"देशी" बनाम "विदेशी" तकनीक विदेशी वस्तुओं के आयात पर प्रतिबंध

"देशी" बनाम "विदेशी" तकनीक

विदेशी वस्तुओं के आयात पर प्रतिबंध

मुख्य परीक्षा:सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3

(भारतीय अर्थव्यवस्था)

07 अगस्त, 2023

चर्चा में क्यों?:

  • हाल ही में केंद्र सरकार ने विदेशी लैपटाप, टैबलेट और कंप्यूटरों के आयात पर प्रतिबंध लगा दिया है।
  • विदेशी कंप्यूटरों, लैपटाप आदि पर प्रतिबंध के पीछे सुरक्षा कारण बताए गए हैं। इनमें एचएसएन कोड 8471 वाले सात श्रेणी के कंप्यूटरों, लैपटाप और टैबलेट पर ही प्रतिबंध लगाया गया है।

एचएसएन यानी ‘हार्मोनाइज्ड सिस्टम आफ नामेनक्लेचर’

  • एचएसएन यानी ‘हार्मोनाइज्ड सिस्टम आफ नामेनक्लेचर’ कोड एक वर्गीकरण प्रणाली है, जिसका उपयोग कराधान उद्देश्यों के लिए उत्पादों की पहचान करने के लिए किया जाता है।
  • इस कोड का उपयोग उन उपकरणों की पहचान करने के लिए किया जाता है जो डेटा प्रोसेसिंग कार्य करने के लिए तैयार किए गए हैं।
  • इस तरह लोगों के निजी डेटा को सुरक्षित रखने के मकसद से यह कदम उठाया गया है। इन दिनों जिस तरह लोगों के निजी आंकड़ों की चोरी और उन्हें दूसरे देशों की कंपनियों को बेचने की प्रवृत्ति बढ़ी है, उसमें दूसरे देशों में तैयार ऐसी प्रणाली पर नजर रखना कठिन काम साबित होता है।

आयात पर प्रतिबंध लगाने के कारण:

  • स्वदेशी तकनीक का विकास करना।
  • व्यापार घाटा पाटने की दिशा में गंभीरता से प्रयास करना।
  • लोगों के निजी डेटा को सुरक्षित रखना।

इसके प्रभाव:

  • इससे भारत में बनने वाले तकनीकी उपकरणों की बिक्री बढ़ जाएगी।
  • कुछ स्वदेशी कंपनियों के शेयरों में बढ़ोत्तरी हो जाएगी।
  • स्वदेशी तकनीक के विकास को बढ़ावा मिलेगा।
  • सरकार का व्यापार घाटा कम हो जाएगा।
  • घरेलू बाजार में जगह न मिल पाने के कारण स्वदेशी कंपनियां अपने उत्पाद की गुणवत्ता में अपेक्षित सुधार करने में सक्षम हो सकेंगी।

विश्लेषण:

  • विदेशी वस्तुओं पर प्रतिबंध सरकार का अचानक लिया या कोई बिल्कुल नया फैसला नहीं है। इससे पहले सैकड़ों ऐसी विदेशी वस्तुओं पर प्रतिबंध लगाया जा चुका है, उनमें रक्षा उपकरणों से संबंधित कई चीजें भी शामिल हैं।
  • खबरों के मुताबिक, लैपटाप, टैबलेट आदि उपकरणों के आयात के लिए लाइसेंस को जरूरी किए जाने के बाद कंपनियों को आवेदन के लिए अधिक वक्त दिया जा सकता है।
  • यह भी सुनिश्चित किया जाएगा कि पहले से पारगमन में मौजूद खेप को मंगाने में कंपनियों को किसी तरह की असुविधा न हो। दरअसल, इस भूमंडलीकरण के जमाने में जब सारी दुनिया एक बाजार में तब्दील हो गई है, लोगों को यह आजादी मिली है कि वे अपनी पसंद से अच्छी गुणवत्ता वाली वस्तुएं कहीं से भी खरीद सकते हैं। इस तरह विदेशी वस्तुओं का चुनाव लोगों की आदत में शामिल हो गया है।
  • वर्तमान में चीन जैसे कुछ देश जासूसी के नए-नए तरीके विकसित करते देखे जा रहे हैं, उसमें एचएसएन यानी ‘हार्मोनाइज्ड सिस्टम आफ नामेनक्लेचर’ कोड प्रणाली खतरनाक साबित हो सकती है। इसलिए नए फैसले में कोरिया और चीन से आयात होने वाले ऐसे उपकरणों की खेप में कटौती की गई है। अब वही कंपनियां इन उपकरणों का कारोबार कर सकती हैं, जो भारत में ही इनका उत्पादन या संकलन करती हैं।
  • "देशी" और "विदेशी" तकनीक का एक सांस्कृतिक पहलू है जो हमारे समाज में गहरे रूप से प्रतिबद्ध है। "देशी" तकनीक भारत की धरोहर और परंपरा से जुड़ी होती है जबकि "विदेशी" तकनीक विदेशों से प्राप्त तकनीक है।
  • यहां एक विचारशील बिंदु है क्योंकि हमें यह देखना है कि दोनों के बीच इस समानता और अंतर का क्या महत्व है।
  • देशी तकनीक के पक्ष में यह कहा जाता है कि यह हमारी संस्कृति और विरासत का हिस्सा है। यह हमें परंपरागत रूप से जीने का अवसर देती है और इससे स्वदेशी उत्पादन को बढ़ावा मिलता है। देशी तकनीकों को विकसित करने से भारतीय अर्थव्यवस्था को समृद्धि की दिशा में एक बड़ा योगदान मिलता है। इससे भारत स्वयंनिर्भर बन सकता है और अन्य विदेशी देशों के साथ समानता का संवाद स्थापित कर सकता है।
  • वहीं, विदेशी तकनीकों के पक्ष में यह कहा जाता है कि इन्हें अधिक विकसित और उन्नत माना जा सकता है। विदेशी तकनीकें अक्सर विज्ञान, तकनीक और इंजीनियरिंग के क्षेत्र में उन्नति के लिए प्रसिद्ध होती हैं। इन्हें अपनाकर भारत भी तकनीकी उन्नति की दिशा में तेजी से आगे बढ़ सकता है।
  • इस मुद्दे को समझने के लिए हमें संरचित दृष्टिकोण अपनाने की जरूरत है। हमें देशी तकनीकों के गुणों को बढ़ावा देने के साथ-साथ विदेशी तकनीकों के भी लाभों को समझना चाहिए। भारतीय वैज्ञानिकों और इंजीनियरों को समृद्धि की दिशा में सरकारी समर्थन और अनुदान प्रदान करने से उन्नति होगी।

आलोचना:

  • हालांकि कुछ लोगों को लगता है कि इस फैसले से विश्व व्यापार नियमों का उल्लंघन होगा और सरकार यह इसलिए कर रही है कि उसका मकसद अपनी चहेती कुछ कंपनियों को फायदा पहुंचाना है। मगर सरकारें अपने सुरक्षा कारणों से ऐसे फैसले ले सकती हैं। फिर लोगों को बाहर से ऐसी मशीनें मंगाने पर प्रतिबंध नहीं होगा, इसके लिए उन्हें आयात शुल्क भुगतान करना पड़ेगा।
  • दरअसल, बाहर की वस्तुओं पर रोक लगाने के पीछे सरकार का एक बड़ा मकसद यह भी है कि इस तरह उसका व्यापार घाटा काफी कम हो जाता है। दरअसल, निर्यात के मामले में भारत अपने लक्ष्य से काफी पीछे चल रहा है और आयात में निरंतर बढ़ोतरी हो रही है, जिससे व्यापार घाटा चिंताजनक स्तर पर पहुंच गया है। इस तरह आयात पर प्रतिबंध लगा कर सरकार बेशक व्यापार घाटा कुछ पाट सकती है, मगर बिना निर्यात बढ़ाए अर्थव्यवस्था को गति देना एक चुनौती बनी ही रहेगी।

निष्कर्ष:

  • देशी और विदेशी तकनीकों के मुद्दे पर हमें विचार करना चाहिए कि हम इन तकनीकों को समझकर उन्हें सभ्य समाज के हित में उपयोग कैसे कर सकते हैं। हमें एक-दूसरे के साथ सहयोग करने और एक समृद्ध भविष्य के लिए इन तकनीकों का समुचित उपयोग करने की जरूरत है।

                                            -------------------------------

मुख्य परीक्षा प्रश्न

 

देशी बनाम विदेशी तकनीक के संदर्भ में, भारत सरकार द्वारा तकनीकी वस्तुओं के आयात पर लगाए गए प्रतिबंधों का आलोचनात्माक विश्लेषण कीजिए।