‘पोषण भी, पढाई भी’ अभियान

‘पोषण भी, पढाई भी’ अभियान

मुख्य परीक्षा : सामान्य अध्ययन 2,3

( सामाजिक न्याय से संबंधित योजनाएं, मिशन एवं अभियान )

चर्चा में क्यों :

  • हाल ही में, केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने केंद्र के प्रमुख कार्यक्रम 'पोषण भी, पढाई भी' अभियान का शुभारंभ किया, जो देश भर के आंगनवाड़ियों में बचपन की देखभाल और शिक्षा (ईसीसीई) पर केंद्रित होगा।

‘पोषण भी, पढाई भी’ अभियान के बारे में :

  • यह अभियान महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा 14 लाख आंगनवाड़ी केंद्रों में प्रारंभिक बचपन की देखभाल और शिक्षा पर ध्यान केंद्रित करने के उद्देश्य से सितंबर 2022 में घोषित किया गया था
  • बचपन की देखभाल, शिक्षा के लिए केंद्र सरकार द्वारा शुरू किया गया यह अभियान एक आंगनवाड़ी योजना है।  
  • जिसका उद्देश्य न केवल आंगनवाड़ी केंद्रों को पोषण केंद्र बनाना है, बल्कि शिक्षा प्रदान करने वाले केंद्र भी बनाना है।
  • ईसीसीई को लागू करने के लिए आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं के प्रशिक्षण के लिए 600 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं।
  • इस अभियान के तहत राष्ट्रीय जन सहयोग एवं बाल विकास संस्थान (एनआईपीसीसीडी) को आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं के प्रशिक्षण के लिए अनुबंधित किया गया है।

महत्व :

  • यह केंद्र प्रायोजित अभियान नई शिक्षा नीति के तहत ईसीसीई मातृभाषा में शिक्षा पर ध्यान केंद्रित करेगा।
  • राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के दिशा-निर्देशों के अनुसार, सरकार ‘पोषण भी पढ़ाई भी’अभियान के साथ-साथ देश की भावी पीढ़ियों की नींव को मजबूत करने के लिए निर्धारित लक्ष्य तय कर सकेगी। 
  • सरकार राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा में वर्णित प्रत्येक क्षेत्र में बच्चों के विकास को लक्षित करेगी, जिसमें शारीरिक व मानसिक विकास, ज्ञान-संबंधी विकास, सामाजिक-भावनात्मक-नैतिक विकास, सांस्कृतिक/कलात्मक विकास और संचार एवं प्रारंभिक भाषा, साक्षरता का प्रसार तथा अंकज्ञान शामिल हैं। 
  • सभी राज्य दिव्यांग बच्चों के लिए विशेष सहायता के अलावा 0-3 वर्ष के बच्चों के साथ ही 3-6 वर्ष के बच्चों के विकासात्मक स्तर पर लक्षित, खेल-आधारित, गतिविधि आधारित सीखने की शिक्षा के लिए राष्ट्रीय प्रारंभिक बाल्यावस्था देखभाल एवं शिक्षा कार्य दल की सिफारिशों का पालन करेंगे।
  • ‘पोषण भी पढ़ाई भी’ अभियान के माध्यम से प्रत्येक बच्चे को दैनिक आधार पर कम से कम दो घंटे की उच्च गुणवत्ता वाली आरंभिक विद्यालयी शिक्षा प्रदान की जाएगी।  
  • राष्ट्रीय शिक्षा नीति की सिफारिशों के अनुरूप, आंगनबाड़ी केन्द्रों को उच्च गुणवत्ता वाले बुनियादी ढाँचे, खेल के उपकरण और अच्छी तरह से प्रशिक्षित आंगनवाड़ी कार्यकर्त्ता/शिक्षकों के साथ सशक्त बनाया जा सकेगा।
  • यह अभियान बच्चों के लिए समग्र एवं गुणवत्तापूर्ण प्रारंभिक प्रोत्साहन और आरंभिक-प्राथमिक शिक्षा को बढ़ावा देने, विकासात्मक रूप से उपयुक्त शिक्षाशास्त्र के उपयोग को सुनिश्चित करने तथा प्राथमिक शिक्षा के साथ-साथ शुरुआती बचपन के समय में स्वास्थ्य व पोषण संबंधी सेवाओं पर जोर देने पर ध्यान केंद्रित करेगी।
  • इस अभियान के माध्यम से मातृभाषा में सीखने एवं सिखाने हेतु आंगनवाड़ी सेविकाओं को विभिन्न प्रकार की शिक्षण अधिगम सामग्री प्रदान की जाएगी
  • यह अभियान देश की भावी पीढ़ियों की नींव को मजबूत करने में समुदायों को शामिल करने के लिए एक जन आंदोलन बनाने में मदद करेगा।

प्रारंभिक बाल्यावस्था देखभाल एवं शिक्षा (ईसीसीई) हेतु राष्ट्रीय कार्यक्रम :

  • मिशन सक्षम आंगनवाड़ी और पोषण अभियान के दूसरे चरण (मिशन पोषण 2.0) के तहत 10 मई, 2023 को इस राष्ट्रीय कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है।
  • यह कार्यक्रम नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति,2020 के तहत उल्लिखित है। 
  • इस कार्यक्रम में महाराष्ट्र, मेघालय, उत्तर प्रदेश और तमिलनाडु राज्यों की सर्वश्रेष्ठ प्रारंभिक बाल्यावस्था देखभाल एवं शिक्षा कार्य प्रणालियों पर प्रकाश डाला जाएगा। 
  • इस आयोजन का मुख्य उद्देश्य शुरुआती बाल्यावस्था वाले बच्चों की देखभाल और उनकी शिक्षा पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता को उजागर करना है। 
  • राष्ट्रीय शिक्षा नीति के सुझाव के अनुसार, इस कार्यक्रम का दूसरा मुख्य उद्देश्य भारत में दुनिया का सबसे बड़ा, सार्वभौमिक, उच्च गुणवत्ता वाला आरंभिक विद्यालयी तंत्र सुनिश्चित करना है।

 आंगनवाड़ी केंद्र के बारे में :

  • आंगनवाड़ी एक प्रकार का ग्रामीण बाल देखभाल केंद्र है जो सरकार और ग्रामीण आबादी, विशेष रूप से गर्भवती महिलाओं, नई माताओं और 6 वर्ष से कम उम्र के बच्चों के बीच एक महत्वपूर्ण कड़ी के रूप में कार्य करता है।
  • देश भर में लगभग 13.9 लाख  आंगनवाड़ी केंद्र संचालित हैं जिसमें 6 साल से कम उम्र के लगभग 8 करोड़ लाभार्थी बच्चों को पूरक पोषण एवं प्रारंभिक देखभाल व शिक्षा प्रदान की जा रही है।
  • ये केंद्र भारत में 6 वर्ष की आयु तक 85% मस्तिष्क क्षमता विकास प्राप्त करने के वैश्विक प्रमाण पत्र के अनुरूप शिक्षा प्रदान करने में सक्षम हैं।  
  • देश के बच्चों के भविष्य को सुरक्षित करने के उद्देश्य से उनकी आधारभूत संभावनाओं के निर्माण के लिए एक महत्वपूर्ण केंद्र हैं।

मिशन पोषण 2.0 कार्यक्रम :

  • मिशन पोषण 2.0 एक एकीकृत पोषण समर्थन कार्यक्रम है। यह बच्चों, किशोरियों, गर्भवती महिलाओं और दुग्धपान कराने वाली माताओं में कुपोषण की चुनौतियों का समाधान करता है।

 

पोषण ट्रैकर :

  • महिला और बाल विकास मंत्रालय ने एक मार्च, 2021 को “पोषण ट्रैकर” की शुरूआत की थी। पोषण ट्रैकर के तहत प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल बच्चों में कम वजन होने, उनके अंग-प्रत्यंग के विकारों की पहचान करने तथा पोषण सेवा आपूर्ति की निगरानी करने में किया जाता है।

मिशन शक्ति :

  • मिशन शक्ति महिलाओं के लिये एक एकीकृत नागरिक-केंद्रित जीवनपर्यन्त समर्थन योजना है। मिशन शक्ति की दो उप-योजनायें हैं – सम्बल और सामर्थ्य। सम्बल उप-योजना महिलाओं की सुरक्षा और संरक्षण के लिये है, जबकि सामर्थ्य उप-योजना महिलाओं के सशक्तिकरण के लिये है। सम्बल उप-योजना में एकल केंद्र (ओएससी), महिला हेल्पलाइन (181-डब्लूएचएल) और बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ जैसी मौजूदा योजनायें शामिल हैं। सामर्थ्य उप-योजना में महिलाओं का सशक्तिकरण शामिल है। इसके तहत उज्ज्वला, स्वाधार गृह और कामकाजी महिला हॉस्टल जैसी मौजूदा योजनाओं को रखा गया है। इनके अतिरिक्त कामकाजी महिलाओं के बच्चों के लिये राष्ट्रीय क्रेच योजना तथा प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना को भी ‘सामर्थ्य’ में समाविष्ट कर दिया गया है। उल्लेखनीय है कि पहले ये योजनाएं आईसीडीएस योजना में शामिल थीं।

मिशन वात्सल्य :

  • मिशन वात्सल्य का उद्देश्य है भारत के हर बच्चे को स्वस्थ और खुशहाल बचपन प्रदान करना। इसके अलावा योजना के उद्देश्यों में बच्चों के विकास के लिये एक संवेदनशील, सहायक और समयानुकूल ईको-प्रणाली बनाना, बाल न्याय अधिनियम, 2015 के तहत न्याय प्रदान करने में राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों की सहायता करना तथा सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करना भी शामिल है।

बच्चों के लिए केंद्र सरकार की अन्य योजनाएं :

  • एकीकृत बाल विकास सेवा (आईसीडीएस),
  • एकीकृत बाल संरक्षण योजना (आईसीपीएस),
  • उज्ज्वला योजना,  
  • किशोरियों के लिए राष्ट्रीय कार्यक्रम,
  • बालिका समृद्धि योजना,
  • किशोरी शक्ति योजना,
  • बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना,
  • सुकन्या समृद्धि योजना,
  • स्वाधार।

निष्कर्ष :

  • भारत की आबादी में महिलाओं और बच्चों की संख्या 67.7 प्रतिशत है। उनके सशक्तिकरण को तथा सुरक्षित और संरक्षित माहौल में उनके सकारात्मक विकास को सुनिश्चित करना जरूरी है।

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मुख्य परीक्षा प्रश्न

भारत सरकार द्वारा महिलाओं एवं बच्चों के कल्याण लिए शुरू की गयी विभिन्न पहलों को रेखांकित कीजिए।