प्रयोगशाला में विकसित हीरों (एलजीडी) का महत्व

प्रयोगशाला में विकसित हीरों(एलजीडी)का महत्व

मुख्य परीक्षा सामान्य अध्ययन:3 -विज्ञान और प्रौद्योगिकी

सुर्खियों में क्यों:

  • वित्त वर्ष 2023-24 के बजट में प्रयोगशाला में हीरा निर्माण में उपयोग किए जाने वाले बीजों परसीमा शुल्क को कम करने की घोषणा की गयी।
  • इसके अतिरिक्त भारत में प्रयोगशाला में विकसित हीरों के विकास को सुगम बनाने के लिए आईआईटी को अनुदान देने की घोषणाभी कीगयी।
  • इस घोषणा से प्रयोगशाला में निर्मित हीरों के बीजों, मशीनों के स्वदेशी उत्पादन को बढ़ावा मिलेगा और आयात निर्भरता कम होगी

प्रयोगशाला में विकसित हीरे (एलजीडी):

  • ऐसे हीरे जो प्रयोगशाला में विशिष्ट तकनीक का उपयोग करके विकसित किए जाते हैं, प्रयोगशाला में विकसित हीरेअर्थात एलजीडी कहलाते हैं।
  • सिंथेटिक हीरों की तापीय चालकता उच्च होती है जबकि विद्युत चालकता नगण्य होती है।

एलजीडी की उत्पादन प्रक्रिया:

  • एलजीडी ज्यादातर दो प्रक्रियाओं के माध्यम से निर्मित होते हैं:
  1. उच्च दबाव, उच्च तापमान (एचपीएचटी) विधि
  2. रासायनिक वाष्प जमाव (सीवीडी) विधि

उच्च दबाव, उच्च तापमान (एचपीएचटी) विधि:

  • एचपीएचटी विधि में अत्यधिक भारी प्रेस का उपयोग किया जाता है।
  • इस विधि में अत्यधिक उच्च तापमान (कम से कम 1500डिग्री सेल्सियस) के तहत 730,000 पीएसआई तक दबाव उत्पन्न होता है।
  • सामान्यत:"हीरे के बीज" के रूप में ग्रेफाइट का उपयोग किया जाता है।
  • इस विधि में कार्बन का अपेक्षाकृत सस्ता रूप कार्बन के सबसे महंगे रूपों में से एक में बदल जाता है।

रासायनिक वाष्प जमाव (सीवीडी) विधि:

  • इस विधि में हीरे के बीज का एक पतला टुकड़ा एक सीलबंद कक्ष में रखकर लगभग 800 डिग्री सेल्सियस तक गरम किया जाता है, और फिर कक्ष में मीथेन जैसी अन्य कार्बनिक गैसों को भर दिया जाता है।
  • माइक्रोवेवया लेजर जैसी तकनीकों का उपयोग करके इन कार्बनिक गैसों को प्लाज्मा में आयनित किया जाता है।
  • आयनीकरण की यह प्रक्रिया गैसों से प्राप्त कार्बन को हीरे के बीज के साथ विलय करके हीरे की परत में परिवर्तित कर देता है।

अनुप्रयोग:

  • कृत्रिम हीरों से उनके अधिक ऑप्टिकल फैलाव के कारण विशेष चमक प्रदान करने वाले हीरे बनाए जाते हैं।
  • नियंत्रित वातावरण में बनाए जाने के कारण एलजीडी के गुणों को बढ़ाया जा सकता है।
  • एलजीडी का विकास औद्योगिक उद्देश्यों की पूर्ति हेतु मशीनों और उपकरणों के निर्माण में किया जाता है।
  • ये अलग-अलग कठोरता वाले कटर के निर्माण में उपयोग किए जाते हैं।
  • कम से कम विद्युतउपभोग होने के कारण इन हीरों का उपयोग उच्च शक्ति वाले लेजर डायोड, लेजर और उच्च शक्ति वाले ट्रांजिस्टरों के निर्माण में किया जाता है।

एलजीडी का महत्व:

  • प्रयोगशाला में विकसित हीरे का पर्यावरणीय फुटप्रिन्ट प्राकृतिक हीरे की अपेक्षा बहुत कम होता है।
  • एक रिपोर्ट के अनुसार, पृथ्वी से एक प्राकृतिक हीरे को निकालने में प्रयोगशाला में विकसित हीरे से दस गुना अधिक ऊर्जा लगती है।
  • प्रयोगशाला में विकसित हीरों को मांग आधारित गुणों के अनुकूल विकसित किया जा सकता है। उच्च कठोरता वाले कटरों के निर्माण मे उपयोगी होते हैं।
  • इनसे विशेष चमक वाले हीरे बनाए जा सकते हैं।
  • इनके द्वारा विशेष प्रकार के ऑप्टिकलफाइबर केबिलों का निर्माण किया जा सकता है।
  • ये उच्च क्षमता वाले इलेक्ट्रानिक्स उपकरणों के निर्माण में सहायक हैं।

भारतीय हीरा उद्योग

  • हीरा मुख्य रूप से दो प्रकार के निक्षेपों से प्राप्त होता है:
  1. बुनियादी या अल्ट्राबेसिक संरचना की आग्नेय चट्टानों से
  2. प्राथमिक स्रोतों से प्राप्त जलोढ़ निक्षेपों से
  • भारत का हीरा क्षेत्र चार क्षेत्रों में विभाजित है:
  1. आंध्र प्रदेश का दक्षिण भारतीय क्षेत्र:अनंतपुर, कडप्पा, गुंटूर, कृष्णा, महबूबनगर और कुरनूल।
  2. मध्य प्रदेश का मध्यक्षेत्र:पन्ना बेल्ट।
  3. छत्तीसगढ़राज्य:बहरदीन-कोडावली क्षेत्र (रायपुर) और तोकापाल, दुगपाल क्षेत्र (बस्तर)।
  4. ओडिशा राज्य:महानदी और गोदावरी घाटियों के बीच स्थित पूर्वी भारतीय क्षेत्र।
  • भारत हीरों के लिए दुनिया का सबसे बड़ा कटिंग और पॉलिशिंग केंद्र है।
  • भारत दुनियाभर में निर्मित कुल हीरों में से 90% से अधिक हीरों की कटिंग एवं पॉलिशकरताहै।
  • भारत दुनियाभर में पॉलिश किए गए हीरे, रत्नों और आभूषणों का 75% से अधिक निर्यात करता है।
  • भारत अपने कटिंग और पॉलिशिंग उद्योग के लिए बड़े पैमाने पर कच्चे रत्न हीरों का आयात करता है क्योंकि मध्य प्रदेश में एक उत्पादक को छोड़कर कोई उल्लेखनीय उत्पादन नहीं होता है।
  • निर्यातोन्मुख और श्रम प्रधान होने के कारणयह क्षेत्र 5 मिलियन से अधिक लोगों को रोजगार देता है।
  • यह देश की जीडीपी में लगभग 7% और भारत के कुल माल निर्यात में 15% का योगदान देता है।

चुनौतियां:

कुछ ऐसे कारक हैं जो भारत में हीरा उद्योग को प्रभावित कर रहेहैं:

  • कच्चे माल की आपूर्ति में अनिश्चितताबनी रहना,
  • असंगठित बाजार जिसमें परिवार के स्वामित्व वाली कंपनियां शामिल हैं,
  • हीरों की कीमतों में अत्यधिक वृद्धि होना,
  • अंतरराष्ट्रीय मांग में गिरावट होते रहना,
  • चीन जैसे देशों से कड़ी प्रतिस्पर्धा होना।

निष्कर्ष:

  • भारत सरकार हीरा निर्यात से बड़ी मात्रा में विदेशी मुद्रा अर्जित करसकती है, इसलिए सरकार को सिंथेटिक हीरे के निर्माण लागत को कम करने एवं रोजगार सृजन हेतु अत्याधुनिक तकनीक के विकास को बढ़ावा देना चाहिए।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

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मुख्य परीक्षा प्रश्न:

भारतीय हीरा उद्योग की वर्तमान स्थिति को स्पष्ट करते हुए एलजीडी के महत्व को लिखिए