राष्ट्रपति का अभिभाषण

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राष्ट्रपति का अभिभाषण

मुख्य परीक्षा सामान्य अध्ययन-2: भारतीय राजनीति तथा प्रशासन
राष्ट्रपति का अभिभाषण, संयुक्त अधिवेशन, धन्यवाद प्रस्ताव, संसद सत्र


चर्चा में क्यों:

  • राष्ट्रपतिश्रीमतीद्रौपदी मुर्मू ने पहली बार सेंट्रल हॉल में दोनों सदनों के संयुक्त अधिवेशन को संबोधित किया।

राष्ट्रपति का अभिभाषण:

  • राष्ट्रपति के अभिभाषण में आने वाले वर्ष के लिए सरकार की उपलब्धियों,नीतियों और भावी योजनाओं का विवरण शामिल होता है।
  • राष्ट्रपति के अभिभाषण से ही हर साल संसद के पहले सत्र यानी बजट सत्र की शुरुआत होती है।
  • इसके अलावा हर लोक सभा आम चुनाव के बाद संसद के पहले सत्र में राष्ट्रपति का अभिभाषण होता है।
  • संसद राष्ट्रपति, राज्यसभा और लोकसभा तीनों से मिलकर बनती है। राष्ट्रपति किसी भी सदन के सदस्य नहीं होते फिर भी राष्ट्रपति का अभिभाषण हमारी संसदीय प्रक्रिया का खास हिस्सा है।
  • संविधान में राष्ट्रपति के अभिभाषण का उल्लेख संविधान के अनुच्छेद 87में किया गया है।
  • किसी भी वर्ष में पहले सत्र को बजट सत्र कहा जाता है। इसलिए बजट सत्र के शुरू में संसद के दोनों सदनों की संयुक्त बैठक में राष्ट्रपति का अभिभाषण होता है।
  • अभिभाषण में महत्वपूर्ण आंतरिक और मौजूदा अंतरराष्ट्रीय समस्याओं के संबंध में सरकार की ओर से अपनाई जाने वाली नीतियों की भी झलक होती है।
  • अभिभाषण में उन विधायी कार्यों का भी उल्लेख होता है, जिन्हें उस वर्ष के दौरान होने वाले सत्रों में संसद में लाने का विचार होता है।

संवैधानिक प्रावधान:

  • राष्ट्रपति का अभिभाषण संवैधानिक जरूरत है, क्योंकि उनके अभिभाषण के बिना सत्र शुरू नहीं हो सकता। संसद के दोनों सदनों में सालभर में तीन सत्र होते हैं। पहला- बजट सत्र,दूसरा- मानसून सत्र और तीसरा- शीतकालीन सत्र।
  • संसद के किसी एक सदन या एक साथ दोनों सदनों के सामने राष्ट्रपति के अभिभाषण का प्रावधान संविधान में किया गया है। इसका प्रावधान भारत सरकार अधिनियम,1919में किया गया था और 1921 से यह चला आ रहा है। राष्ट्रपति जो अभिभाषण देते हैं, वह सरकार ही तैयार करती है।
  • संविधान के अनुच्छेद 86 (1) में राष्ट्रपति को यह अधिकार है कि वे जब चाहें तब संसद के किसी एक सदन या दोनों सदनों में अभिभाषण दे सकते हैं और इसके लिए सदस्यों को बुला सकते हैं। हालांकि, आज तक इस आर्टिकल का स्तेमाल नहीं हुआ है।
  • संविधान के अनुच्छेद 87 (1)में यह प्रावधान है कि आम चुनाव के बाद पहले सत्र और हर साल के पहले सत्र में संसद के दोनों सदनों में राष्ट्रपति द्वारा अभिभाषण देना अनिवार्य होता है।

धन्यवाद प्रस्ताव:

  • संसद के दोनों सदनों के सदस्यों को राष्ट्रपति के अभिभाषण पर सवाल उठाने का अधिकार नहीं है। लेकिन, धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान सदस्य बहस कर सकते हैं।
  • धन्यवाद प्रस्ताव संसदीय प्रक्रिया का अत्यंत महत्वपूर्ण हिस्सा है। राष्ट्रपति के अभिभाषण के बाद संसद के दोनों सदनों राज्यसभा और लोकसभा में कार्यवाही में तय तिथि को इससे जुड़ा धन्यवाद प्रस्ताव पेश किया जाता है। इसके बाद दोनों सदनों में इस पर चर्चा होती है और चर्चा के बाद धन्यवाद प्रस्ताव को दोनों सदनों से मंजूर किया जाता है। इस दौरान सदस्य ऐसे विषय नहीं उठा सकते, जिसका सीधा संबंध सरकार से नहीं है।
  • इसके साथ ही बहस के दौरान सदस्य राष्ट्रपति का नाम भी नहीं ले सकते, क्योंकि अभिभाषण का प्रस्ताव सरकार तैयार करती है।

अभिभाषण की पृष्ठभूमि:

  • सदन कोसंबोधित करने की परंपरा400 साल पुरानी है।
  • सदन को संबोधित करने की परंपरा भारतीय नहीं, बल्कि अंग्रेजों की है।भारत में सदन को संबोधित की शुरुआत 1919 के भारत सरकार अधिनियम से हुई।
  • 1919 में भारत में राज्यसभा का गठन हुआ, उस समय राज्य सभा को ‘काउंसिल ऑफ स्टेट’कहा जाता था। हालांकि,लोकसभा का इतिहास 1853 से शुरू होता है। शुरुआत में लोकसभा को ‘लेजिस्लेटिव काउंसिल’कहा जाता था, जिसमें 12 सदस्य थे।
  • 15 अगस्त 1947 में आजादी के बाद संविधान सभा का गठन हुआ, जिसके अध्यक्ष डॉ. राजेंद्र प्रसाद थे। 26 नवंबर 1949 को संविधान सभा में संविधान पारित हुआ और 26 जनवरी 1950 को संविधान लागू हुआ। हमारे संविधान में 10 देशों के संविधानों से कुछ आवश्यक प्रावधान शामिल किए गए हैं।संसदीय शासन प्रणाली ब्रिटेन से ली गई है।
  • राष्ट्रपति के अभिभाषण का प्रावधान संविधान में भारत द्वारा किया गया है न कि ब्रिटेन द्वारा।

निष्कर्ष:

  • लोकसभा चुनावों के बाद प्रत्येक सांसद की शपथ के बाद और लोकसभा अध्यक्ष के चुनाव के बाद ही राष्ट्रपति का अभिभाषण होता है। जब तक राष्ट्रपति दोनों सदनों में अभिभाषण नहीं दे देते, तब तक कोई अन्य कार्य नहीं किया जा सकता।

मुख्य परीक्षा प्रश्न:

  • राष्ट्रपति के अभिभाषण और धन्यवाद प्रस्ताव में अंतर स्पष्ट कीजिए।