पश्चिम बंगाल में “संदेशखाली” हिंसा

पश्चिम बंगाल में “संदेशखाली” हिंसा

जीएस-3: आंतरिक सुरक्षा

(यूपीएससी/राज्य पीएससी)

प्रारंभिक परीक्षा के लिए महत्वपूर्ण:

सुंदरबन ,उत्तर 24 परगना जिला, संदेशखाली क्षेत्र, टीएमसी पार्टी, कानून प्रवर्तन एजेंसी, मनी लॉन्ड्रिंग, राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB), कोलकाता उच्च न्यायालय, अनुसूचित जाति एवं जनजाति आयोग, केन्द्रीय महिला आयोग।

मुख्य परीक्षा के लिए महत्वपूर्ण:

पश्चिम बंगाल में “संदेशखाली” हिंसा, हिंसा के प्रमुख कारण, प्रभाव, आगे की राह, निष्कर्ष।

21 फ़रवरी 2024

ख़बरों में क्यों:

हाल ही के दिनों में पश्चिम बंगाल के उत्तर 24 परगना जिले में स्थित संदेशखाली क्षेत्र “अशांति”, “हिंसा” और राजनीतिक विवाद का केंद्र बिंदु बन गया है, जिससे देशभर में महिला पीड़ितों के लिए जवाबदेही और न्याय की मांग उठ रही है।

पश्चिम बंगाल में “संदेशखाली” हिंसा:

हिंसा के प्रमुख कारण:

  • संदेशखाली” हिंसा और विवाद के केंद्र में सत्ताधारी दल टीएमसी के प्रभावशाली नेता शेख शाहजहां और उनके सहयोगियों पर कई गंभीर आरोप हैं जिसके कारण इस हिंसा ने रूप लिया है:
  • संदेशखाली क्षेत्र की महिलाओं और बच्चों पर अत्याचार और यौन उत्पीड़न के मामले।
  • क्षेत्रीय महिलाओं का अपहरण, जबरन धन वसूली और अवैध तरीके से लोगों की भूमि पर कब्ज़ा करना।
  • राशन आवंटन घोटाला और मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े मामले।
  • आवास पर छापेमारी के दौरान कानून प्रवर्तन एजेंसियों के अधिकारियों पर प्रत्यक्ष तौर हिंसा करना का मामला।  
  • बढ़ते सबूतों और सार्वजनिक आक्रोश के बावजूद, शाहजहाँ को गिरफ्तार न किया जाना, और पुलिस और सत्तारूढ़ व्यवस्था के बीच मिलीभगत का संदेह होना।

संदेशखाली क्षेत्र के बारे में:

  • सन्देशखाली कोलकाता से 100 किलोमीटर दूर 24 उत्तरी परगना जिले में स्थित एक गाँव है। यह गांव सुंदरबन में एक द्वीप है, जो बांग्लादेश की सीमा के करीब स्थित है।

इस हिंसा के प्रभाव:

  • इससे सरकार के समक्ष आतंरिक सुरक्षा संबंधी चुनौतियां बढेंगी।
  • इससे राज्य सरकार द्वारा संचालित सामाजिक, आर्थिक एवं शिक्षा संबंधी योजनाओं पर नकारात्मक प्रभाव पड़ने की आशंका बढ़ेगी।
  • इससे राज्य में अंतर-सामुदायिक तनाव और जाति-आधारित भेदभाव बढ़ सकता है।
  • संप्रदायिकता, नक्सलवाद एवं धार्मिक उन्माद से जुड़ी घटनों की पुनरावृत्ति हो सकती है।
  • संदेशखाली हिंसा के परिणाम न केवल संदेशखाली समुदाय के भविष्य को नया आकार देंगे, बल्कि कानून के शासन को बनाए रखने और हाशिये पर पड़े लोगों के अधिकारों की रक्षा के लिए न्यायपालिका की प्रतिबद्धता के लिए जटिल चुनौती का काम करेंगे।
  • राजनीतिक उथल-पुथल और सामाजिक अशांति से जूझ रहे राज्य में, संदेशखाली हिंसा मामले का समाधान न्याय और जवाबदेही के लिए व्यापक संघर्ष पर गहरा प्रभाव डालेगा।
  • इससे शेख शाहजहाँ जैसे व्यक्तियों को राजनीतिक संरक्षण, और अधिक बढ़ावा मिल सकता है।
  • इससे ग़रीब, वंचित और आर्थिक हाशिए पर रहने वाले लोगों में लोकतांत्रिक सरकार की नीतियों एवं प्रशासन के प्रति और अधिक शिकायतें और निराशा बढ़ सकती है।
  • इससे महिलाओं के खिलाफ लिंग आधारित हिंसा और भेदभाव और अधिक बढ़ सकता है।

महिलाओं के लिए कितना सुरक्षित है पश्चिम बंगाल राज्य:

गुमशुदा (मिसिंग) के मामले:

  • राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के आंकड़े बताते हैं कि महिलाओं के गुमशुदा (मिसिंग) होने के मामले में पश्चिम बंगाल भारत का दूसरा सबसे बड़ा राज्य है।
  • वर्ष 2018 में जहां महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा 33,964 महिलाओं के मिसिंग होने की रिपोर्ट दर्ज हुई, वहीं उससे कम जनसंख्या वाले राज्य पश्चिम बंगाल में 31,299 ऐसे मामले दर्ज हुए। पश्चिम बंगाल में कोलकाता, नादिया, बारासात, बराकपुर, मुर्शिदाबाद में सबसे ज्यादा मामले दर्ज किए गए।

महिलाओं के खिलाफ अपराध मामले:

  • महिलाओं के खिलाफ अपराध मामले में भी पश्चिम बंगाल अग्रणी राज्यों में शामिल है।
  • एएनसीआरबी(NCRB) के अनुसार, 2020 में महिलाओं के खिलाफ सबसे ज्यादा लगभग 49 हजार मामले उत्तर प्रदेश के बाद दूसरे नंबर यूपी से आधी आबादी वाले राज्य पश्चिम बंगाल (36,439) में सामने आए थे

लोकतांत्रिक एवं संवैधानिक संस्थाओं की प्रतिक्रियाएं:

कोलकाता उच्च न्यायालय:

  • कोलकाता उच्च न्यायालय ने संदेशखाली हिंसा से जुड़े मुद्दों पर स्वत: संज्ञान लिया है।
  • जिसमें कोर्ट ने पुलिस द्वारा लगाए गए निषेधाज्ञा को पलटते हुए यौन उत्पीड़न और आदिवासियों की ज़मीनों पर ज़बरदस्ती कब्ज़े से जुड़े मुद्दों की जांच के लिए एक विशेष जांच समिति की नियुक्त की है।

अनुसूचित जाति एवं जनजाति आयोग:

  • अनुसूचित जाति एवं जनजाति आयोग ने इस घटना के प्रतिक्रिया स्वरुप प. बंगाल में राष्ट्रपति शासन लगाने की सिफारिश की है।

केन्द्रीय महिला आयोग:

  • राष्ट्रीय महिला आयोग ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया कि टीएमसी नेताओं ने  महिलाओं का उत्पीड़न किया है, जिसके लिए सख्त कार्यवाही की आवश्यकता है।   

आगे की राह:

  • संदेशखाली में हिंसा और अशांति प्रभावित समुदाय की शिकायतों को दूर करने और कानून के शासन में विश्वास बहाल करने के लिए निम्नलिखित कदम उठाए जाने की आवश्यकता हैं:
  • त्वरित और पारदर्शी जांच: यौन उत्पीड़न और हिंसा के आरोपों की सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में त्वरित और पारदर्शी तरीके से पूरी जांच की जानी चाहिए।
  • गिरफ्तारी और अभियोजन: शेख शाहजहाँ और उसके सहयोगियों सहित अत्याचार करने के आरोपियों को पकड़ा जाना चाहिए और तेजी से न्याय के कटघरे में लाया जाना चाहिए। कानून को सभी व्यक्तियों पर समान रूप से लागू होना चाहिए, चाहे उनकी राजनीतिक संबद्धता या प्रभाव कुछ भी हो।
  • पुलिस सुधार और जवाबदेही: मिलीभगत और मिलीभगत के आरोपों से निपटने के लिए पुलिस सुधार की तत्काल आवश्यकता है। अपने कर्तव्यों की उपेक्षा करने या न्याय में बाधा डालने वाले पुलिस अधिकारियों को जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए।
  • लैंगिक संवेदनशीलता और यौन हिंसा के मामलों से निपटने पर केंद्रित प्रशिक्षण कार्यक्रम भी लागू किए जाने चाहिए।
  • पीड़ितों के लिए सहायता: यौन उत्पीड़ित पीड़ितों को अधिक से अधिक सहायता प्रदान करने के प्रयास किए जाने चाहिए। इसमें चिकित्सा देखभाल, परामर्श सेवाएं, कानूनी सहायता और आगे के नुकसान या धमकी से सुरक्षा तक पहुंच शामिल है।
  • सामुदायिक जुड़ाव और मेल-मिलाप: विश्वास के पुनर्निर्माण और मेल-मिलाप को बढ़ावा देने के लिए स्थानीय समुदाय के साथ संवाद और जुड़ाव आवश्यक है। नागरिक समाज संगठन, मानवाधिकार समूह और सामुदायिक नेता विभिन्न हितधारकों के बीच बातचीत को सुविधाजनक बनाने और समझ को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।
  • निवारक उपाय: भविष्य में हिंसा और अन्याय की घटनाओं को रोकने के लिए, लिंग आधारित हिंसा पर जागरूकता अभियान, स्थानीय शिकायत निवारण तंत्र को मजबूत करना और महिला सुरक्षा और सशक्तिकरण पहल को बढ़ाने जैसे दीर्घकालिक उपायों को प्राथमिकता दी जानी चाहिए।
  • निगरानी: यह सुनिश्चित करने के लिए कि न्याय मिले और सभी व्यक्तियों के अधिकारों की रक्षा हो, राष्ट्रीय महिला आयोग और मानवाधिकार संगठनों सहित स्वतंत्र निकायों द्वारा निरंतर निगरानी की जानी चाहिए।
  • सरकारी जवाबदेही: अंततः, सरकार के सभी स्तरों पर जवाबदेही होनी चाहिए। संदेशखाली में संकट के समाधान में अधिकारियों को उनके कार्यों या निष्क्रियता के लिए जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए। पारदर्शी संचार और जांच की प्रगति और की गई कार्रवाइयों पर नियमित अपडेट से जनता का विश्वास बनाए रखने में मदद मिलेगी।

निष्कर्ष:

  • पश्चिम बंगाल के संदेशखाली में हाल में महिला उत्पीड़न के कारण तनाव व हिंसा अति चिन्तनीय है। राज्य में लोकतंत्र की बहाली के लिए राज्य एवं केंद्र सरकार को इस मामले में निष्पक्ष होकर दोषियों के खिलाफ सख़्त कानूनी कार्रवाई करनी चाहिए ताकि आगे ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति ना हो सके।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

मुख्य परीक्षा प्रश्न:

पश्चिम बंगाल में “संदेशखाली” हिंसा के कारण और प्रभाव में संतुलन स्थापना हेतु आगे की राह पर चर्चा कीजिए।