यों ने पाकिस्तान को वादे के बावजूद 55 करोड़ रुपये नहीं देने का फैसला किया था। गांधीजी चाहते थे कि कांग्रेस वह फैसला पलट दे। उन्होंने इसके लिए आमरण अनशन की भी धमकी दी थी। गोडसे को लगा कि गांधीजी मुस्लिमों के लिए ऐसा कर रहे हैं।

गोडसे को सजा:

  • महात्मा गांधी की हत्या के बाद गोडसे को गिरफ्तार किया गया और उस पर मुकदमा चला। पंजाब हाई कोर्ट में 8 नवंबर, 1949 को उसका ट्रायल हुआ। 15 नवंबर, 1949 को उसे अंबाला जेल में फांसी की सजा दी गई।

महात्मा गांधी का ऐतिहासिक परिचय:

  • इनका जन्म 2 अक्तूबर, 1869 को पोरबंदर (गुजरात) में हुआ था।
  • वे एक प्रसिद्ध वकील, राजनेता, सामाजिक कार्यकर्त्ता और लेखक थे, जिन्होंने ब्रिटिश शासन के विरुद्ध भारत के राष्ट्रवादी आंदोलन का नेतृत्व किया।
  • दक्षिण अफ्रीका (1893-1915) में उन्होंने जन आंदोलन की एक नई पद्धति यानी ‘सत्याग्रह’ की स्थापना की और इसके साथ ही नस्लवादी शासन का सफलतापूर्वक मुकाबला किया।
  • वे 9 जनवरी, 1915 को दक्षिण अफ्रीका से भारत लौटे। भारत के विकास में प्रवासी भारतीय समुदाय के योगदान को चिह्नित करने हेतु प्रतिवर्ष 09 जनवरी को ‘प्रवासी भारतीय दिवस’ का आयोजन किया जाता है।

भारत में सत्याग्रह आंदोलन:

  • चंपारण आंदोलन: वर्ष 1917 में नील की खेती करने वाले किसानों की दमनकारी प्रणाली के खिलाफ संघर्ष के लिए बिहार के चंपारण की यात्रा की थी।
  • रॉलेट एक्ट’ (1919): वर्ष 1919 में उन्होंने प्रस्तावित ‘रॉलेट एक्ट’ (1919) के विरुद्ध एक राष्ट्रव्यापी सत्याग्रह शुरू करने का फैसला किया।
  • असहयोग आंदोलन (1920-22): सितंबर 1920 में काँग्रेस के कलकत्ता अधिवेशन में खिलाफत और स्वराज के समर्थन में एक असहयोग आंदोलन शुरू किया।
  • दांडी मार्च और सविनय अवज्ञा आंदोलन: असहयोग आंदोलन समाप्त होने के बाद वर्ष 1930 में महात्मा गांधी ने अपने सामाजिक सुधार हेतु दांडी मार्च और सविनय अवज्ञा आंदोलन पर ध्यान केंद्रित किया।
  • भारत छोड़ो आंदोलन: द्वितीय विश्व युद्ध (1939-45) के दौरान अंग्रेजी शासन से मुक्ति पाने के लिए भारत छोड़ो आंदोलन की घोषणा की।
  • हरिजन सेवक संघ: अछूतों के उत्थान के लिए उन्होंने हरिजन सेवक संघ की स्थापना और अछूतों को एक नया नाम दिया- 'हरिजन', जिसका अर्थ है ‘ईश्वर की संतान’।
  • पूना समझौता: 24 सितंबर 1932 में ‘बी.आर. अंबेडकर’ ने महात्मा गांधी के साथ ‘पूना समझौते’ पर बातचीत की।
  • प्रमुख पुस्तकें: गांधीजी द्वारा सम्पादित प्रमुख पुस्तकें हिंद स्वराज, सत्य के साथ मेरे प्रयोग (आत्मकथा) हैं।
  • शहीद दिवस: 30 जनवरी को देश भर में गांधीजी की पुण्यतिथि को शहीद दिवस के रूप में मनाया जाता है।

21वीं सदी में गांधी के विचारों की प्रासंगिकता:

  • भारतीय सभ्यता की श्रेष्ठता को संपूर्णता के रूप में प्रस्तुत करने वाले महात्मा गांधी के विचारों ने दुनिया भर के लोगों को न सिर्फ प्रेरित किया बल्कि करुणा और शांति के दृष्टिकोण से भारत व दुनिया को बदलने में भी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।
  • गांधीजी की सत्य की अवधारणा को अपनाकर देश में देश नवनिर्माण की दिशा में आगे बढ़ा जा सकता है।
  • गांधी के अहिंसा दर्शन के अनुसार मन, वचन और शरीर से किसी को भी दु:ख न पहुँचाना ही अहिंसा है। उनका मत था कि हिंसा की बजाय अहिंसा के ज़रिये अपनी मांगों को आसानी से मनवाया जा सकता है।
  • 1926 में यंग इंडिया में प्रकाशित गांधी के स्वच्छता संबंधी विचार वर्तमान में सरकारों के स्वच्छता अभियान के लिए प्रेरणास्रोत की भूमिका निभा रहा है।
  • आज के दौर में पूरी दुनिया शोषणरहित, जातिरहित, हिंसारहित समाज की खोज में जुटी है, जो कि गांधी के सर्वोदय की संकल्पना से ही साकार हो सकता है।
  • गांधी के स्वराज की अवधारणा ने ग्रामपंचायतों के माध्यम से ग्रामीण क्षेत्रों को सशक्त बनाया है।
  • गांधी का ट्रस्टीशिप सिद्धांत अमीर, गरीब और असहाय लोगों के मध्य आर्थिक न्याय का माध्यम प्रदान करता है।
  • गांधी का स्वदेशी मॉडल आत्मनिर्भरता के रूप में लिया जा सकता है।

निष्कर्ष:

  • बापू ने अपना जीवन निस्वार्थ भाव से राष्ट्र के लिए समर्पित कर दिया। महात्मा गांधी के जीवन की कहानी साहस और धार्मिकता से भरी थी। गांधी जी के शांति और सद्भाव के संदेश आज भी प्रासंगिक हैं और उनके विचार देशवासियों को राष्ट्र के लिए त्याग व समर्पण की प्रेरणा देते रहेंगे।

स्रोतः इंडियन एक्सप्रेस

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मुख्य परीक्षा प्रश्न:

महात्मा गांधीजी की 76वीं पुण्यतिथि के आलोक में भारतीय स्वतंत्रता आन्दोलन में इनके प्रमुख योगदान और 21 सदी में गांधीवादी विचारों की प्रासंगिकता का उल्लेख कीजिए।