
पेन्नैयार नदी जल विवाद
पेन्नैयार नदी जल विवाद
मुख्य परीक्षा सामान्य अध्ययन : 2 और 3
(अंतरराज्यीय नदी जल विवाद तथा पर्यावरण से संबंधित चुनौतियां)
ख़बरों में क्यों ?
- पेन्नैयार नदी के लिए एक अंतरराज्यीय नदी जल विवाद न्यायाधिकरण के गठन के लिए सर्वोच्च न्यायालय द्वारा निर्धारित तीन महीने की समय सीमा समाप्त हो गई है, तमिलनाडु केंद्र की अगली कार्रवाई की प्रतीक्षा कर रहा है।
प्रमुख बिंदु:
- सुप्रीम कोर्ट ने दिसंबर में केंद्र को कर्नाटक और तमिलनाडु के बीच जल के बटवारे पर विवाद को हल करने के लिए तीन महीने के भीतर पेन्नैयार नदी जल विवाद न्यायाधिकरण का गठन करने का निर्देश दिया था।
- 2018 में, तमिलनाडु ने नदी पर चेक-डैम और डायवर्जन संरचनाओं के निर्माण के खिलाफ कर्नाटक के खिलाफ एक मुकदमा दायर किया।
- 30 नवंबर, 2019 को, तमिलनाडु ने औपचारिक रूप से केंद्र सरकार से अनुरोध किया कि नदी के पानी पर विवादों के निपटारे के लिए एक न्यायाधिकरण का गठन किया जाए।
- दिसंबर 2022 के मध्य में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को तमिलनाडु और कर्नाटक के बीच विवाद को हल करने के लिए न्यायाधिकरण गठित करने के लिए तीन महीने का समय दिया।
अंतर्राज्यीय नदी जल विवाद
- वर्तमान मेंअंतर्राज्यीय नदी जल विवाद भारतीय संघवाद में सबसे विवादास्पद मुद्दों में से एक है।
- भारत में राज्यों के मध्य नदी जल विवाद सदैव ख़बरों में बने रहते हैं।
- अब तक अनेकअंतर्राज्यीय जल विवाद न्यायाधिकरणों का गठन किया गया है।
- संविधान का अनुच्छेद 262 अंतर-राज्यीय जल विवादों के न्याय एवं निर्णय से संबंधित है।
- संविधान के अनुच्छेद 131 के तहतसर्वोच्च न्यायालय अपने मूल अधिकार क्षेत्र में भारत सरकार और एक या अधिक राज्यों के बीच या भारत सरकार और किसी राज्य या राज्यों के बीच विवाद या दो या दो से अधिक राज्यों के बीच नदी जल विवाद का निर्णय करता है।
पेन्नैयार नदी के बारे में
- यह नदीकर्नाटक के चिक्काबल्लापुरा जिले में नंदी पहाड़ियों से निकलकर तमिलनाडु के बड़े क्षेत्र में प्रवाहित होते हुए बंगाल की खाड़ी में विलुप्तहो जाती है।
- चिन्नार, मारकंडा, वानियार और पंबनइसकीप्रमुख सहायक नदियां हैं।
- इसनदी की कुल लम्बाई 597 किमी है जोकावेरी के बाद तमिलनाडु की दूसरी सबसे लंबी नदी है।
- यह पेन्नार और कावेरी घाटियों के बीच स्थित 12 घाटियों में से दूसरी सबसे बड़ी अंतर्राज्यीय पूर्व की ओर बहने वाली नदी घाटी है।
- इस नदी का सबसे अधिक प्रवाह क्षेत्र तमिलनाडु में है लेकिन यह कर्नाटक और आंध्र प्रदेश राज्यों को भी कवर करती है।
- इसनदी के तट पर बंगलुरु, होसुर, तिरुवन्नामलाई और कुड्डालोर शहर बसे हुएहैं।
भारत में अंतरराज्यीय नदी जल विवाद:
- रावी-व्यास का जल विवाद
- संबंधित राज्य: पंजाब, हरियाणा और राजस्थान
- नर्मदा नदी जल विवाद
- संबंधित राज्य: मध्य प्रदेश, गुजरात, राजस्थान और महाराष्ट्र
- गोदावरी जल विवाद
- संबंधित राज्य: महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, उड़ीसा, मध्य प्रदेश और कर्नाटक
- कृष्णा नदी जल विवाद
- संबंधित राज्य: आन्ध्र प्रदेश, कर्नाटक और महाराष्ट्र
- कावेरी जल विवाद
- संबंधित राज्य: केरल, कर्नाटक, तमिलनाडु और पुडुचेरी
- महादाई जल विवाद
- संबंधित राज्य: गोवा, कर्नाटक और महाराष्ट्र
- कृष्णा नदी जल विवाद
- संबंधित राज्य: कर्नाटक, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश और महाराष्ट्र
- बसंधरा नदी जल विवाद
- संबंधित राज्य: आंध्र प्रदेश और ओडिशा
विवाद सुलझाने के उपाय:
- अंतरराज्यीय परिषद
- यह कार्यान्वयन के लिए संघ सूची की प्रविष्टि 56 में वर्णित रिवर बोर्ड एक्ट, 1956 एक शक्तिशाली कानून है जिसमें संशोधन करने की आवश्यकता है। इस एक्ट के अंतर्गत अंतरराज्यीय नदियों एवं इनके बेसिनों के विनियमन एवं विकास हेतु बेसिन आर्गेनाईजेशन को स्थापित किया जा सकता है।
- मध्यस्थता हेतु कदम बढ़ाना
- दक्षिण एशिया के संदर्भ में, सिंधु बेसिन की नदियों से जुड़े विवाद का सफलतापूर्वक समाधान करने में विश्व बैंक ने भारत एवं पाकिस्तान के मध्य अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इसी तरह राज्यों की बीच मध्यस्थता निभाने के लिए कोई भूमिका हो।
- नदियों को राष्ट्रीय संपत्ति घोषित करना
- नदियों को राष्ट्रीय संपत्ति घोषित करने की मांग लंबे समय से की जा रही है। इससे राज्यों की नदी जल को अपना अधिकार मानने की प्रवृत्ति पर अंकुश लगेगा।
- जल को समवर्ती सूची में शामिल करना
- वर्ष 2014 में तैयार की गई मिहिर शाह रिपोर्ट पर आधारित है, जिसमें जल प्रबंधन हेतु केंद्रीय जल प्राधिकरण की अनुशंसा की गई है। संसदीय स्थायी समिति द्वारा भी इस अनुशंसा का समर्थन किया गया है।
- अंतरराज्यीय जल से संबंधित मुद्दों के लिए संस्थागत मॉडल
- राष्ट्रीय स्तर पर एक स्थायी तंत्र या संस्थागत मॉडल की आवश्यकता है जिसके द्वारा न्यायपालिका की सहायता के बिना राज्यों के मध्य उत्पन्न जल विवाद को हल किया जा सके।
- चार आर को अपनाना
- जलप्रबंधन के लिए 4 आर (रिड्यूस, रियूज, रिसाइकिल, रिकवर) का प्रयोग हो।
- राष्ट्रीय जल नीति का पालन करना: राष्ट्रीय जल नीति के तहत जल के उचित उपयोग और जल स्नोतों के संरक्षण हेतु प्रविधान।
- नदियों को जोड़ना: यह बेसिन क्षेत्रों में नदी जल के पर्याप्त वितरण में सहायक हो सकता है।
निष्कर्ष:
- जल एक राष्ट्रीय सम्पत्ति है। नदी जल पर प्रादेशिक सम्प्रभुता की बात अतार्किक है। कोई भी राज्य नदी के स्वामित्व को लेकर दावा नहीं कर सकता है। नदी जल विवाद के समाधान हेतु जल के ‘न्यायसंगत वितरण या उपयोग’ के सिद्धांत पर बल दिया जाना चाहिए।
- अंतर्राज्यीय नदी जल विवादों के जल्द समाधान हेतु राज्यों के मध्य अलग-अलग अधिकरणों के स्थान पर एक स्थाई अधिकरण की स्थापना की आवश्यकता है।
- अंतर्राज्यीय नदी जल विवाद अधिनियम की कमियों को दूर किया जाना चाहिए।
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मुख्य परीक्षा प्रश्न:
भारत में प्रमुख अंतर-राज्यीय नदी जल विवादों का उल्लेख करते हुए अंतर-राज्यीय नदी जल विवादों के समाधान हेतु उपाय लिखिए।