नोबेल पुरस्कार विजेता मुहम्मद यूनुस को जेल

नोबेल पुरस्कार विजेता मुहम्मद यूनुस को जेल

GS-3:भारतीय अर्थव्यवस्था

(यूपीएससी/राज्य पीएससी)

04 जनवरी, 2024

ख़बरोंमें क्यों:

हाल ही में, नोबेल पुरस्कार विजेता मुहम्मद यूनुस (Nobel laureate Muhammad Yunus)को बांग्लादेश की एक अदालत ने देश के श्रम कानूनों का उल्लंघन करने के आरोप में (violating the country's labor laws) छह महीने के कारावास की सजा (sentenced tosix months' jail) सुनाई है।

  • मुहम्मद यूनुस को गरीब लोगों की सहायता हेतु ‘सूक्ष्म वित्त ऋण प्रणाली’ (Micro Finance Loan System) की शुरुआत के लिए जाना जाता है।
  • वर्तमान में, 83 वर्षीय,मुहम्मद यूनुस कथित भ्रष्टाचार और फंड गबन (corruption and fund embezzlement) से जुड़े अन्य आरोपों की एक विस्तृत श्रृंखला का सामना कर रहे हैं।

जेल की सज़ा का कारण:

  • बांग्लादेश के एक न्यायालय ने मुहम्मद यूनुस की कंपनी, ग्रामीण टेलीकॉम, जिसे उन्होंने एक गैर-लाभकारी संस्था के रूप में स्थापित किया था, को श्रम कानूनों के उल्लंघन का दोषी पाया।
  • निर्णय के अनुसार, कंपनी के 67 कर्मचारियों को स्थायी किया जाना चाहिए था, जो नहीं किया गया और कर्मचारियों की भागीदारी तथा कल्याण निधि का निर्माण नहीं किया गया।
  • इसके अतिरिक्त कंपनी की नीति के अनुसार, कंपनी के लाभांश का 5% कर्मचारियों को वितरित किया जाना था, जो नहीं किया गया।

नोबल पुरस्कार विजेता मुहम्मद यूनुस के बारे में:

  • जन्म: इनका जन्म वर्ष 1940 में बांग्लादेश के  चटगाँव में हुआ था।
  • शिक्षा: इन्होंने वर्ष 1969 में अमेरिका के टेनेसी में वेंडरबिल्ट यूनिवर्सिटी से अर्थशास्त्र में पीएचडी की उपाधि प्राप्त की और उसके बाद ‘मिडिल टेनेसी स्टेट यूनिवर्सिटी’ में सहायक प्रोफेसर बन गए।
  • 1972 में बांग्लादेश के गठन के बाद, वह अपनी मातृभूमि लौट आए और चटगांव विश्वविद्यालय में अर्थशास्त्र विभाग के प्रमुख नियुक्त किए गए।
  • 'गरीबों के बैंकर' के नाम से मशहूर मुहम्मद यूनुस ने 2006 में नोबेल पुरस्कार जीता था।
  • 1 जनवरी, 2024 को उन्हें बांग्लादेश के श्रम कानूनों का उल्लंघन करने का दोषी ठहराया गया और 6 महीने जेल की सजा सुनाई गई। विशेष रूप से, यूनुस के प्रधानमंत्री शेख हसीना के साथ ख़राब रिश्ते हैं।

आर्थिकी के क्षेत्र में मुहम्मद युनुस का योगदान

  • सूक्ष्म  ऋण का विचार: आजादी के बाद के वर्षों में जब बांग्लादेश अपनी अर्थव्यवस्था को स्थिर करने और गरीबी से निपटने के लिए संघर्ष कर रहा था तब मुहम्मद यूनुस गरीबों की सहायता करने के लिए एक अनोखा विचार लेकर आए।
  • उन्होंने उन उद्यमियों को उपयुक्त शर्तों पर छोटे ऋण प्रदान करने का निर्णय लिया, जो आमतौर पर बैंक ऋण के लिए योग्य नहीं थे।
  • ग्रामीण बैंक: उन्होंने प्रारंभिक स्थानीय प्रयोग की सफलता के बाद देश के अन्य हिस्सों में सूक्ष्म ऋण परियोजनाएँ स्थापित कीं।
  • सात वर्षों के भीतर इस पहल ने वर्ष 1983 में ग्रामीण बैंक का औपचारिक रूप ले लिया।
  • ग्रामीण बैंक को लाखों लोगों को गरीबी से बाहर निकालने का श्रेय दिया जाता है। इस प्रणाली ने अपनी स्थापना के बाद से 9.55 मिलियन लोगों के बीच 34.01 बिलियन डॉलर के संपार्श्विक-मुक्त ऋण वितरित किए हैं।
  • ग्रामीण बैंक की शानदार सफलता के कारण इस मॉडल पर आधारित बैंक आज 100 से अधिक देशों में कार्य कर रहे हैं।
  • वर्ष 2006 में मुहम्मद यूनुस और ग्रामीण बैंक को संयुक्त रूप से “निम्न तबके में आर्थिक और सामाजिक विकास करने के उनके प्रयासों के लिए” शांति का नोबेल पुरस्कार मिला।

भारत में सूक्ष्मवित्त ऋण प्रणाली:

  • भारत में सूक्ष्म वित्त (Micro Finance in India) एक गैर-लाभकारी संगठनहै जो कम आय वाले लोगों को वित्तीय सहायता प्रदान करता है। सूक्ष्म ऋण, सूक्ष्म बचत और सूक्ष्म बीमा इन सेवाओं के उदाहरण हैं।
  • भारत में सूक्ष्म वित्त (Micro Finance in India) वित्तीय संस्थान हैं जो ऐसे व्यक्तियों को छोटे ऋण देते हैं जिनकी पारंपरिक बैंकिंग सेवाओं तक पहुंच नहीं है। “छोटे ऋण” शब्द को अलग-अलग देशों में अलग-अलग तरीके से परिभाषित किया गया है।
  • भारत में, इसे एक लाख रुपये से कम के ऋण के रूप में परिभाषित किया गया है। पिछले दो दशकों में भारत में सूक्ष्म वित्त (Micro Finance)काफी बढ़ गया है, और अब यह लगभग 102 मिलियन गरीब लोगों के खातों (बैंकों और छोटे वित्तपोषण बैंकों सहित) को सेवा प्रदान करता है।
  • भारत में गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियाँ (NBFC) और MFIs का रिज़र्व बैंक के गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी -माइक्रो फाइनेंस इंस्टीट्यूशंस (रिज़र्व बैंक) निर्देश, 2011द्वारा नियमन किया जाता है।
  • इससे संबंधित संस्थाएँ एवं मॉडल निम्नवत है:
  • संयुक्त देयता समूह
  • स्वयं सहायता समूह
  • ग्रामीण मॉडल बैंक
  • ग्रामीण सहकारिता

महत्त्व:

  • ये संस्थाएं बिना किसी ज़मानत के आसानी से गरीब वर्गों, महिलाओं, बेरोज़गारों और द्विव्यांगों को अल्पावधिक ऋण प्रदान करती हैं।
  • ये संस्थाएं गरीब परिवारों की आय बढ़ाने और रोज़गार सृजन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।
  • यह महिलाओं, बेरोज़गारों और द्विव्यांगों समेत समाज के अल्प-वित्तपोषित समूहों को सेवाएँ प्रदान करती हैं।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

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मुख्य परीक्षा प्रश्न:

नोबल पुरस्कार विजेता मुहम्मद युनुस का आर्थिकीकेक्षेत्र में विशिष्टयोगदान को रेखांकित करते हुए भारतमेंसूक्ष्मवित्तऋणप्रणाली के महत्त्व का उल्लेख कीजिए।