मुख्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति

 

मुख्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति

 

सामान्य अध्ययनप्रश्न पत्र-2:

(चुनाव आयोग से संबंधित सुधार)

ख़बरों में क्यों:

  • हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों की नियुक्तितीन सदस्यीय समितिद्वारा कराने काफैसला दिया है।
  • न्यायालय ने यह फ़ैसला लोकतंत्र में चुनाव की शुचिता को बनाए रखने के संदर्भ में लिया है।

प्रमुख बिंदु:

  • यह फ़ैसला न्यायमूर्ति केएम जोसेफ की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठने सर्वसम्मत सेलिया है।
  • इससंविधानपीठ में न्यायमूर्ति अजय रस्तोगी, न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस, न्यायमूर्ति ऋषिकेश राय और न्यायमूर्ति सीटी रविकुमारभी शामिल हैं।
  • पीठ ने यहफैसलामुख्य चुनाव आयुक्त और निर्वाचन आयुक्तों की नियुक्ति के लिए कालेजियम जैसी प्रणाली की मांग करने वाली याचिकाओंके आधार पर सुनाया।
  • मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तोंकी चयन प्रक्रिया सीबीआइ निदेशक की तर्ज पर होनीचाहिए।
  • सुप्रीम कोर्ट ने मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति को कार्यपालिका के हस्तक्षेप से बचाने के उद्देश्य से यह फैसला सुनाया है।
  • संविधानपीठ ने निर्वाचन आयोग के सदस्यों की नियुक्ति से संबंधित संविधान के अनुच्छेद 324 का उल्लेख करते हुए कहा कि संसद ने मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति केसंबंध में संविधान की आवश्यकता के अनुसार कोई कानून पारित नहीं किया है।
  • अबमुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तोंकी नियुक्तियां प्रधानमंत्री, लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष और भारत के प्रधान न्यायाधीश की समिति की सलाह पर राष्ट्रपति द्वारा की जाएंगी।
  • संविधान पीठ ने कहा कि यदिलोकसभा में कोई नेता प्रतिपक्ष नहीं है, तो सबसे बड़े विपक्षी दल के नेता को निर्वाचन आयुक्तों और मुख्य निर्वाचन आयुक्त की नियुक्ति संबंधी समिति में शामिल किया जाएगा।
  • यह मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तोंकी चयन प्रक्रिया तब तक कायम रहेगीजब तक संसद इस मुद्दे पर कोई कानून नहीं बना लेती।

अभी तक चुनाव आयोग में चुनाव आयुक्तों की चयन प्रक्रिया का आधार क्या था:

  • अनुच्छेद 324(2) के अनुसार, निर्वाचन आयोग में मुख्य निर्वाचन आयुक्त और निर्वाचन आयुक्त होते हैं। उनकी नियुक्तियां संसद द्वारा इस संबंध में बनाए गए किसी भी कानून के प्रावधानों के अधीन राष्ट्रपति द्वारा की जाएंगी।
  • अटार्नी जनरल आर वेंकट रमणी के अनुसार, चुनाव आयोग में आयुक्तों की नियुक्ति के लिए सचिव स्तर के सेवानिवृत्त अधिकारियों की सूची तैयार होती है।इन नामों का एक पैनल बनता है जिसेप्रधानमंत्रीऔर राष्ट्रपति के पास भेजा जाता है। इस पैनल में प्रधानमंत्री किसी एक नाम की सिफारिश करते हैं।इसके बाद राष्ट्रपति की मंजूरी ली जाती है।

चुनाव आयुक्तों की संख्या के संबंध में:

  • चुनाव आयोग में चुनाव आयुक्त कितने हो सकते हैं, इसे लेकर संविधान में कोई संख्या निर्धारितनहीं की गई हैसंविधान का अनुच्छेद 324 (2)कहता है कि चुनाव आयोग में मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्त हो सकते हैं। यह राष्ट्रपति पर निर्भर करता है कि इसकी संख्या कितनी होगी। आजादी के बाद देश में चुनाव आयोग में सिर्फ मुख्य चुनाव आयुक्त होते थे।
  • 16 अक्टूबर 1989 को प्रधानमंत्री राजीव गांधी की सरकार ने दो और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति की। इससे चुनाव आयोग एक बहु-सदस्यीय निकायबन गया। ये नियुक्तियां 9वें आम चुनाव से पहली की गईं थी। उस समयचुनाव आयोग कोएक बहु-सदस्यीय निकाय बनाने का उद्देश्य मुख्य चुनाव आयुक्त आरवीएस पेरी शास्त्री केकार्यों को नियंत्रित करना था।
  • 2 जनवरी 1990 को वीपी सिंह सरकार ने नियमों में संशोधन किया और चुनाव आयोग को फिर से एक सदस्यीय निकाय बना दिया। 1अक्टूबर 1993 को पीवी नरसिम्हा राव सरकारने फिर अध्यादेश के जरिए दो और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति को मंजूरी दी। तब से चुनाव आयोग में मुख्य चुनाव आयुक्त के साथ दो चुनाव आयुक्त होते हैं।

चुनाव आयुक्तों का कार्य काल एवं अन्य प्रावधान:

  • इनकाकार्यकाल 6 वर्ष या 65 वर्ष की उम्र (जो भी पहले हो) तक होता है।
  • इनचुनाव आयुक्तों को सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों की तरह समान वेतन और भत्ते की सुविधाएँप्रदान की जाती हैं।
  • संविधान में चुनाव आयोग के सदस्यों की योग्यता का निर्धारण नहींकिया गया है।
  • मुख्य निर्वाचन आयुक्त को अपनी निर्धारित पदावधि में कार्य करने की पूर्ण स्वतंत्रता एवं सुरक्षा प्राप्त होती है।
  • मुख्य निर्वाचन आयुक्त को उसके पद से उन्हीं आधारों पर ही हटाया जा सकता है, जिन आधारों पर सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों को हटाया जाता है, अन्यथा नहीं।
  • दूसरे शब्दों में, उन्हें दुर्व्यवहार या अक्षमता के अधर पर संसद के दोनों सदनों द्वारा विशेष बहुमत संकल्प पारित करने के बाद राष्ट्रपति द्वारा हटाया जा सकताहै।
  • उल्लेखनीय है कि मुख्य चुनाव आयुक्त राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त तो किया जाता है, लेकिन वह राष्ट्रपति के प्रसादपर्यंत पद पर कार्य नहीं करता है।

चुनाव आयोग के बारे में

  • चुनाव आयोग एक स्थायी, स्वतंत्र और अर्द्ध-न्यायिक निकाय है।
  • इसका गठन 25 जनवरी 1950 को नई दिल्ली में किया गया था।
  • भारत के पहले मुख्य चुनाव आयुक्त सुकुमार सेन थे।
  • वर्तमान में 25 वें मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमारहैं।
  • इस निकाय का गठन भारत के संविधान द्वारा देश में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव संपन्न करने के उद्देश्य से किया गया था।
  • संविधान के अनुच्छेद 324 के अनुसार संसद, राज्य विधानमंडल, राष्ट्रपति व उपराष्ट्रपति के पदों के निर्वाचन के लिए संचालन, निर्देशनऔर नियंत्रण का उत्तरदायित्व चुनाव आयोग का है।
  • राज्य स्तर पर चुनाव कराने के लिए अलग से राज्य चुनाव आयोगों का भारतीय संविधान में उल्लेख है।
  • वर्तमान में चुनाव आयोग में तीन सदस्य हैं: मुख्य चुनाव आयुक्त और दो चुनाव आयुक्त।

आगे की राह:

  • चुनाव आयोग को महत्तम विश्वसनीयता, स्वतंत्रता, शुचिता, पारदर्शिता, सच्चरित्रता,जवाबदेही, स्वायत्ततातथा पेशेवर दृष्टिकोण के साथ चुनाव संपन्न करवाना चाहिए।
  • चुनाव प्रक्रिया के हित में राजनीतिक दलों की शुचिता निर्धारित की जानी चाहिए।
  • चुनावी प्रक्रिया को प्रभावी बनाने के लिए मानव संसाधन विकसित किए जाने चाहिए।
  • देश की चुनावी व्यवस्था में लोगों के विश्वास को बनाए रखने के लिए चुनावआयोग को लोकतांत्रिक मूल्यों को मजबूत करना चाहिए।
  • चुनावी प्रक्रिया को बेहतर बनाने के लिए तकनीकी को अपनाना चाहिए।

निष्कर्ष:

  • लोकतंत्र में निष्पक्ष और पारदर्शी चुनाव की महत्वपूर्णभूमिका होती है। इसे सुनिश्चित कराना निर्वाचन आयोग का दायित्व है। लेकिनअनेक मौकों पर आरोप लगते रहे हैं कि निर्वाचन आयोग पक्षपातपूर्ण रवैया अपनाता और कार्रवाई करता है। इसलिए मुख्य चुनाव आयुक्त के पद पर ऐसे व्यक्ति को नियुक्त किया जाना चाहिए, जो अपने व्यवहार में पूरी तरह नैतिक और निष्पक्ष हो।
  • सुप्रीम कोर्ट का मानना है कि लोकतंत्र में चुनाव की शुचिता को बनाए रखा जाना चाहिए, अन्यथा इसके भयावह परिणाम हो सकते हैं।

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प्रारंभिक परीक्षा प्रश्न:

मुख्य चुनाव आयुक्त के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए-

  1. मुख्य चुनाव आयुक्त राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त किया जाता है, लेकिन वह राष्ट्रपति के प्रसादपर्यंत पद पर कार्य नहीं करता है।
  2. मुख्य चुनाव आयुक्त को महाभियोग लगाकर पद से हटाया जाता है।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से कथन सत्य है/हैं?

(a) केवल 1                         (b) केवल 2

(c) 1 और 2 दोनों                (d) न तो 1, न ही 2

उत्तर: विकल्प A

मुख्य परीक्षा प्रश्न:

चुनाव आयोग में सदस्यों की नियुक्त प्रक्रिया की आलोचनात्मक विवेचना कीजिए।