
देश में नवीनतम बाघ जनगणना
देश में नवीनतम बाघ जनगणना
मुख्य परीक्षा : सामान्य अध्ययन 3
(पर्यावरण संरक्षण)
चर्चा में क्यों
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा जारी नवीनतम बाघ जनगणना के आंकड़ों के अनुसार, वर्ष 2022 में भारत में बाघों की संख्या 3,167 तक पहुंच गई है।
- बाघों की संख्या का यह आंकड़ा 2006 में 1,411, 2010 में 1,706, 2014 में 2,226 और 2018 में 2,967 की पिछली जनगणना के आंकड़ों की तुलना में उल्लेखनीय वृद्धि दर्शाता है।
महत्वपूर्ण तथ्य :
- प्रोजेक्ट टाइगर की 50 वीं वर्षगांठ के अवसर पर प्रधानमंत्री द्वारा बाघों की संख्या की घोषणा की गयी और अखिल भारतीय बाघ अनुमान (पाचवां चक्र) की सारांश रिपोर्ट जारी की गयी।
- प्रधानमंत्री ने 'प्रोजेक्ट टाइगर' के 50 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में 'इंटरनेशनल बिग कैट एलायंस' का शुभारंभ किया।
- इसगठबंधन का उद्देश्य बाघों और शेरों सहित दुनिया भर में सात प्रमुख बड़ी बिल्लियों की रक्षा और संरक्षण करना है।
- इंटरनेशनल बिग कैट एलायंस द्वाराबाघ, शेर, तेंदुआ, हिम तेंदुआ, प्यूमा, जगुआर और चीता सहित दुनिया के सात प्रमुख बिग कैट के संरक्षण पर ध्यान दिया जाएगा।
- प्रधानमंत्री ने 'अमृत काल का टाइगर विजन' नाम की एक पुस्तिका भी जारी की, जो अगले 25 वर्षों में बाघ संरक्षण के दृष्टिकोण को रेखांकित करती है।
- नवीनतम बाघ जनगणना के अनुमान के अनुसार, 2022 में भारत में 3,167 बाघ हैं, 2018 में यह संख्या 2,967 और 2014 में 2,226 थी।
- भारत में दुनिया की बाघों की आबादी का लगभग 75 फीसदीहिस्सा है।
- बाघ जनगणना के अनुसार, शिवालिक पहाड़ियों और गंगा के बाढ़ के मैदानों में बाघों की आबादी सबसे अधिक बढ़ी है, इसके बाद मध्य भारत, उत्तर पूर्वी पहाड़ियों, ब्रह्मपुत्र बाढ़ के मैदानों और सुंदरबन का स्थान आता है।
- आंकड़ों के अनुसार, पश्चिमी घाट में बाघों की संख्या में कमी आयी है।
- राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) द्वारा 2006 से प्रत्येक 4 वर्ष में राज्य के वन विभागों, गैर सरकारी संगठनों के सहयोग से और भारतीय वन्यजीव संस्थान (WII) द्वारा समन्वित, "बाघों की स्थिति, सह-शिकारियों, शिकार और उनके आवास" के लिए एक राष्ट्रीय मूल्यांकन करता है।
भारत में बाघ संरक्षण की स्थिति :
- भारत में भारतीय वन्यजीव बोर्ड द्वारा वर्ष 1972 में शेर के स्थान पर बाघ को राष्ट्रीय पशु के रूप में स्वीकार किया गया।
- वर्ष 2023 तक देश में टाइगर रिजर्व की संख्या 54हो गयी है, जिनका कुल क्षेत्रफल 75,796 वर्ग किमी है, जो भारत के भूमि क्षेत्र का लगभग 2.3% है।
- सरकार द्वारा डिजिटल इंडिया के तहत बाघों की स्मार्ट निगरानी के लिये एक कार्यक्रम ‘मोनीटरिंग सिस्टम फॉर टाइगर्स इंटेंसिव प्रोटेक्शन एंड इकोलॉजिकल स्टेटस’ (MSTrIPES) शुरू किया गया।
- बाघों के संरक्षण को प्रोत्साहन देने हेतु प्रति वर्ष 29 जुलाई को ‘विश्व बाघ दिवस’ मनाया जाता है।
- प्रकृति के संरक्षण के लिए अंतर्राष्ट्रीय संघ (IUCN) की रेड लिस्ट में बाघ को लुप्तप्राय घोषित किया गया है
- वन्य जीवों और वनस्पतियों की लुप्तप्राय प्रजातियों में अंतर्राष्ट्रीय व्यापार पर कन्वेंशन (CITES) - परिशिष्ट Iमें निर्दिष्ट किया गया है
बाघ संरक्षण हेतु भारत सरकार के प्रयास :
प्रोजेक्ट टाइगर:
- प्रोजेक्ट टाइगर की शुरुआत केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा वर्ष 1973 में की गई थी।
- बाघोंकीआबादीमेंगिरावटकोरोकनेकेउद्देश्यसेइसे 1973 में तत्कालीन प्रधान मंत्री इंदिरा गांधी द्वारा यहप्रोजेक्ट जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क, उत्तराखंड मेंलांच किया गया था।
- इस कार्यक्रम के तहत बाघों की आबादी वाले राज्यों को बाघों के संरक्षण के लिए केंद्रीय सहायता प्रदान की जाती है।
- प्रोजेक्ट टाइगर के तहत कवर किए गए शुरुआती टाइगर रिजर्व 9 थे :
- जिम कॉर्बेट (उत्तराखंड)
- मानस (असम)
- रणथंभौर (राजस्थान)
- सिमलीपाल (ओडिशा)
- बांदीपुर (कर्नाटक)
- पलामू (झारखंड)
- सुंदरबन (प. बं)
- मेलघाट (महाराष्ट्र)
- कान्हा राष्ट्रीय उद्यान (म.प्र.)
- वर्तमानमेंदेशमेंटाइगर रिजर्व की कुल संख्या 54है। वहींअकेला भारत दुनियाभर में बाघों की 75फीसदी आबादी का प्रतिनिधित्व करता है।
- राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण:
- यह प्रोजेक्ट टाइगर और अन्य संरक्षण कार्यक्रमों के प्रभावी कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने के लिए 2005 में स्थापित एक वैधानिक निकाय है।
- यह बाघ अभयारण्यों के प्रबंधन की देखरेख करता है, तकनीकी सहायता प्रदान करता हैऔर अन्य सरकारी एजेंसियों और हितधारकों के साथ समन्वय करता है।
- वन्यजीव संरक्षण अधिनियम:
- यह 1972 में बनाया गया एक राष्ट्रीय कानून है, जो वन्यजीवोंकेअवैध शिकार और उनके व्यापार पर रोक लगाकर भारत में वन्यजीवों की रक्षा करता है।
- यह कानून राष्ट्रीय उद्यानों, वन्यजीव अभयारण्यों और बायोस्फीयर रिजर्व सहित संरक्षित क्षेत्रों की स्थापना के लिए भी प्रावधान करता है।
- राष्ट्रीय वन्यजीव कार्य योजना:
- यह भारत में वन्यजीव संरक्षण के लिए एक व्यापक योजना है जो वन्यजीवों और उनके आवासों की सुरक्षा और प्रबंधन के लिए रणनीतियों और कार्यों की रूपरेखा तैयार करती है।
- इस कार्ययोजना में बाघों की आबादी में वृद्धि करना,नए संरक्षित क्षेत्रों की स्थापना करनाआदि लक्ष्य शामिल हैं।
- पर्यावरण-विकास कार्यक्रम:
- इसकार्यक्रम का उद्देश्य मानव-वन्यजीव संघर्ष को कम करना और संरक्षण के प्रयासों में सामुदायिक भागीदारी को बढ़ाना है।
- एम-स्ट्राइप्स:
- यह बाघों की आबादी की निगरानी और प्रबंधन के लिए वन्यजीव संरक्षण ट्रस्ट द्वारा विकसित एक मोबाइल-आधारित निगरानी प्रणाली है।
- यहप्रणालीबाघों की गतिविधियों और निवास स्थान के उपयोग पर डेटा एकत्र करने के लिए जीपीएस और मोबाइल तकनीक का उपयोग करतीहै, जिसका उपयोग संरक्षण निर्णयों को सूचित करने के लिए किया जाता है।
भारत में बाघों की सर्वाधिक आबादी वाले शीर्ष राज्य :
- मध्य प्रदेश कुल 526 बाघों के साथ भारत में बाघों की सबसे अधिक आबादी वाला राज्य है।
- कर्नाटक कुल 524 बाघों के साथ, भारत में बाघों की दूसरी सबसे बड़ी आबादी वाला राज्य है।
- उत्तराखंड राज्य में कुल 442 बाघ हैं और यह घने जंगल के लिए जाना जाता है।
- महाराष्ट्र312 बाघों का घर है, जो इसे भारत में सबसे अधिक बाघों की आबादी वाला चौथा राज्य बनाता है।
- तमिलनाडु राज्य में कुल 264 बाघ हैं और यह मुदुमलाई और अन्नामलाई बाघ अभयारण्यों के लिए जाना जाता है।
- कुल 190 बाघों के साथ, असम भारत में बाघ संरक्षण के प्रयासों के लिए एक महत्वपूर्ण राज्य है।
- केरल राज्य में कुल 190 बाघ हैं और यह पेरियार टाइगर रिजर्व के लिए जाना जाता है।
- उत्तर प्रदेश में 173 बाघ हैं और यहदुधवा टाइगर रिजर्व का घर है।
- कुल 88 बाघों के साथ, पश्चिम बंगाल में अन्य राज्यों की तुलना में बाघों की संख्या अपेक्षाकृत कम है।
- कुल 69 बाघों वाले शीर्ष 10 राज्यों में राजस्थानमें बाघों की सबसे कम आबादी है।
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