पशुजन्य रोग: मानव जीवन के लिए खतरा

पशुजन्य रोग: मानव जीवन के लिए खतरा

प्रिलिम्स के लिए महत्वपूर्ण:

संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम’ (यूएनईपी), अंतरराष्ट्रीय पशुधन अनुसंधान संस्थान, कोविड-19 महामारी, पशुजन्य रोग-एड्स, रेबीज, इबोला कोरोना वायरस, स्केबीज, ब्रूसेलोसिस, स्वाइन फ्लू, डेंगू, बर्ड फ्लू, निपाह, ग्लैंडर्स साल्मोनेलोसिस, मंकी फीवर, मंकी पाक्स, प्लाक, हेपेटाइटिस ई, पैरटफीवर, ट्यूबरक्यूलोसिस (तपेदिक), जीका विषाणु, सार्स रोग।

मेन्स के लिए महत्वपूर्ण:

GS-3: पशुजन्य रोग: वैश्विक परिदृश्य, पशुजन्य रोगों में वृद्धि के कारक, समाधान।

21 नवंबर, 2023

संदर्भ:

वर्ष 2023 में ‘संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम’ (यूएनईपी) तथा ‘अंतरराष्ट्रीय पशुधन अनुसंधान संस्थान’ (आइएलआरआइ) द्वारा कोविड-19 महामारी के संदर्भ में ‘प्रिवेंटिंग द नेक्स्ट पेंडेमिक: जूनोटिक डिजीज एंड हाउ टू ब्रेक द चेन आफ ट्रांसमिशन’ नामक रिपोर्ट जारी की गई।

  • यह रिपोर्ट मनुष्यों में होने वाली पशुजन्य रोगों की प्रकृति और प्रभाव को संदर्भित करती है। इस रिपोर्ट के अनुसार, मनुष्यों में फैलने वाले 60 फीसद रोग पशुजन्य हैं।

पशुजन्य रोग:

  • पशुजन्य रोग मनुष्य में जानवरों द्वारा जीवाणु, विषाणु या परजीवी आदि के माध्यम से फैलते हैं।
  • एचआइवी-एड्स, इबोला, मलेरिया, रेबीज तथा कोरोना वायरस, स्केबीज, ब्रूसेलोसिस, स्वाइन फ्लू, डेंगू, बर्ड फ्लू, निपाह, ग्लैंडर्स साल्मोनेलोसिस, मंकी फीवर, मंकी पाक्स, प्लाक, हेपेटाइटिस ई, पैरटफीवर, ट्यूबरक्यूलोसिस (तपेदिक), जीका विषाणु, सार्स रोग आदि पशुजन्य रोग हैं।

वैश्विक परिदृश्य:

स्टेट आफ द वर्ल्ड फारेस्ट’ रिपोर्ट 2022 के अनुसार,

  • नए पशुजन्य रोगों के मामले में, भारत और चीन  सबसे बड़े ‘हाटस्पाट’ (चिह्नित स्थल) के रूप में उभर कर सामने आए हैं।
  • निम्न-मध्यम आय वाले देशों में पशुजन्य बीमारियां बहुत तेजी से बढ़ रही हैं। विश्व भर में हर वर्ष दस लाख लोग पशुजन्य रोगों के कारण मर जाते हैं। वर्तमान में दो सौ से अधिक पशुजन्य रोगों का पता लगाया जा चुका है।

चेतावनी:

  • शोधकर्ताओं के मुताबिक़ 2050 तक, इस तरह के संक्रमण से कोविड से 2020 में हुई मौतों की संख्या की तुलना में बारह गुना अधिक मौतें हो सकती हैं।

मृत्यु का आधुनिक कारण

  • ब्रिटिश मेडिकल जर्नल के अनुसार, दुनियाभर में अधिकांश मृत्यु के आधुनिक कारणों में से पशुजन्य संक्रमण है।

मानव स्वास्थ्य के लिए खतरा है विषाणु:

  • शोधकर्ताओं ने 3,150 कोशिकाओं और अनेक महामारियों पर किए गए शोध के दौरान ऐसे चार विषाणु  समूहोंका पता लगाया, जो सार्वजनिक स्वास्थ्य और आर्थिक तथा राजनीतिक स्थिरता के लिए एक बड़ा खतरा पैदा करने की क्षमता रखते थे।
  • इनमें खतरनाक विषाणु समूह के अंतर्गत फिलो विषाणु (इबोला, मारवाड़), सार्स कोरोना विषाणु 1, निपाह विषाणु और माचुपी विषाणु शामिल हैं।

पशुजन्य रोग

एड्स:

  • अमेरिकी और ब्रिटिश शोधकर्ताओं ने एड्स के लिए जिम्मेदार विषाणुओं को अफ्रीका के बंदरों में खोजा है। शोधकर्ताओं के अनुसार विषाणु चिंपांजी में शायद उस समय प्रवेश कर गए, जब उसने बंदर के दूषित मांस का भक्षण कर लिया था।
  • उल्लेखनीय अध्ययनों के अनुसार, एचआइवी विषाणु सिमियन इम्यूनो डिफिशिएंसी वायरस (एसआइवी) से पैदा हुआ था, जो चिंपांजी में पाया जाता है। शोधकर्ताओं ने अफ्रीका के बंदरों में मौजूद एचआइवी की बहुत-सी नस्लों की आनुवंशिक स्वरूप का अध्ययन किया था।
  • निष्कर्ष के तौर पर, केवल दो नस्लें एचआइवी के लिए जिम्मेदार हैं, जो अफ्रीका के चिंपांजियों में पाए जाते हैं। यानी एड्स एक पशुजन्य रोग है।

एड्स से संबधित मामले:

संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी)अनुसार,

  • विश्व में प्रतिदिन बीस हजार से अधिक लोग एड्स के शिकार होते हैं और बारह हजार से अधिक लोगों की मौत इस बीमारी से हो जाती है।
  • 90 फीसद एड्स प्रभावित लोग विकासशील देशों के हैं। अब तक 2 करोड़ 50 लाख से अधिक मौतें एड्स से हो चुकी हैं।
  • विश्व में एड्स मरीजों की संख्या छह करोड़ से भी अधिक है। इनमें से दस लाख से अधिक लोग अरब देशों से हैं, और सर्वाधिक सूडान के हैं।
  • सिंगापुर में संयुक्त राष्ट्र के एड्स विशेषज्ञों ने चेतावनी दी थी कि दुनिया के दो सर्वाधिक घनी आबादी वाले देशों- चीन और भारत में एड्स भयावह रूप ले चुका है।
  • ‘सेंटर फार डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन’ (सीडीसी) के अनुसार, एशिया महाद्वीप के कंबोडिया में एड्स की बीमारी विस्फोटक रूप ले चुकी है।

रेबीज:

  • वैश्विक स्तर पर कुत्तों के काटने से होने वाली कुल मौतों में से अकेले 36 फीसद रेबीज से होती हैं।
  • भारत में लगभग बीस हजार लोग हर साल रेबीज के कारण मर जाते हैं।

इबोला:

  • इस पशुजन्य रोग से अफ्रीकी महाद्वीप के अधिकांश देश प्रभावित रहे हैं। अफ्रीकी महाद्वीप में बड़े पैमाने पर दुनिया के वर्षावनों के साथ-साथ दुनिया में सबसे तेज गति से बढ़ रही जनसंख्या भी विद्यमान है, जिसके चलते पशुओं, वन्यजीवन और मनुष्यों में संपर्क के कारण संक्रमण के मामले बढ़े हैं।

                 

पशुजन्य रोगों में वृद्धि के कारक:

  • इस रिपोर्ट में पशुजन्य रोगों में वृद्धि के लिए निम्नलिखित सात कारकों को उत्तरदायी माना गया है:
  • पशु प्रोटीन की बढ़ती मांग,
  • गहन और अस्थिर खेती में वृद्धि,
  • वन्यजीवों का बढ़ता उपयोग और शोषण,
  • प्राकृतिक संसाधनों का निरंतर उपयोग,
  • यात्रा और परिवहन,
  • खाद्य आपूर्ति शृंखलाओं में बदलाव और
  • जलवायु परिवर्तन।
  • वर्तमान में पशु जन्य बीमारियों के सबसे बड़े कारकों में आवारा पशु हैं।

समाधान:

भविष्य में पशुजनित संक्रमण को निम्नलिखित तरीकों से रोकने में मदद मिल सकती है:

  • ‘स्वास्थ्य पहल’ पर बहुविषयक/ अंतर्विषयक तरीकों से निवेश पर जोर दिया जाना चाहिए।
  • पशुजन्य संक्रमण/ बीमारियों पर वैज्ञानिक खोज को बढ़ावा देना,
  • पशुजनित बीमारियों के प्रति जागरूकता बढ़ाने पर बल,
  • बीमारियों के संदर्भ में जवाबी कार्रवाई के लागत-लाभ विश्लेषण को बेहतर बनाना और समाज पर बीमारियों के फैलाव का विश्लेषण करना।
  • पशुजनित बीमारियों की निगरानी और नियामक तरीकों को मजबूत बनाना,
  • भूमि प्रबंधन स्थायित्व को प्रोत्साहन देना तथा खाद्य सुरक्षा को बढ़ाने के लिए वैकल्पिक उपायों को विकसित करना, ताकि आवास स्थलों और जैवविविधिता का संरक्षण किया जा सके।
  • जैव सुरक्षा और नियंत्रण को बेहतर बनाना, पशुपालन में बीमारियों के होने के कारणों को पहचानना तथा उचित नियंत्रण उपायों को बढ़ावा देना।
  • कृषि और वन्यजीव के सह-अस्तित्व को बढ़ावा देने के लिए भूदृश्य के स्थायित्व को सहारा देना,
  • सभी देशों में स्वास्थ्य क्षेत्र में हिस्सेदारों की क्षमताओं को मजबूत बनाना,
  • अन्य क्षेत्रों में भूमि-उपयोग और सतत विकास योजना, कार्यान्वयन तथा निगरानी के लिए एक स्वास्थ्य दृष्टिकोण का संचालन करना। साथ ही सबसे महत्त्वपूर्ण है आवारा पशुओं को सहारा देना।
  • पशुजन्य रोगों से निजात पाने के लिए वन्यजीवों तथा पारिस्थितिकी तंत्र में समन्वय करने की आवश्यकता है।

निष्कर्ष:

वैश्विक महामारियां मानव जीवन और अर्थव्यवस्था दोनों को नष्ट कर रही हैं। पशुजनित बीमारियों का सबसे ज्यादा असर निर्धन और निर्बल समुदायों पर होता है। इसलिए भविष्य में महामारियों को रोकने के लिए अपने प्राकृतिक पर्यावरण की रक्षा पर विचार करने की अधिक आवश्यकता है। विज्ञान एवं तकनीकी के आधुनिक नवाचार, जैसे टीकाकरण और अन्य स्वस्थ्य विधियों द्वारा पशुजनित बीमारियों को फैलने से रोका जा सकता है, ताकि यह कोविड-19 जैसी अन्य महामारियों का रूप न धारण कर पाए।

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मुख्य परीक्षा प्रश्न

वैश्विक स्तर पर पशुजनित महामारियां मानव जीवन और अर्थव्यवस्था दोनों को नष्ट कर रही हैं। विवेचना कीजिए।