सार्वभौमिक सामाजिक सुरक्षा

सार्वभौमिक सामाजिक सुरक्षा

मुख्य परीक्षा : सामान्य अध्ययन 2,3

(सामाजिक न्याय से संबंधित मुद्दे)

संदर्भ :

  • वैश्वीकरण के युग में सामाजिक सुरक्षा का प्रश्न वर्तमान में किसी एक देश का मुद्दा न रहकर बल्कि सार्वभौमिक हो गया है।
  • सामाजिक सुरक्षा की कोई भी कार्ययोजना श्रमिक, नियोक्ता, सरकार और श्रम संगठनों के एकजुट प्रयासों से ही संभव है। दुनियाभर में श्रमिक संगठन अपनी विचारधारा के आधार पर श्रम सुधार और निर्णयों को प्रभावित करते हैं।
  • हाल ही में भारत में जी-20 के अंतर्गत आयोजित श्रम-20 में भारतीय और अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठनों ने सामाजिक सुरक्षा के प्रति एकजुटता दिखाई है जो सतत विकास के लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए बहुत ही आवश्यक है।

सामाजिक सुरक्षा

  • अन्तरराष्ट्रीय श्रम संगठन के अनुसार ‘‘वह सुरक्षा जो समाज, उचित संगठनों के माध्यम से अपने सदस्यों के साथ घटित होने वाली कुछ घटनाओं और जोखिमों से बचाव के लिए प्रस्तुत करता है, सामाजिक सुरक्षा (Social security) है।
  • सामाजिक सुरक्षा जोखिम, रोग, मातृत्व, अयोग्यता, वृद्धावस्था तथा असमयिक मृत्यु को कवर करती है। 
  • आइएलओ के अनुसार, सामाजिक सुरक्षा के न्यूनतम नौ आधार हैं। इनमें स्वास्थ्य देखभाल, बीमारियों में बीमा लाभ, बेरोजगारी भत्ता, वृद्धावस्था पेंशन, कार्यस्थल पर मुआवजा, पारिवारिक सुरक्षा, मातृत्व लाभ, अशक्तता और उत्तरजीविता लाभ शामिल हैं।

जी-20 के वार्षिक सम्मेलन में श्रम-20 कार्य समूह के सामाजिक सुरक्षा से संबंधित मुद्दे :

  • भारत की अध्यक्षता में आयोजित जी-20 के वार्षिक सम्मेलन में सार्वभौमिक सामाजिक सुरक्षा का मुद्दा चर्चा में है। इसके कार्यसमूह में श्रम-20 द्वारा पांच बड़े मुद्दों को उठाया गया है। पहला, श्रमिकों का अंतरराष्ट्रीय प्रवासन, दूसरा, असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों की सामाजिक सुरक्षा, तीसरा, कौशल प्रशिक्षण और कौशल उन्ययन (नियोक्ता की भूमिका और दायित्व), चौथा, कार्य का बदलता स्वरूप और पांचवां, टिकाऊ तथा सम्मानजनक आजीविकाओं को प्रोत्साहन।
  • ये पांचों मुद्दे सार्वभौमिक सामाजिक सुरक्षा से जुड़े हैं।

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सामाजिक सुरक्षा की स्थिति :

अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (आइएलओ) द्वारा जारी विश्व सामाजिक सुरक्षा रिपोर्ट 2020-22 के अनुसार-

  • विश्व में 53 फीसद आबादी सामाजिक सुरक्षा से वंचित है जिसमें 46 प्रतिशत लोग ही रोजगार, शिक्षा, स्वास्थ्य, पेंशन जैसी किसी एक सामाजिक सुरक्षा का लाभ हासिल कर पा रहे हैं।
  • 18.6 प्रतिशत बेरोजागर युवकों को मुश्किल से बेरोजगारी भत्ता मिल पाता है। 26.4 प्रतिशत बच्चों को ही सामाजिक सुरक्षा प्राप्त है। गंभीर दिव्यांगता के शिकार सिर्फ 33.4 प्रतिशत लोग समाज की मुख्यधारा में शामिल हैं।
  • 46 फीसद महिलाएं मातृत्व अवकाश से वंचित हैं। तैंतीस फीसद आबादी को स्वास्थ्य से जुड़ी सामाजिक सुरक्षा योजनाओं के दायरे में लाया जाना है। 22 फीसद बुजुर्ग वृद्धावस्था पेंशन से वंचित हैं।
  • विश्व के कुल कार्यबल का 61 प्रतिशत हिस्सा असंगठित क्षेत्र में आता है। अफ्रीका में 85.8 प्रतिशत रोजगार असंगठित क्षेत्र में हैं। एशिया और प्रशांत क्षेत्र में 68.6 और 68.6 फीसद अरब देशों में तथा अमेरिका में 40 प्रतिशत और यूरोप में यह अनुपात 25.1 फीसद है।
  • भारत में सामाजिक सुरक्षा पर जीडीपी का लगभग 1.4 प्रतिशत व्यय होता है। इंडोनेशिया में यह 1.3 फीसद, दक्षिण अफ्रीका में 5.5, चीन में 7.7, ब्रिटेन में 15.1 और अमेरिका में 18.9 प्रतिशत है।
  • अमेरिका में 64.3 प्रतिशत, एशिया और प्रशांत क्षेत्र में 44, अरब देशों में 40, जबकि अफ्रीकी देशों में सिर्फ 17.4 प्रतिशत लोगों को कोई एक सामाजिक सुरक्षा हासिल है।

भारत में सामाजिक सुरक्षा संबंधी प्रावधान :

  • भारत में सामाजिक सम्बन्धी सुविधाएं देने के लिए ये अधिनियम बनाये गये हैं :
  • कर्मचारी प्रीविडेण्ट फण्ड अधिनियम, 1952
  • कोयला खान भविष्य निधि एवं विविध उपबन्ध अधिनियम, 1948
  • श्रमिक क्षतिपूर्ति संशोधित, 1984
  • प्रसूति लाभ अधिनियम, 1961
  • राज्य बीमा संशोधित अधिनियम, 1984
  • कर्मचारी भविष्य निधि एवं विविध व्यवस्थाएं अधिनियम, 1952
  • अनुग्रह भुगतान संशोधित अधिनियम, 1984
  • सामाजिक सुरक्षा सर्टीफिकेट, 1982
  • कर्मचारी राज्य बीमा अधिनियम, 1948 आदि।

सामाजिक सुरक्षा से संबंधित भारत सरकार की योजनाएं :

  • प्रधानमंत्री श्रमयोगी मान-धन योजना
  • राष्ट्रीय पेंशन योजना
  • प्रधानमंत्री जीवन ज्योति योजना
  • प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना
  • अटल पेंशन योजना
  • राष्ट्रीय सफाई कर्मचारी वित्त और विकास निगम
  • हाथ से मैला उठाने वालों के पुनर्वास हेतु स्वरोजगार योजना

आगे की राह :

  • संयुक्त राष्ट्र द्वारा घोषित सत्रह सतत विकास लक्ष्यों को हासिल करने के लिए सार्वभौमिक सामाजिक सुरक्षा अनिवार्य शर्त है।सामाजिक सुरक्षा का स्तर गरीबी, असमानता, जातिगत और जेंडर भेद को समाप्त करने का सबसे अहम जरिया है। इसके जरिए औपचारिक क्षेत्र को संगठित कार्यबल में तब्दील किया जा सकता है।
  • चूँकि दुनियाभर का 85 फीसद कारोबार जी-20 देशों के बीच होता है, इसलिए भारत में आयोजित जी-20 सम्मेलन में श्रम-20 कार्य समूह द्वारा सामाजिक सुरक्षा से संबंधित सभी मुद्दों को संबोधित करने की आवश्यकता है।
  • सार्वभौमिक सामाजिक सुरक्षा के स्तर को प्रभावी बनाकर असंगठित क्षेत्र को संगठित क्षेत्र में रूपांतरित किया जाना चाहिए।
  • घरेलू और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रवासन की चुनौतियां के समाधान हेतु प्रवासी श्रमिकों को भविष्य निधि, स्वास्थ्य, शिक्षा जैसी योजनाओं का लाभ दिया जाना चाहिए।
  • प्रवासी श्रमिकों को सामाजिक सुरक्षा योजना का लाभ देने के लिए दो देशों के बीच द्विपक्षीय करारयूरोपीय यूनियन की तरह ब्रिक्स, बिम्सटेक और अफ्रीकी संघ द्वारा भी किया जाना चाहिए।
  • सामाजिक सुरक्षा योजनाओं पर खर्च बढ़ाकर ही सतत विकास लक्ष्य हासिल किए जा सकते हैं। सबसे पहले इन योजनाओं को वित्त पोषण और संसाधन जुटाने के लिए घरेलू स्तर पर टिकाऊ वित्त की व्यवस्था खड़ी करनी चाहिए।
  • इथियोपिया के आदिस अबाबा में जी-20 सम्मेलन के दौरान सतत विकास लक्ष्यों को हासिल करने के लिए ‘इंटिग्रेटेड नेशनल फाइनेंस फ्रेमवर्क’ अस्तित्व में आया था। इसे व्यावहारिक रूप से अब तक लागू नहीं किया जा सका है।

 

 

निष्कर्ष :

  • सार्वभौमिक सामाजिक सुरक्षा ऐसी हो, जो आर्थिक रूप से हर व्यक्ति के लिए सुलभ हो, वहीं यह वहनीय हो। इससे क्षेत्रीय असमानता भी दूर होगी। आर्थिक महाशक्तियों में भी सामाजिक सुरक्षा का दायरा बहुत बेहतर नहीं है। यूरोप और मध्य एशिया में सामाजिक सशक्तिकरण पर आधारित योजनाएं सरकार प्रायोजित पहल में सिमटी हैं।
  • सार्वभौमिक सामाजिक सुरक्षा के लिए आवश्यक टिकाऊ वित्त व्यवस्था करने की अहम जिम्मेदारी जी-20 में शामिल जी-7 (अमेरिका, कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान और ब्रिटेन) की भी है। इन देशों के पास दुनिया के 87 फीसद आर्थिक संसाधन हैं।
  • भारत के लिए जी-20 का वर्तमान आयोजन वैश्विक दक्षिण की आवाज बनने का बड़ा मौका है। इससे आखिरकार वैश्विक उत्तर और वैश्विक दक्षिण के बीच आर्थिक असमानता की खाई कम होगी।
  • भारत में जनधन, आधार और मोबाइल (जेएएम) के जरिए सामाजिक सुरक्षा योजनाओं को नई ऊंचाई दी जा रही है। आधार के जरिए 318 केंद्रीय योजनाओं और राज्यों की 720 योजनाएं संबद्ध हैं। यह नकद हस्तांतरण योजना को सफल बनाने का सबसे अच्छा विकल्प है। 2022-23 के आर्थिक सर्वेक्षण के मुताबिक 135.2 करोड़ आधार नंबर जारी किए जा चुके हैं।
  • इनमें 75.3 करोड़ नागरिकों तक राशन मुहैया कराने और 27.9 करोड़ उपभोक्ताओं तक एलपीजी सिलेंडर पहुंचाने में आधार पहचान-पत्र के रूप में इस्तेमाल किए जा रहे हैं।
  • इसी तरह 75.4 करोड़ बैंक खाते आधार से जोड़े जा चुके हैं। दुनिया की सबसे बड़ी रोजगार गारंटी योजना मनरेगा आर्थिक और सामाजिक सशक्तिकरण का बड़ा जरिया बनी है।
  • भारत में अस्सी फीसद लोग असंगठित क्षेत्र में हैं। आइएलओ के मुताबिक देश की 24.4 प्रतिशत आबादी सामाजिक सुरक्षा के दायरे में है। समग्र रूप से कहें तो सामाजिक संरक्षण पर जितना अधिक खर्च होगा, गरीबी का स्तर उतना ही निम्न होता चला जाएगा।

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मुख्य परीक्षा प्रश्न

सामाजिक सुरक्षा से आप क्या समझते हैं? भारत में असंगठित क्षेत्र की वर्तमान स्थिति का उल्लेख करते हुए सार्वभौमिक सामाजिक सुरक्षा की आवश्यकता पर प्रकाश डालिए।