
नशे की गिरफ़्त में युवा पीढ़ी
नशे की गिरफ़्त में युवा पीढ़ी
मुख्य परीक्षा:सामान्य अध्ययन 3
( आतंरिक सुरक्षा: संगठित अपराध, नशा ड्रग माफिया )
संदर्भ :
- हाल ही में गृहमंत्री ने राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के नशा निरोधक कार्यबल को सन 2047 तक देश को नशामुक्त करने का संकल्प दिलाया है। कोरोना के बाद देश के युवाओं में नशे की प्रवृत्ति बढ़ी है।
- खतरनाक नशे का दानव देश को जैसे चुनौती दे रहा है कि बचा सको तो बचा लो अपनी जवान हो रही पीढ़ी को।
युवा पीढ़ी में नशे की वर्तमान स्थिति :
- स्वतंत्र संस्था ‘थिंक चेंज’ की रिपोर्ट के अनुसार, कोरोना काल के बाद देश में नशीले पदार्थों की खपत तेजी से बढ़ी है।
- इस रिपोर्ट में सबसे अधिक दस से सत्रह वर्ष आयु के बच्चों और किशोरों के प्रभावित होने की आंशंका व्यक्त की गई है।
- नशे की आसान पहुंच मिडिल और हाई स्कूलों तक हो चुकी है। छोटी उम्र में बच्चों को हास्टलों और कोचिंग संस्थानों में भेजने की प्रवृत्ति और देश में कानून अनुपालन में सुस्ती ने बच्चों और किशोरों को नशे के नजदीक तक पहुंचा दिया है।
- अनुमान है कि देश में नशे का कारोबार पंद्रह लाख करोड़ रुपए प्रतिवर्ष से अधिक का है। देश की तीन फीसद आबादी पूरी तरह खतरनाक नशे की चपेट में है।
- अब सिर्फ मिजोरम, पंजाब, दिल्ली ही नहीं, जहां नशा करने वालों के संख्या सर्वाधिक है, देश के हर कोने में छोटे-छोटे गांवों और कस्बों तक प्रतिबंधित नशीले पदार्थों की आसान उपलब्धता है।
- पिछले वर्ष गुजरात के मुंद्रा बंदरगाह से 3000 किलो खतरनाक ड्रग्स, दिल्ली और लखनऊ से 322 किलो की बरामदगी हुई, जिसकी आपूर्ति शृंखला में चिकित्सा, इंजीनियरिंग, आइआइटी, आइआइएम, फैशन डिजाइनिंग के छात्रों को जोड़ा गया था।
- कोटा, बंगलुरू, हैदराबाद, पुणे में जिस तेजी से आईटी क्षेत्र विकसित हुए, उसी तेजी से उनमें नशे का कारोबार फैला है।
- एम्स द्वारा राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में कराए गए एक सर्वेक्षण के अनुसार, केवल दिल्ली में 90,0000 खतरनाक नशे के आदी लोगों की पहचान हुई है। इनमें 39 फीसद 19 से 38 वर्ष के युवा हैं।
- देश में 10 से 17 वर्ष के 1.48 करोड़ बच्चे और किशोर शराब, अफ्रीम, कोकेन, भांग, गांजा का सेवन कर रहे हैं। स्कूली बच्चों में ई-सिगरेट और ‘साइक्रोट्रापिक ड्रग’ की लत बहुत तेजी से बढ़ी है।
- वेबसाइटें बेरोकटोक आनलाइन नशीली समाग्री का विक्रय कर रही हैं, तो शहरों और कस्बों के कुछ दवा व्यवसायी इसे उपलब्ध करा रहे हैं।
- स्कूल-कालेजों के पास स्थित पान-चाय की दुकानों सहित अन्य दुकानदार इस तरह की समाग्री के विक्रय को अवैध कमाई का जरिया बना चुके हैं।
- ‘साइक्रोट्रापिक ड्रग्स’ को छोटे शहरों और कस्बों में अधिकांश होटल और रेस्तरां मालिक छात्रों को पार्टी आयोजनों में आसानी से उपलब्ध करा रहे हैं।
- राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़ों के अनुसार, जहां सन 2019 में नशे की लत से परेशान 7 हजार 800 व्यक्तियों ने आत्महत्या की, सन 2021 में यह आंकड़ा बढ़ कर 10 हजार 560 पर जा पहुंचा है।
- नशे की वजह से आत्मघाती प्रवृति 2 साल में 20 फीसद की दर से बढ़ी है। पंजाब में स्कूली बच्चों की रिपोर्ट बताती है कि राज्य का हर तीसरा छात्र और दसवीं छात्रा नशे की लत का शिकार हो चुकी है।
- सामाजिक न्याय विभाग के अनुसार, देश की कुल आबादी का 14.6 फीसद हिस्सा नशे की गिरफ्त में है, जिसमें से तीन फीसद खतरनाक नशे का आदी है। देश में तेजी से फैलते जहर के खिलाफ अगर सरकारें और आम जन नहीं चेता तो 2050 तक आधी युवा आबादी नशे की गिरफ्त में होगी।
- आंध्रप्रदेश, पंजाब और ओड़ीशा गांजे के बड़े आपूर्तिकर्ता राज्य हैं।
- वर्तमान में दो प्रमुख ड्रग उत्पादक क्षेत्र गोल्डन क्रिसेंट (ईरान-अफगानिस्तान-पाकिस्तान) और गोल्डन ट्रायंगल (थाईलैंड-लाओस-म्याँमार) भारत के लिए अवैध नशीले ड्रग तस्करी के केंद्र हैं।
- पहले कभी ऊंटों के माध्यम से होने वाला यह अवैध कारोबार अब समुद्री मार्ग और ड्रोन के जरिए हो रहा हे। कच्छ के मुंद्रा और जखाऊ बंदरगाह से सूरजवारी और सामखियाली राजमार्ग से होता हुआ देश के कोने-कोने तक नशीला पदार्थ पहुंच रहा है।
- पिछले साल गुजरात एटीएस ने मोरबी जिले के छोटे से गांव झिझुडा से 120 किलो नशीला पदार्थ पकड़ा, जिसकी अंतरराष्ट्रीय बजार में कीमत 600 करोड़ रुपए थी।
- हाल में एनसीबी और नौसेना के संयुक्त अभियान के तहत केरल के कोच्चि के समुद्र तट से बारह हजार करोड़ रुपए का 2500 किलोग्राम नशीला पदार्थ एक पाकिस्तानी नौका से बरामद किया है।
- वर्ल्ड ड्रग रिपोर्ट, 2022 के मुताबिक,भारत में 2020 में पकड़ी गई अफीम की चौथी सबसे बड़ी मात्रा 5.2 टन है और उसी वर्ष पकड़ी गई मॉर्फिन की तीसरी सबसे बड़ी मात्रा 0.7 टन थी।
- उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, उत्तराखंड, दक्षिण और पूर्वी राज्यों में केमिकल ड्रग्स मेंथा, एलएसडी, म्याउ-म्याउ, सफेद पाउडर, टिकट जैसे नशीले पदार्थों की पहुंच बच्चों और किशोरों तक हो चुकी है।
नशीले ड्रग्स की रोकथाम हेतु सुझाव :
- देश में नशीले पदार्थों की रोकथाम के लिए बना कानून इस गैर-कानूनी कारोबार की रोकथाम में कमजोर साबित हो रहा है। इसलिए सख्त क़ानून बनाने के साथ पुलिस प्रशासन का आधुनिकीकरण किया जाना चाहिए।
- नशीले ड्रग्स के कारोबार में संलिप्त लोगों के लिए सजा के प्रावधान त्वरित एवं प्रभावशाली होने चाहिए।
- देश में राज्यों की सीमाओं से नशीले पदार्थों की आवाजाही को रोकने हेतु राज्यों की सुरक्षा एजेंसियों में समन्वय स्थापित किया जाना चाहिए।
- राज्य सरकारों में राजनीतिक विद्वेष की भावना फैलाने वाले नशा माफियाओं को संरक्षण देने पर रोक लगाने की आवश्यकता है।
- दूर-दराज के क्षेत्रों में संचार के साधनों की उपलब्धता को बढ़ाया जाना चाहिए।
- नशा कारोबार में महिला गिरोह को नियंत्रित करने के लिए देश में महिला पुलिस कर्मियों की संख्या को बढ़ाने की आवश्यकता है। देश की अदालतें महिला अपराधी की गिरफ्तारी महिला पुलिस से ही कराने का पक्षधर हैं, जबकि देश भर में 2800 महिलाओं पर एकमात्र महिला पुलिसकर्मी है।
- नशीली समाग्री के त्वरित परीक्षण के लिए राज्यों के पास पर्याप्त प्रयोगशालाएं नहीं हैं। जब्त समाग्री की जांच में महीनों लग जाते हैं, जिससे नतीजे सही नहीं आ पाते हैं। इसलिए आधुनिक उपकरणों से सुसज्जित प्रयोगशालाओं के निर्माण पर विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए।
नशीले ड्रग्स की रोकथाम हेतु सरकार के प्रयास :
- NIDAAN और NCORD पोर्टल का शुभारंभ
- ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट, 1940
- नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रॉपिक सबस्टेंस एक्ट, (NDPS) 1985
- नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रॉपिक सबस्टेंस एक्ट (PITNDPS), 1988।
आपरेशन गरुण
- नशा माफियाओं पर नियंत्रण स्थापित करने के उद्देश्य से सीबीआइ ने इंटरपोल और एनसीबी की मदद से आठ राज्यों में आपरेशन गरुण चालाया था। इस आपरेशन की मदद से हेरोइन, चरस, मेफेड्रोन, स्मैक, नशीले इंजेक्शन, गांजा, अफीम की बड़ी बरामदगी के साथ 6600 संदिग्धों को गिरफ्तार किया जा चुका है।
निष्कर्ष :
- एक अनुमान के अनुसार, कोरोना काल के बाद देश में तेजी से नशीले पदार्थों की खपत बढ़ी है। बढ़ती जनसंख्या, रोजगार की कमी, छोटे व्यवसायियों के रोजगार छिनने, कार्यस्थलों पर तनाव, बच्चों पर पढ़ाई का बोझ, संयुक्त परिवारों में टूटन से बच्चों और किशोरों का बढ़ता अकेलापन उन्हें नशे की तरफ धकेल रहा है।
- अगर सरकारें अभी भी गंभीर नहीं हुर्इं, तो आने वाली पीढ़ियां मानसिक अपंगता के साथ अपराध में प्रवृत्त होंगी।
- गृहमंत्री ने राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के नशा निरोधक कार्यबल को सन 2047 तक देश को नशामुक्त करने का संकल्प अवश्य दिलाया है, मगर ये एजेंसियां और पुलिस इतनी सजग और ईमानदार होतीं तो हालात यहां तक न पहुंचते।
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मुख्य परीक्षा प्रश्न देश के अन्दर युवा पीढ़ी में नशे की वर्तमान स्थिति को स्पष्ट करते हुए, इसकी रोकथाम हेतु उपाय सुझाइए। |