
स्टेट ऑफ द ग्लोबल क्लाइमेट 2022 रिपोर्ट
स्टेट ऑफ द ग्लोबल क्लाइमेट 2022 रिपोर्ट
मुख्य परीक्षा: सामान्य अध्ययन 3
(पर्यावरण प्रदूषण और गिरावट)
चर्चा में क्यों :
- हाल ही में विश्व मौसम विज्ञान संगठनद्वारास्टेट ऑफ द ग्लोबल क्लाइमेट रिपोर्ट 2022 जारी की गयीहै।
- डब्ल्यूएमओ द्वारा जारी 'स्टेट ऑफ द ग्लोबल क्लाइमेट 2022'रिपोर्ट में कहा गया है कि समुद्र काजलस्तर अभूतपूर्व दर से बढ़ रहा है।
- यह रिपोर्ट मुख्य रूप से जलवायु संकेतकों ग्रीनहाउस गैस, तापमान, समुद्री जल स्तर में वृद्धि, महासागर के ताप में वृद्धि और अम्लीकरण, समुद्री बर्फ एवं हिमनद पर केंद्रित है। यह जलवायु परिवर्तन और मौसमी घटनाओं के प्रभावों पर भी प्रकाश डालती है।
रिपोर्ट से संबंधित महत्वपूर्ण तथ्य :
- वैश्विक औसत समुद्र-स्तर वृद्धि की दर तीन दशकों में दोगुनी हो गई है, यानी समुद्र-स्तर की वृद्धि दर 1993-2002 में 2.27 मिमी/वर्ष थी, जो 2013-2022 में बढ़कर 4.62 मिमी/वर्ष हो गई।
- वर्ष2022 में वैश्विक औसत तापमान औद्योगिक काल (1850-1900)से पहले की तुलना में 1.15 डिग्री सेल्सियस बढ़ गया है।
- 2015 से 2022 तक के आठ वर्षसबसे गर्म वर्ष थे। इसके अलावा, 2021 और 2022 में वैश्विक तापमान 2011 की तुलना में कहीं ज्यादा गर्म था, हालांकि पिछले साल ला नीना की घटना ने इसे काफी प्रभावित किया था।
- 2022 में ओशन हीट कंटेंट (OHC) ने एक नया रिकॉर्ड बनाया। ग्रीनहाउस गैसों द्वारा जलवायु प्रणाली में फंसी ऊर्जा का लगभग 90% समुद्र में चला जाता है।
- वर्ष2022 में, समुद्र की सतह केकम से कम 58 प्रतिशत भागको एक समुद्री गर्म लहर घटना का सामना करना पड़ा और सतह केकम से कम 25 प्रतिशत नेएक समुद्री शीत लहर घटना का अनुभव किया।
- तीन मुख्य ग्रीनहाउस गैसों - कार्बन डाइऑक्साइड, मीथेन और नाइट्रस ऑक्साइड की सांद्रता वर्ष2021 में रिकॉर्ड उच्च स्तर पर पहुंच गई।
- महासागर अम्लीकरण: कम से कम पिछले 26,000 वर्षों से नहीं देखी गई दरों पर वैश्विक औसत महासागर कापीएच मानलगातार घट रहा है।
- वर्ष2005 से 2019 के दौरान ग्रीनलैंड और अंटार्कटिका में ग्लेशियरों को भारी नुकसान हुआ। इन ग्लेशियरों के गलने सेसमुद्र के स्तर में औसतन36 फीसदी कीवृद्धि हुईहै। उल्लेखनीय है कि समुद्र के गर्म होने से पानी फैलता है। ऐसे में इस घटना ने समुद्र के वैश्विक औसत स्तर की वृद्धि में 55 फीसदी का योगदान दिया है।
- वर्ष2022 के दौरान जहाँपूर्वी अफ्रीका मेंलगातार सूखा रहा, वहीं पाकिस्तान में रिकॉर्ड बारिश के साथ चीन और यूरोप में लू की गंभीरता अपने चरम पर थी।पाकिस्तान में रिकॉर्ड बारिश से 3.3 करोड़ से ज्यादा लोग प्रभावित हुए।यूरोप और चीन में लू के प्रभाव और स्पेन, जर्मनी, यूनाइटेड किंगडम, फ्रांस और पुर्तगाल में बढ़ती गर्मी से15,000 से ज्यादा लोगों की मृत्यु हुई।
समुद्र के जलस्तर में तेजी से वृद्धि के कारण :
2005-2019 के दौरान रिपोर्ट के अनुसार:
- चक्रवातों की आवृत्ति में वृद्धि: यह तटीय समुदायों को प्रभावित करेगा और उच्च जनसंख्या घनत्व वाले भारत और दक्षिण अफ्रीका जैसे उष्णकटिबंधीय देशों के लिए बड़ी आर्थिक देनदारियों का कारण बनेगा। उदाहरण के लिए, दक्षिण अफ्रीका 2022 में दो महीनों में पांच चक्रवातों से प्रभावित हुआ था।
- भूजल का लवणीकरण: अधिक समुद्री जल जमीन में रिस सकता है, जिससे भूजल - जो आमतौर पर ताजा पानी होता है - अधिक से अधिक खारा हो जाता है। यह बदले में तटीय क्षेत्रों के साथ-साथ निकटवर्ती क्षेत्रों में कृषि में जल संकट को बढ़ा सकता है।
- जबरन पलायन: तटीय पारिस्थितिक तंत्र "पूरी तरह से बदल" चुकेहैं। पश्चिम बंगाल में सुंदरबन डेल्टा में, समुद्र के बढ़ते जलस्तर और तटीय कटाव ने स्थानीय समुदायों के सदस्यों को पलायन करने के लिए मजबूर किया है।
- रिकॉर्ड तोड़ बारिश: पाकिस्तान में व्यापक रूप से बाढ़ का प्रभाव रहा जिससे जल स्तर में भारी वृद्धि हुई।गर्मियों के दौरान रिकॉर्ड तोड़ गर्मी की लहरों ने यूरोप को प्रभावित किया। राष्ट्रीय रिकॉर्ड शुरू होने के बाद से चीन में सबसे व्यापक और लंबे समय तक चलने वाली हीटवेव थी
- खाद्य असुरक्षा:वर्ष2021 तक, चरम मौसम परिवर्तन के कारण 2.3 बिलियन लोगों को खाद्य असुरक्षा का सामना करना पड़ा, जिनमें से 924 मिलियन लोगों को गंभीर खाद्य असुरक्षा का सामना करना पड़ा।
भारत के संदर्भ में इस रिपोर्ट के आंकड़े :
- भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) द्वारा 19 अप्रैल, 2023 को जारी अखिल भारतीय मौसम पूर्वानुमान के अनुसार :
- 18 अप्रैल, 2023 को भारत के 60 प्रतिशत से अधिक या 22 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में अधिकतम तापमान सामान्य से अधिक दर्ज किया गया।
- मौसम विभाग के आंकड़ों के मुताबिक, 2003 से 2012 और 2013 से 2022 के बीच लू के कारण होने वाली मौतों में 34 फीसदी की वृद्धि देखी गई।
- कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के एक अध्ययन के अनुसार, देश के 90 प्रतिशत लोगों को गर्मी के कारण आजीविका क्षमता, खाद्यान्न उपज, वेक्टर जनित रोग फैलने और शहरी स्थिरता में नुकसान होने का खतरा है।
- उल्लेखनीय है कि, जब किसी स्टेशन का अधिकतम तापमान मैदानी इलाकों में कम से कम 40 डिग्री सेल्सियस, तटीय क्षेत्रों में कम से कम 37 डिग्री सेल्सियस और पहाड़ी क्षेत्रों में कम से कम 30 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता है तो उसे हीटवेव (लू) घोषित किया जाता है।
- मैकिन्से ग्लोबल इंस्टीट्यूट की एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में लू की घटनाएं अगर ऐसे ही चलती रही, तो 2030 तक देश को अपने सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 2.5 से 4.5 प्रतिशत प्रति वर्ष का नुकसान हो सकता है
- मार्च 2022 अब तक का सबसे गर्म और 121 वर्षों में तीसरा सबसे सूखा वर्ष था।
विश्व मौसम विज्ञान संगठन (डब्ल्यूएमओ) के बारे में :
- यह 193 सदस्य राज्यों और क्षेत्रों की सदस्यता वाला एक अंतर-सरकारी संगठन है।
- इस संगठन का मुख्यालय, जिनेवा में है।
- इसकी उत्पत्ति अंतर्राष्ट्रीय मौसम विज्ञान संगठन (IMO) से हुई है, जिसकी जड़ें 1873 वियना अंतर्राष्ट्रीय मौसम विज्ञान कांग्रेस में लगाई गई थीं।
- यह संगठन1950 में डब्ल्यूएमओ कन्वेंशन के अनुसमर्थन द्वारा स्थापित किया गया था, डब्ल्यूएमओ मौसम विज्ञान (मौसम और जलवायु), परिचालन जल विज्ञान और संबंधित भूभौतिकीय विज्ञानों के लिए संयुक्त राष्ट्र की एकविशेष एजेंसी है।
------------------------------------------