नए स्टार्टअप उपक्रमों के समक्ष चुनौतियां

 

 

नए स्टार्टअप उपक्रमों के समक्ष चुनौतियां

प्रीलिम्स के लिए महत्वपूर्ण:  स्टार्टअप उपक्रम, ‘स्टार्टअप इंडिया’ योजना, ‘क्रेड’ प्लेटफार्म, मेक इन इंडिया

मुख्य परीक्षा के लिए महत्वपूर्ण: स्टार्टअप उपक्रम से जुड़ी सरकार की नीतियां, स्टार्टअप उपक्रम के समक्ष चुनौतियां, कारण, समाधान

23 अक्टूबर,2023

सन्दर्भ:

  • युवाओं में उद्यमशीलता बढ़ाने तथा उनको स्वरोजगार से जोड़ने की दृष्टि से ‘स्टार्टअप’ उपक्रमों की महत्त्वपूर्ण भूमिका है। ये उपक्रम ऐसे उत्पाद या सेवा प्रदान करते हैं, जो आमतौर पर बाजार में उपलब्ध नहीं होते। ये नई तकनीक तथा नए अन्वेषण के साथ नए कारोबारी ढांचे के रूप में कार्य करते हैं।

स्टार्टअप उपक्रम के बारे में:

  • स्टार्टअप उपक्रम के अंतर्गत एक ऐसी इकाई को शामिल किया जाता है, जो भारत में पांच वर्ष से अधिक से पंजीकृत नहीं है और जिसका सालाना कारोबार किसी भी वित्तीय वर्ष में पच्चीस करोड़ रुपए से अधिक नहीं है।
  • यह इकाई प्रौद्योगिकी या बौद्धिक संपदा से प्रेरित नए उत्पादों या सेवाओं के नवाचार, विकास, विस्तार या व्यवसायीकरण की दिशा में काम करती है।

पंजीकृत स्टार्टअप:

  • सरकारी आंकड़ों के अनुसार,  ‘स्टार्टअप इंडिया’ योजना के अंतर्गत 2022 में कुल 26,522 नए स्टार्टअप पंजीकृत हुए। 2021 में यह आंकड़ा 19,989 था। यानी स्टार्टअप पंजीकरण में 32.6 फीसद की वृद्धि हुई है।
  • देश में इस समय लगभग नब्बे हजार स्टार्टअप इकाइयां पंजीकृत हैं।

स्टार्टअप विस्तार:  

  • महाराष्ट्र, कर्नाटक, दिल्ली, उत्तर प्रदेश और गुजरात में सर्वाधिक संख्या में स्टार्टअप इकाइयां स्थापित हैं।

रोजगार:

  • स्टार्टअप इकाइयां ने साढ़े पांच लाख व्यक्तियों को प्रत्यक्ष रोजगार दिया है। इनके उत्पादों और सेवाओं के वितरण से जुड़े असंगठित क्षेत्र में भी इनका महत्त्पूर्ण योगदान रहा है।

स्टार्टअप की सफलता के कारण:

  • स्टार्टअप स्टार्टअप इकाइयां ने नवाचार, नए विचार और उद्यमियों की कुशलता के कारण काफी हद तक सफलता अर्जित की है।
  • पिछले कुछ वर्षों से स्टार्टअप उपक्रमों का विकास और विस्तार तेजी से हुआ है। हालांकि स्टार्टअप की अवधारणा लगभग पंद्रह वर्ष पहले प्रचलन में आई, लेकिन पिछले पांच-छह वर्षों में इन उपक्रमों की रफ्तार काफी तेज हो गई है।
  • सरकार ने इनको बढ़ावा देने के बहुत से उपाय भी किए हैं, जिनमें ‘प्रोटोटाइप’ विकसित करने, उत्पादों का परीक्षण करने और बाजार में प्रवेश हेतु मदद करने के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करने जैसी योजनाएं बनाई है।
  • नवाचार और प्रतिस्पर्द्धा को बढ़ावा देकर आर्थिक विकास में योगदान करने वाले उत्कृष्ट स्टार्टअप को पुरस्कृत भी किया जाता है।

बिल भुगतान हेतु ‘क्रेड’ प्लेटफार्म:

  • वर्ष 2018 में स्थापित ‘क्रेड’ एक ऐसा मंच है, जहां स्टार्टअप इकाइयां अपने क्रेडिट कार्ड बिलों का भुगतान कर सकती हैं।
  • इस मंच ने एक नया ढांचा बनाया है, जहां उपयोगकर्ताओं को क्रेड ऐप के माध्यम से अपने बिलों का भुगतान करने पर ‘क्रेड सिक्के’ मिलते हैं।
  • इन सिक्कों को बाद में कोई उत्पाद खरीदने, किसी प्रतियोगिता में भाग लेने या किसी कार्यशाला में शामिल होने के लिए भुनाया जा सकता है।
  • यह स्टार्टअप ग्राहकों को ‘क्रेडिट’ और उत्पादों की ‘प्रीमियम कैटलाग’ जैसी कई सेवाएं प्रदान करता है।

स्टार्टअप उपक्रमों के समक्ष चुनौतियां:

वर्तमान में स्टार्टअप उपक्रमों के समक्ष निम्न प्रकार कई चुनौतियां विद्यमान हैं:

  • व्यावहारिक अनुभव का अभाव:  हमारी शिक्षा प्रणाली में व्यावसायिक प्रशिक्षण और उद्योग का व्यावहारिक अनुभव प्रदान करने की कोई प्रभावी व्यवस्था नहीं है।
  • स्टार्टअप उपक्रम अनुसंधान एवं विकास की दृष्टि से काफी पीछे हैं। स्टार्टअप चलाने के लिए कार्यशील पूंजी का अभाव है।
  • सीमित पहुंच: छोटे स्टार्टअप की ग्राहकों तक पहुंच बहुत सीमित है, इसलिए वे केवल कुछ क्षेत्रों तक बाजार बना पाते हैं, जो स्थानीय लोगों और स्थानीय भाषा तक ही सीमित रह जाता है।
  • योग्य और कुशल कर्मचारियों का अभाव: स्टार्टअप उपक्रमों के लिए योग्य और कुशल कर्मचारी प्राप्त करना और उनको बनाए रखना एक बड़ी चुनौती है, क्योंकि अन्य प्रतिस्पर्धी बड़े उपक्रम अधिक वेतन और सुविधाएं देकर योग्य और कुशल कर्मचारियों को अपनी तरफ आकर्षित कर लेते हैं। इसलिए उनको श्रेष्ठ कर्मचारियों को आकर्षित करने और बनाए रखने के लिए निरंतर संघर्ष करना पड़ता है।
  • प्रतिस्पर्धा: एक ही क्षेत्र के नए-नए स्टार्टअप उपक्रम स्थापित होने से इनके बीच तेज प्रतिस्पर्धा है। इस कारण स्टार्टअप के लिए खुद को प्रतिस्पर्धा में बनाए रखना मुश्किल हो जाता है।
  • संचार सुविधा का अभाव:  देश की लगभग सत्तर फीसद आबादी ग्रामीण क्षेत्रों में रहती है, जो अब भी विश्वसनीय तरीके से इंटरनेट पहुंच से वंचित है।
  • नतीजतन, बहुत से ग्रामीण क्षेत्रों के स्टार्टअप बिना मान्यता प्राप्त हैं और सरकारी वित्तपोषण तथा अन्य सुविधाओं से वंचित रह जाते हैं। ये गिनती में भी नहीं आ पाते हैं, जबकि स्थानीय उत्पादों और सेवाओं को उपलब्ध कराने में इनकी महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है।

बंद हुए स्टार्टअप उपक्रम से संबंधित आंकड़े:

हालिया वर्षों में इन तमाम चुनौतियों के कारण बड़ी संख्या में स्टार्टअप उपक्रम बंद हैं:

  • ‘ट्रैकसन’ के आंकड़ों के अनुसार, वर्ष 2022 और 2021 में क्रमश: 2404 और 1012 इकाइयां बंद हुई थीं। इस प्रकार एक ही वर्ष में बंद होने वाली इकाइयों की संख्या दोगुने से भी आधिक थी।
  • वर्ष 2018 में 3484 इकाइयां बंद हुई, जो पिछले पांच वर्षों में सर्वाधिक थी।
  • ‘एडटेक’ भारतीय स्टार्टअप में सबसे अधिक प्रभावित क्षेत्रों में से एक था, इस क्षेत्र में पच्चीस वित्तपोषित स्टार्टअप बंद हो गए।
  • हेल्थटेक और मीडिया क्षेत्रों को 2022 में भारी चुनौतियों का सामना करना पड़ा। इस कारण हेल्थटेक क्षेत्र की 26 और मीडिया क्षेत्र की 24 कंपनियां बंद हो गई। फिनटेक क्षेत्र में भी 26 स्टार्टअप 2023 तक नहीं पहुंच पाए।

बंद होने के कारण:

  • इकाइयों के बंद होने का सबसे बड़ा कारण पूंजी का अभाव और नवीनतम तकनीकों के साथ इन इकाइयों का समायोजन न होना।
  • ट्रैक्सन के अनुसार, भारत में एडटेक कंपनियों को मिलने वाली पूंजी 2022 में घटकर 2.4 अरब डालर हो गई, जो पिछले वर्ष 4.1 अरब डालर थी।

स्टार्टअप उपक्रमों के बंद होने का प्रभाव:

  • उपक्रमों के बंद होने पर बड़े पैमाने पर कर्मचारियों की छंटनी की गयी।
  • एक रपट के अनुसार, 2022 में स्टार्टअप उपक्रमों से लगभग उन्नीस हजार कर्मचारियों को नौकरी से निकाल दिया गया।

निष्कर्ष:

  • पिछले एक-दो वर्षों में कई कारणों से स्टार्टअप उपक्रमों को बंद होना पड़ा है। इनके बंद होने से न केवल बड़ी संख्या में लोगों की नौकरी गयी है बल्कि केंद्र सरकार की स्टार्टअप इंडिया से जुड़ी उम्मीदें प्रभावित हुई हैं। राज्य सरकारों को ई-कॉमर्स के क्षेत्र में आर्थिक तौर पर बड़ा नुकसान पहुंचा है। वर्ष 2022 में पूंजी के अभाव एवं प्रतिस्पर्धा के कारण बड़ी संख्या में स्टार्टअप इकाइयां बड़ी कंपनियों में विलय हो गयीं।
  • आवश्यकता इस बात की है कि स्टार्टअप के संबंध में एक व्यावहारिक नीति बनाई जाए। उनको दी जाने वाली वित्तीय और अन्य सुविधाओं के लिए सरल, सहज और पारदर्शी व्यवस्था हो। इनके उत्पादों और सेवाओं के विपणन की प्रभावी व्यवस्था हो, ताकि ये प्रतिस्पर्धा के दौर में भी अपना स्थान बनाए रख सकें। युवाओं को इनसे जोड़ने के लिए शैक्षणिक संस्थानों में इनके व्यावहारिक ज्ञान और प्रशिक्षण की समुचित व्यवस्था हो, ताकि युवाओं में उद्यमशीलता के गुण विकसित हों और वे नौकरियों के पीछे न भाग कर अधिक से अधिक स्टार्टअप स्थापित करने को प्रेरित हो सकें।

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मुख्य परीक्षा प्रश्न

स्टार्टअप उपक्रमों के समक्ष चुनौतियों के निपटान हेतु अपने तर्क प्रस्तुत कीजिए