ऑकस समहू के मध्य समझौता

ऑकस समहू के मध्य समझौता

मुख्य परीक्षा: सामान्य अध्ययन-2

(अंतरराष्ट्रीय संबंध)

ख़बरों में क्यों ?

  • हाल ही में अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और ब्रिटेन ने परमाणु संचालित पनडुब्बी समझौते की घोषणा की है, जिसका उद्देश्यहिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन के आक्रामक रवैये का मुकाबला करना है।

प्रमुख बिंदु:

  • इससमझौते के तहत, अमेरिका द्वाराऑस्ट्रेलिया को से कम से कम तीन परमाणु संचालित पनडुब्बियां दी जाएंगी।
  • इस समझौते का मुख्य उद्देश्य ऑकस समूह द्वारा हिंद-प्रशांत क्षेत्रमें चीन की आक्रमक एवं विस्तारवादी नीतियों पर नियंत्रण स्थापित करना है।
  • यहपनडुब्बी समझौताइन तीनों देशों के बीच सुरक्षा समझौते का एक भाग है।
  • इस समझौतेकी घोषणा अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन, ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री एंथनी अल्बनीज और ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक ने अमेरिका के सैन डिएगो में एक शिखर सम्मेलन के बाद की।
  • यह कदम हिंद-प्रशांत क्षेत्र को ‘‘स्वतंत्र व मुक्त’’रखने के लिए उठाया गया है।
  • एसएसएन-एयूकेयूएस’ब्रिटेन की अगली पीढ़ी के एसएसएन डिजाइन पर आधारित होगा, जिसमें अत्याधुनिक अमेरिकी पनडुब्बी प्रौद्योगिकियों को शामिल किया गया है और इसे ऑस्ट्रेलिया और ब्रिटेन दोनों द्वारा बनाया और तैनात किया जाएगा।
  • एसएसएन से तात्पर्य परमाणु संचालित पनडुब्बी है और एयूकेयूएस (ऑकस) ऑस्ट्रेलिया, ब्रिटेन और अमेरिका के बीच हिंद प्रशांत के लिए किए सुरक्षा समझौते को कहा जाता है।
  • यह समझौताभारत सहित एशिया क्षेत्र कोरणनीतिक एवं कूटनीतिक तौरपर प्रभावित कर सकता है।
  • हालाँकि, यह समझौता भारत के लिए आर्थिक और सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण भी साबित हो सकता है।

ऑकस समूह के बारे में:

  • यह ऑस्ट्रेलिया, यूके और यूएस के बीच हिंद-प्रशांत क्षेत्र के लिए एक त्रिपक्षीय सुरक्षा साझेदारी से संबंधित एक गठबंधनसमूह है, जिसकागठनवर्ष 2021में किया गया था।
  • यह गठबंधनतीन देशों के बीच उनके साझा मूल्यों, लोकतंत्र के प्रति प्रतिबद्धता तथा शांतिपूर्ण और समृद्ध भविष्य के समान दृष्टिकोण पर आधारित है।
  • इस समूह का मुख्य उद्देश्यऑस्ट्रेलिया,अमेरिका औरयू.के. के मध्य परमाणु पनडुब्बी से संबंधित प्रौद्योगिकी का आदान प्रदान करना है।

ऑकस समूह का महत्व:

  • यह समूह हिंद-प्रशांत क्षेत्र औरदक्षिण चीन सागर में चीन की आक्रामक गतिविधियोंके विरुद्ध एक सशक्त गठबंधन बनाता है।
  • यह गठबंधन तीनों देशों की राष्ट्रीय सुरक्षा तथा स्थिरताको मजबूत करता है।
  • यहगठबंधनकौशल,रोजगार और बुनियादी ढांचे में रिकॉर्ड निवेश के साथ तीनों देशों को बेहतर रक्षा क्षमता प्रदान करता है। 
  • यहगठबंधनतीन देशों के मध्य विभिन्न बैठकों  के अलावा उभरती प्रौद्योगिकियों जैसेअनुप्रयुक्त आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस, क्वांटम प्रौद्योगिकी और गहन समुद्र क्षमताओंकोविकसित पर भी बल देता है।

ऑकसतथाक्वाडके मध्य संबंध:

  • वर्ष 2017 में'क्वाड' का गठन हिंद-प्रशांत क्षेत्र की जरूरतें पूरी करने और चीन के प्रभाव को समाप्त करने के लिए किया गया था। जबकि 'ऑकस', वर्ष 2021 में गठित तीन देशों के बीच सुरक्षा गठबंधन है।
  • 'ऑकस' का 'क्वाड' से कोई सीधासंबंध नहीं है और न ही इन दोनों की गतिविधियां एक-दूसरे को प्रभावित करती हैं। 
  • हिंद महासागर में सुनामी के बाद, भारत, जापान, ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका ने आपदा राहत प्रयासों में सहयोग करने के लिए एक अनौपचारिक गठबंधन बनाया था। मोटे तौर पर तो क्वाड चार देशों का संगठन है और इसमें भारत, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और जापान शामिल हैं।
  • ये चारों देश विश्व की बड़ी आर्थिक शक्तियां हैं। 2007 में, जापान के तत्कालीन प्रधान मंत्री शिंजो आबे ने इसे क्वाड्रीलैटरल सिक्योरिटी डायलॉग या क्वाड का औपचारिक रूप दिया था।

इससमझौतेके प्रति चीन की प्रतिक्रिया:

  • चीन ने परमाणु संचालित पनडुब्बी समझौतेकी निंदा करते हुए कहा है कि यह समझौता परमाणु अप्रसार संधि (एनपीटी)का उल्लंघन है और तीनों देश ‘‘खतरनाक और गलत रास्ते पर जा रहे हैं।
  • समझौते की घोषणा पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए चीन ने कहा कि ऑकस संधि परमाणु पनडुब्बियों और अन्य अत्याधुनिक सैन्य प्रौद्योगिकी पर सहयोग को आगे बढ़ाने के नाम पर ‘‘शीत युद्ध की मानसिकता’’ को बढ़ावा देतीहै।
  • यह संधि एशियाई देशों के मध्य न केवल हथियारों की होड़ को बढ़ावा देगी बल्किक्षेत्रीय शांति एवं स्थिरता को नुकसान पहुंचाएगी।

इस समझौते का भारत के लिए महत्व:

  • भारतऑस्ट्रेलिया की उन्नत तकनीकी क्षमताओं के सहयोग सेअपनेसंवेदनशील रणनीतिक क्षेत्रों को विस्तारित और सुरक्षितकरसकता है।
  • यह समझौताभारत की तकनीकी क्षमताओं को बढाने के साथ क्षेत्रीय शांति एवं सुरक्षा में योगदान देगा।
  • भारत हिंद-प्रशांत क्षेत्र में सुरक्षा मुद्दों पर ब्रिटेन के साथ घनिष्ठ सहयोग के अवसरों का पूरा लाभ उठा सकता है।
  • भारत अतीत मेंआंग्ल प्रभाव के कारण ख़राब हुए राजनीतिक और आर्थिकसंबंधों को ब्रिटेन के सहयोगसे पुनर्जीवित कर सकता है।
  • चूँकिअमेरिका हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन के प्रभुत्व को नियंत्रित करने के लिए अपने सहयोगियों और भागीदारों की रणनीतिक क्षमताओं को बढ़ावा देता है, इसलिएभारत अमेरिका और उसके सहयोगियों के सहयोग से अपने सामरिक हितों को पूरा कर सकता है ।
  • भारतअन्य बातों के अलावा घनिष्ठ सैन्य सहयोग, संयुक्त अभ्यास और खुफिया जानकारी साझा करने में शामिल हो कर अपनी सैन्य व्यवस्था को सुदृढ़ बनासकता है।
  • भारत समुद्री सुरक्षा, साइबर सुरक्षा और खुफिया सूचना साझेदारी जैसे क्षेत्रों में ऑकसगठबंधनके साथ सहयोग का निर्माण कर सकता है।

आगे की राह:

  • भारतकोराष्ट्रीय सुरक्षा हितों को ध्यान में रखते हुए इस गठबंधन के सहयोग से अवसरों की तलाश करनी चाहिए।
  • भारत को इस गठबंधन के माध्यम से रूस, फ्रांसएवं जापान जैसे देशोंके बीच संबंध बनाए रखने का प्रयास करना चाहिए।
  • भारत कोक्वाड के माध्यम से हिंद प्रशांत क्षेत्र में अपनी स्थिति कोमजबूत करना चाहिए।

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मुख्य परीक्षा प्रश्न

हाल ही में ने ऑकसगठबंधन ने परमाणु संचालित पनडुब्बी समझौते की घोषणा की है जिस पर चीन ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। इस समझौते का भारत के लिए क्या महत्व है?