शिक्षा की वार्षिक स्थिति रिपोर्ट (ASER) 2023

शिक्षा की वार्षिक स्थिति रिपोर्ट (ASER) 2023

जीएस पेपर- II: सामाजिक न्याय

(यूपीएससी/राज्य पीएससी)

प्रीलिम्स के लिए महत्व

गैर-सरकारी संगठन "प्रथम फाउंडेशन, वार्षिक शिक्षा स्थिति रिपोर्ट (ASER) 2023।

मेन्स के लिए महत्व

ASER रिपोर्ट के बारे में, ASER 2023 के निष्कर्ष, भारत में प्रारंभिक शिक्षा के समक्ष चुनौतियां, बुनियादी शिक्षा में सुधार हेतु आगे की राह।

25 जनवरी, 2024

ख़बरों में क्यों:

हाल ही में गैर-सरकारी संगठन "प्रथम फाउंडेशन" के नेतृत्व में  ‘बियॉन्ड बेसिक्स’ (Beyond Basics) शीर्षक के साथ ‘वार्षिक शिक्षा स्थिति रिपोर्ट (Annual Status of Education Report-ASER) जारी की गयी है।

रिपोर्ट से संबंधित प्रमुख तथ्य:

  • यह रिपोर्ट 34,745 छात्रों की मूलभूत पठन और अंकगणित क्षमताओं का आकलन करने के लिए 26 राज्यों के 28 जिलों में 14 से 18 वर्ष की आयु के ग्रामीण छात्रों के बीच एक घरेलू सर्वेक्षण पर आधारित है।
  • इस सर्वेक्षण में निम्नलिखित क्षेत्रों को शामिल किया गया:
  • जागरूकता और डिजिटल कौशल: युवाओं के बीच डिजिटल प्रौद्योगिकियों और प्लेटफॉर्मों के बारे में जागरूकता।
  • शैक्षिक और पेशेवर चुनाव: भारतीय युवाओं की आकांक्षाएँ।
  • दैनिक जीवन स्थितियों में मूलभूत कौशल लागू करने की क्षमता: युवाओं के बीच बुनियादी और व्यावहारिक पठन और गणित की क्षमता।

ASER 2023 के निष्कर्ष:

  • घरेलू गतिविधियां: लगभग 20% अंकों के अंतर के साथ, सभी लक्षित श्रेणियों में, पुरुषों की तुलना में अधिक महिलाएँ रोजाना घरेलू या घर के कामों में शामिल थीं।
  • पुरुषों और महिलाओं दोनों के मामलों में, घरेलू काम के अलावा अन्य गतिविधियों में कार्य करने वाले अधिकांश युवा पारिवारिक खेती में काम करते हैं।
  • 15 दिनों से अधिक समय तक घर के काम के अलावा अन्य काम करने वाले पुरुषों का प्रतिशत (40.3%) महिलाओं (28%) की तुलना में अधिक था।
  • लगभग 30% युवा अपने माता-पिता के लिए काम कर रहे हैं।
  • कॅरियर विकल्प: सर्वेक्षण में शामिल युवाओं के बीच सेना (13.8%) और पुलिस (13.6%)  दो सबसे लोकप्रिय कॅरियर विकल्प थे।
  • सर्वेक्षण में शामिल लड़कियों और युवा महिलाओं में शिक्षक (16%) और डॉक्टर (14.8%) सबसे पसंदीदा कॅरियर विकल्प थे।
  • नामांकन में आयु अंतराल: कुल मिलाकर, 14-18 वर्ष के 86.8% बच्चे किसी शैक्षणिक संस्थान में नामांकित हैं। हालाँकि नामांकन में लैंगिक अंतर कम है, लेकिन आयु के अनुसार अंतर अधिक है।
  • 14 वर्षीय युवाओं में गैर-नामांकन का प्रतिशत 3.9 है जबकि 18 वर्षीय युवाओं में यह 32.6% है।
  • इस आयु वर्ग के अधिकांश लोग कला/मानविकी स्ट्रीम में नामांकित थे।
  • कक्षा XI या उससे उच्चतर में, आधे से अधिक कला/मानविकी स्ट्रीम (55.7%) में नामांकित हैं तथा विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग एवं गणित स्ट्रीम में नामांकित होने के मामलों में पुरुषों (36.3%) की तुलना में महिलाओं (28.1%) के लिए संभावनाएँ कम हैं।
  • व्यावसायिक प्रशिक्षण की स्थिति: सर्वेक्षण में शामिल युवाओं में से केवल 5.6% ही व्यावसायिक प्रशिक्षण या अन्य संबंधित पाठ्यक्रम में नामांकित थे।
  • कॉलेज स्तर पर युवाओं द्वारा व्यावसायिक प्रशिक्षण लेने की सबसे अधिक संभावना  (16.2%) है। 
  • बुनियादी कौशल और साक्षरता स्तर का आकलन: इस आयु वर्ग के लगभग 25% बच्चे अपनी क्षेत्रीय भाषा में कक्षा-2 के स्तर के  पाठ को धाराप्रवाह रूप से नहीं पढ़ सकते हैं।
  • नामांकन श्रेणियों में, क्षेत्रीय भाषा में कक्षा 2 स्तर का पाठ पढ़ने में लड़कियाँ (76%) लड़कों (70.9%) की तुलना में बेहतर प्रदर्शन करती हैं।
  • अंग्रेजी पढ़ने का कौशल: लगभग 57.3% अंग्रेजी के वाक्य पढ़ सकते हैं, जो छात्र अंग्रेजी में पढ़ सकते हैं, उनमें से लगभग तीन-चौथाई (73.5%) ही वाक्यों का अर्थ समझने में सक्षम हैं।
  • गणित से जुड़ी चुनौतियाँ: 14-18 वर्ष के आधे से अधिक युवा भाग (3-अंकीय/ 1-अंक) को हल करने में कठिनाई का सामना करते हैं, जबकि केवल 43.3% ही ऐसी समस्याओं को सही ढंग से हल करने में सक्षम हैं।
  • वर्ष 2017 में, 39.5% युवा ही तीसरी-चौथी कक्षा के स्तर की विभाजन समस्या को हल कर सकते थे, जबकि वर्ष 2023 में यह अनुपात बढ़कर 43.3% हो गया है।
  • सर्वेक्षण में शामिल दो-तिहाई युवा (65.1 %) ORS घोल के पैकेट पर दिए कार्यात्मक निर्देश को पढ़ने में सक्षम थे।
  • स्मार्टफोन का उपयोग: सर्वेक्षण में शामिल लगभग 90% परिवारों के पास स्मार्टफोन थे। सर्वेक्षण में शामिल बच्चों में से लगभग 95% लड़के और 90% लड़कियाँ स्मार्टफोन का उपयोग कर सकते हैं।

ASER रिपोर्ट के बारे में:

  • प्रथम फाउंडेशन के नेतृत्व में, ASER एक देशव्यापी घरेलू सर्वेक्षण है, जो ग्रामीण भारत में बच्चों की स्कूली शिक्षा और सीखने की स्थिति का विवरण प्रदान करता है।
  • इस सर्वेक्षण को पहली बार वर्ष 2005 में लागू किया गया, ‘बेसिक’ ASER सर्वेक्षण वर्ष 2014 तक वार्षिक रूप से आयोजित किया जाता था लेकिन वर्ष 2016 से यह एक वर्ष के अंतराल पर हर दूसरे वर्ष आयोजित किया जाता है।
  • ASER सर्वेक्षण 3-16 वर्ष की आयु के बच्चों की नामांकन स्थिति और 5-16 वर्ष की आयु के बच्चों को राष्ट्रीय, राज्य तथा ज़िला स्तर पर बुनियादी शिक्षा एवं अंकगणितीय स्तर के प्रतिनिधि अनुमान उपलब्ध कराता है।

इस रिपोर्ट का महत्त्व:

  • यह रिपोर्ट शिक्षा क्षेत्र की वास्तविक स्थिति के मूल्यांकन के साथ-साथ सरकार द्वारा नीतियों के निर्माण मदद करती है।

भारत में प्रारंभिक शिक्षा के समक्ष चुनौतियां:

  • बुनियादी ढाँचा और सुविधाओं का अभाव: प्रतिधारण दर (Retention rates) में सुधार के बावजूद, स्कूलों में बुनियादी सुविधाओं का अत्यधिक अभाव है। जबकि 95% स्कूलों में पीने का पानी और शौचालय की व्यवस्था है, 10% से अधिक स्कूलों में बिजली की व्यवस्था का अभाव है।
  • इसके अतिरिक्त, डिजिटलीकरण की कमी है, 60% से अधिक स्कूलों में कंप्यूटर की कमी है और 90% में इंटरनेट सुविधाओं तक पहुँच नहीं है।
  • निजी स्कूलों की ओर आकर्षण: पिछले कुछ वर्षों में, निजी स्कूलों की ओर रुझान बढ़ा है। सरकारी डेटा के अनुसार, प्राथमिक श्रेणी में सरकारी स्कूलों की हिस्सेदारी वर्ष 2006 में 87% से घटकर मार्च 2020 में 62% हो गई है।
  • शिक्षकों का अभाव: स्कूलों में शिक्षकों की कमी है और छात्र-शिक्षक अनुपात(student-teacher ratio) अधिक है। संविदा शिक्षकों पर निर्भरता देखी गई है और बड़े पैमाने पर शिक्षकों की अनुपस्थिति है।
  • शिक्षा की गुणवत्ता में अंतर: शिक्षा की गुणवत्ता अलग-अलग होती है, जिसमें अच्छी तरह से वित्त पोषित, औपचारिक स्कूलों और अल्प-संसाधन वाले, अनौपचारिक स्कूलों के बीच स्पष्ट विभाजन होता है।
  • सामाजिक विभाजन: जाति-वर्ग, ग्रामीण-शहरी, धार्मिक और लैंगिक विभाजन सहित सामाजिक विभाजन मौजूद हैं, जो प्रदान की जाने वाली शिक्षा की गुणवत्ता को प्रभावित कर रहे हैं।

बुनियादी शिक्षा में सुधार हेतु आगे की राह:

  • सरकार को राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP), 2020 में उल्लिखित सकल घरेलू उत्पाद के अनुशंसित दिशा में 6% आगे बढ़ते हुए शिक्षा के लिये अधिक धन आवंटित करना चाहिए।
  • बुनियादी ढाँचे के विकास, शिक्षक प्रशिक्षण और स्कूलों में आवश्यक सुविधाओं के प्रावधान के लिये वित्त पोषण को प्राथमिकता दी जानी चाहिए।
  • उच्च छात्र-शिक्षक अनुपात को कम करने के लिये पर्याप्त संख्या में योग्य शिक्षकों की भर्ती की जानी चाहिए।
  • शिक्षण की गुणवत्ता बढ़ाने हेतु निरंतर व्यावसायिक विकास के लिये कार्यक्रम लागू करने की आवश्यकता है।
  • सामाजिक-आर्थिक कारकों, बुनियादी ढाँचे की कमी और शिक्षा की गुणवत्ता सहित छात्रों के स्कूल छोड़ने के मूल कारणों की पहचान करें तथा उनका समाधान करें।
  • छात्र प्रतिधारण को प्रोत्साहित करने के लिये छात्रवृत्ति कार्यक्रम और परामर्श पहल को लागू करना चाहिए।
  • स्कूल के बुनियादी ढाँचे के विकास और स्वच्छता सुविधाओं में बढ़ोत्तरी हेतु निवेश को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।
  • स्कूलों को कंप्यूटर और इंटरनेट की सुविधा प्रदान करके शिक्षा में प्रौद्योगिकी के एकीकरण को बढ़ावा दिया जाना चाहिए।
  • बाल-केंद्रित शिक्षण विधियों और मूल्यांकन रणनीतियों को लागू करें जो महत्त्वपूर्ण सोच तथा समस्या-समाधान कौशल को प्रोत्साहित करें।
  • शिक्षा नीतियों और हस्तक्षेपों की प्रभावशीलता का आकलन करने के लिए मज़बूत निगरानी तथा मूल्यांकन तंत्र स्थापित किया जाना चाहिए।

 

स्रोतः इंडियन एक्सप्रेस

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मुख्य परीक्षा प्रश्न

ASER रिपोर्ट 2023 के आलोक में, भारत में प्रारंभिक शिक्षा के समक्ष चुनौतियों को रेखांकित करते हुए बुनियादी शिक्षा में सुधार हेतु आगे की राह पर चर्चा कीजिए।