विश्व वायु गुणवत्ता रिपोर्ट, 2023

विश्व वायु गुणवत्ता रिपोर्ट, 2023

GS-3: जैव विविधता और पर्यावरण संरक्षण

(यूपीएससी/राज्य पीएससी)

प्रिलिम्स के लिए महत्वपूर्ण:

विश्व वायु गुणवत्ता (IQAir) रिपोर्ट-2023, पार्टिकुलेट मैटर (PM) के बारे में, वायु प्रदूषण, वायु गुणवत्ता और मौसम पूर्वानुमान तथा अनुसंधान प्रणाली (SAFAR) का विकास, टर्बो हैप्पी सीडर (THS) मशीन, ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान, स्मॉग टॉवर, राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (NCAP), बीएस-VI वाहन, वायु गुणवत्ता की निगरानी के लिये डैशबोर्ड, वायु (प्रदूषण की रोकथाम और नियंत्रण) अधिनियम-1981, प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना (PMUY)।

मेन्स के लिए महत्वपूर्ण:

विश्व वायु गुणवत्ता रिपोर्ट-2023 के प्रमुख बिंदु, वायु प्रदूषण के कारण एवं प्रभाव, आगे की राह।

20/03/2024

न्यूज़ में क्यों:

हाल ही में स्विस वायु गुणवत्ता निगरानी निकाय ने विश्व वायु गुणवत्ता (IQAir) रिपोर्ट, 2023 जारी की है।

विश्व वायु गुणवत्ता रिपोर्ट, 2023

प्रमुख बिंदु:

  • इस रिपोर्ट में उल्लिखित डेटा 134 देशों के 7,812 स्थानों पर 30,000 से अधिक वायु गुणवत्ता निगरानी स्टेशनों से लिया गया है।

भारत की स्थिति:

  • 'विश्व वायु गुणवत्ता रिपोर्ट, वर्ष 2023' के अनुसार-
  • वर्ष 2023 में, भारत 134 देशों में से तीसरा सबसे प्रदूषित देश है।
  • 54.4 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर की औसत वार्षिक PM2.5 सांद्रता के साथ, भारत वर्ष 2023 में बांग्लादेश (79.9 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर) और पाकिस्तान (73.7 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर) के बाद 134 देशों में से तीसरी सबसे खराब वायु गुणवत्ता है।
  • वर्ष 2022 में, भारत औसत PM2.5 सांद्रता 53.3 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर के साथ 8वां सबसे प्रदूषित देश था।
  • इस रिपोर्ट के अनुसार, विश्व के शीर्ष 50 सबसे प्रदूषित शहरों की सूची में भारत के 42 शहर शामिल हैं।
  • इस रिपोर्ट में बिहार का बेगुसराय वर्ष 2023 का सबसे प्रदूषित महानगरीय क्षेत्र है। इसके पश्चात् गुवाहाटी और दिल्ली का स्थान है।
  • दिल्ली एक बार फिर दुनिया की सबसे प्रदूषित राजधानी घोषित की गयी है।
  • विश्व के शीर्ष 50 सबसे प्रदूषित शहरों की सूची में शामिल भारत के अन्य भारतीय शहर: ग्रेटर नोएडा(11), मुज़फ़्फ़रनगर(16), गुड़गांव(17), आरा(18), दादरी(19), पटना(20), फ़रीदाबाद(25), नोएडा(26), मेरठ (28), गाजियाबाद(35), रोहतक(47)

वायु प्रदूषण में वैश्विक परिदृश्य:

  • वर्ष 2023 में दुनिया के शीर्ष 5 सबसे प्रदूषित देशों में शामिल हैं: बांग्लादेश, पाकिस्तान, भारत, ताजिकिस्तान,  बुर्किना फासो।
  • विश्व के 7 देश जो WHO की वार्षिक PM2.5 गाइडलाइन (वार्षिक औसत 5 µg/m3 या उससे कम) को पूरा करते हैं: ऑस्ट्रेलिया, एस्टोनिया, फ़िनलैंड, ग्रेनाडा, आइसलैंड, मॉरीशस, न्यूज़ीलैंड।
  • WHO की वार्षिक PM2.5 गाइडलाइन रिपोर्ट के अनुसार, अफ्रीका सबसे कम प्रतिनिधित्व करने वाला महाद्वीप बना हुआ है।
  • यहां एक तिहाई आबादी के पास अभी भी वायु गुणवत्ता डेटा तक पहुंच नहीं है।
  • इस रिपोर्ट में पहली बार कनाडा, उत्तरी अमेरिका में सबसे प्रदूषित देश के रूप में उभरा है।

वायु प्रदूषण का खतरा:

  • WHO की रिपोर्ट के अनुसार, विश्व में हर साल लगभग 70 लाख लोगों की मृत्यु वायु प्रदूषण के कारण समय से पहले हो जाती है।

पार्टिकुलेट मैटर (PM) के बारे में:

  • यह छोटे सॉलिड या लिक्विड फॉर्म में मौजूद कण होते हैं, जो सांसों के माध्यम से मानव शरीर के अंदर प्रवेश करते हैं।

PM10:

  • ये बहुत छोटे धूल जैसे कण होते हैं।

PM 2.5:

  • यह एक प्रकार का वायुमंडलीय कण होता है, जिसका व्यास 2.5 माइक्रोमीटर से कम या मानव बाल के व्यास का लगभग 3 प्रतिशत होता है।
  • यह कण इतने छोटे होते है कि वे फेफड़े में गहराई तक प्रवेश कर सकते है और यहां तक कि रक्त प्रवाह में भी प्रवेश कर सकते है।
  • यह वायु प्रदूषण के कारण अस्थमा, कैंसर, आघात और फेफड़ों की बीमारी समेत अनेक बीमारियों के लिए उत्तरदायी होता है।

वायु प्रदूषण के कारण एवं प्रभाव:

क्षेत्रीय कारखाने:

  • सर्वेक्षणों से पता चलता है कि देश के कई राज्य जहां यूरिया, अमोनिया, जिंक सल्फेट और कीटनाशक बनाने के कारखाने हैं, जिनकी चिमनियों से तरह-तरह की जहरीली गैसें निकलतीं हैं, इनसे बुरी तरह से पर्यावरण खराब होता है।
  • फूलपुर और आंवला में यूरिया बनाने के बहुत बड़े कारखाने हैं। इन कारखानों से निकले जहरीले पानी और गैस की वजह से तमाम समस्याओं से लोगों को रूबरू होना पड़ रहा है।
  • मुंबई, लुधियाना, सूरत, कोलकता और देश की दूसरी कई कपड़ा मिलों के मजदूरों में आंख और श्वास संबंधी बीमारियां होना आम बात है।
  • मध्य प्रदेश के सतना, बानमोर, कैमोर, गोपालनगर और जामुल में सीमेंट के बड़े-बड़े कारखाने हैं। कैमोर में देश का सबसे बड़ा सीमेंट का कारखाना है। इससे और दूसरे सीमेंट के कारखानों से चौबीसों घंटे धूल उड़ती रहती है।
  • इनकी चिमनियों से धूल के विषैले कणों के अलावा कार्बन डाइआक्साइड, कार्बन मोनोआक्साइड और सल्फर डाइआक्साइड जैसी जहरीली गैसें निकलती हैं। इनकी वजह से दमा और टीबी के अलावा खून में होमोग्लोबिन की मात्रा कम हो जाती है।
  • राजधानी दिल्ली में जितना प्रदूषण है, उसका 24 फीसद फैक्ट्रियों के माध्यम से होता है। इसके अलावा राजधानी क्षेत्र फरीदाबाद, गुरुग्राम और नोएडा में सैकड़ों फैक्टरियों से जहरीली गैसें निकलतीं हैं।
  • उनसे 100 किलोमीटर की परिधि में नाइट्रोजन, सल्फर डाइआक्साडड, कार्बन मोनो आक्साइड और दूसरी जहरीली गैसों की मात्रा बढ़ जाने से आंख, नाक, दिमाग, फेफड़े ,गले, आंत और पाचन संबंधी बीमारियां आमतौर पर हो जाती हैं।

नदियों में बढ़ती अपशिष्ट पदार्थों की मात्रा:

  • बिहार में बहने वाली कई नदियों और कोलकाता में हुगली नदी डेढ़ सौ से ज्यादा चर्म, कपड़ा, कागज, पटसन, शराब और दूसरे आधुनिक उद्योगों के उच्छिष्टों की वजह से इतनी अधिक प्रदूषित हो गई है कि इसे हाथ से छूना बीमारी को बुलाने जैसा लगता है।
  • इसी तरह भारत-नेपाल को बांटने वाली सरीसवा नदी नेपाल के उद्योगों से निकले अपशिष्टों के कारण बहुत अधिक प्रदूषित हो गई है। गौरतलब है कि सरीसावा नदी सदियों से सौ से अधिक गांवों के लिए जीवन यापन का साधन बनी हुई थी। लेकिन चर्मशोधक कारखानों, शराब फैक्ट्रियों और चीनी मिलों से निकले जहरीले पानी और उच्छिष्टों की वजह से अब यह मौत का कारण बन गई है।
  • पिछले 25 वर्षों में दस हजार से ज्यादा जानवर इसके विषैले पानी के सेवन के कारण मौत का शिकार हुए हैं। यह जल प्रदूषण के कारण हुआ है।
  • गंगा प्रदूषण निवारक समिति के अनुसार, 2033 किलोमीटर लंबी इस ऐतिहासिक नदी का 480 किलोमीटर हिस्सा उद्योगों के उच्छिष्टों और अवशिष्टों के लगातार मिलने की वजह से बुरी तरह प्रदूषित हो गया है।
  • कृष्णा, कावेरी, गोदावरी, नर्मदा, ताप्ती, भीमा, साबरमती और यमुना भी उद्योगों से निकलने वाले उच्छिष्टों के कारण बुरी तरह प्रदूषित है।
  • केरल की चलियार नदी रेयान कारखाने से निकले विषैले पानी के कारण इतनी प्रदूषित हो गई है कि इसका पानी किसी इस्तेमाल के काबिल नहीं रह गया है।

दिल्ली में बेंजीन कारसिनोजन की मात्रा में वृद्धि:

  • प्रदूषण की समस्याओं में हवा और जल प्रदूषण सबसे अधिक मनुष्य को प्रभावित कर रही हैं। अगर हवा में घुली विषैली गैसों की बात करें तो दिल्ली में बेंजीन कारसिनोजन की मात्रा तीन से नौ गुना तक बढ़ चुकी है।
  • यह बेंजीन का खतरनाक स्तर है। वैज्ञानिकों के अनुसार, इससे दिल्ली में कैंसर के मामले दिनोंदिन बढ़ते जा रहे हैं।

विद्युत ताप घर:

  • इसी तरह बिहार और झारखंड में विद्युत ताप घरों से निकलने वाली जहरीली गैसों से हर साल 30 हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो जाती है।
  • दिल्ली, हरियाणा और आंध्र प्रदेश में हर साल हजारों की संख्या में सांस की बीमारियों और कैंसर से हजारों लोग मौत के शिकार हो जाते हैं। मध्य प्रदेश और झारखंड में चूना भट्ठों से निकलने वाली गैसों से सांस से संबंधित कई बीमारियां होने से हजारों लोगों की मौत हो जाती है।

वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने हेतु भारत सरकार की प्रमुख पहल:

  • वर्ष 2015 में आयोजित पेरिस जलवायु समझौते में निर्धारित संकल्पों के अनुरूप भारत पर्यावरण संरक्षण और संवर्धन के लिए निरंतर प्रयत्नशील है। जी 20 देशों में भारत अकेला देश है, जो इस समझौते का अनुपालन कर रहा है।
  • वायु गुणवत्ता सूचकांक(AQI) जारी कारना।
  • वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग का गठन।
  • वायु गुणवत्ता और मौसम पूर्वानुमान तथा अनुसंधान प्रणाली (SAFAR) का विकास।
  • टर्बो हैप्पी सीडर (THS) मशीन का प्रबंधन।
  • ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (दिल्ली)
  • स्मॉग टॉवर
  • सबसे ऊँचा वायु शोधक
  • राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (NCAP)
  • बीएस-VI वाहन
  • वायु गुणवत्ता की निगरानी के लिये डैशबोर्ड
  • वायु (प्रदूषण की रोकथाम और नियंत्रण) अधिनियम, 1981
  • प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना (PMUY)

आगे की राह:

  • पर्यावरण की रक्षा हेतु जागरूकता और योजना की आवश्यकता है। उचित योजना, प्रबंधन और विकास रणनीतियाँ पर्यावरण की रक्षा में मदद कर सकती हैं।
  • प्रदूषण से होने वाली समस्याओं से छुटकारा पाने के लिए केंद्र और राज्य सरकारों ने अपने स्तर से इससे छुटकारा पाने के लिए कदम उठाएं हैं।
  • हवा और जल प्रदूषण से निजात पाने के लिए केंद्र सरकार द्वारा उठाए गए कदमों और पर्यावरण को प्रदूषित करने वाले कारकों के संबंध में आम लोगों को जागरुक किया जाना चाहिए।
  • आवश्यकता इस बात की है कि हम पर्यावरण और अपने हित में प्रदूषण करने वाले कारकों को कम से कम उपयोग करें और दूसरों को भी इसके लिए जागरूक करें। यानी बढ़ती पर्यावरण की समस्याओं को अति गंभीरता से लेना होगा। तभी हमारा पर्यावरण सुरक्षित रहेगा और हम भी सुरक्षित रहेंगे।

स्रोत: जनसत्ता, इंडियन एक्सप्रेस

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मुख्य परीक्षा प्रश्न:

विश्व वायु गुणवत्ता रिपोर्ट-2023 के प्रमुख बिंदुओं पर चर्चा कीजिए।

बढ़ते प्रदूषण और इसके प्रभावों के समाधान हेतु अपने तर्क लिखिए।