युद्ध शरणार्थियों के समक्ष जीवन संकट

युद्ध शरणार्थियों के समक्ष जीवन संकट

मुख्य परीक्षा: सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र-3

(युद्ध शरणार्थियों से संबंधित मुद्दे)

25 सितंबर, 2023   

प्रस्तावना:

  • युद्ध एक ऐसा समय होता है जब देशों और समुदायों के बीच संघर्ष और संघर्ष का समय होता है, जिसके दौरान जीवन की सभी पहलुओं में बदलाव होता है। युद्ध का असर सबसे अधिक उन लोगों पर पड़ता है जो युद्ध के दौरान अपने घरों और देशों से भागकर शरण लेने के लिए मजबूर होते हैं, जिन्हें हम 'युद्ध शरणार्थी' कहते हैं। युद्ध शरणार्थियों का जीवन संकट से भरपूर होता है और इसका समाधान करने के लिए समुदायों, सरकारों और अन्य संगठनों की आवश्यकता होती है।

युद्ध शरणार्थियों से संबंधित आंकड़े:

  • वर्ष 2019 की संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजंसी की रिपोर्ट के अनुसार, कुल 7 करोड़ 95 लाख विस्थापितों में से 4 करोड़ 57 लाख सांप्रदायिक, नस्लीय, जातीय हिंसा और पर्यावरणीय तथा प्राकृतिक आपदाओं से अपने ही देश में ही गंभीर समस्याओं से प्रभावित हैं।
  • संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी के प्रमुख फिलिपो ग्रैंडी के अनुसार, ‘उत्पीड़न और मानवाधिकारों के उल्लंघन के कारण करीब 11 करोड़ लोगों को अपना घर छोड़ना पड़ा है।

रूस-यूक्रेन युद्ध

  • 2022 में करीब 1.9 करोड़ लोग विस्थापित हुए, जिनमें से 1.1 करोड़ से अधिक लोगों ने यूक्रेन पर रूस के आक्रमण के चलते अपना घर छोड़ा। रूस-यूक्रेन युद्ध के हवाई और मिसाइल हमलों से बचने के लिए दस लाख से ज्यादा नागरिक यूक्रेन से पलायन कर चुके हैं।
  • ये लोग रोमानिया, पोलैंड, मोलडोवा, स्लोवाकिया, हंगरी और बेलारूस में शरण ले रहे हैं। इनमें सबसे ज्यादा 6.5 लाख लोग पोलैंड की शरण में हैं। कुछ लोग निकटवर्ती रूस के सीमा क्षेत्र में भी चले गए हैं।
  • सबसे कम शरणार्थी बेलारूस पहुंच रहे हैं। ऐसा इसलिए है, क्योंकि बेलारूस रूस का सहयोगी देश है। विश्व बैंक के मुताबिक 2020 के अंत में यूक्रेन की आबादी 4.4 करोड़ थी। एनएचसीआर ने आशंका जताई है कि अगर हालात और बिगड़ते हैं, तो चालीस लाख से भी ज्यादा यूक्रेनी नागरिकों को पड़ोसी देशों में शरण लेने पर मजबूर होना पड़ेगा। इससे पहले 2011 में सीरिया में छिड़े गृहयुद्ध के चलते बड़ी संख्या में पलायन शुरू हुआ था, जो 2018 में अमेरिका द्वारा किए हमले तक जारी रहा।
  • द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद से पहली बार इतनी बड़ी संख्या में लोग जंग के कारण विस्थापित हुए हैं। यह आपात स्थिति का संकेत है।

सूडान में संघर्ष

  • सूडान में संघर्ष के चलते अप्रैल 2023 के बाद से अब तक 20 लाख लोग विस्थापित हुए हैं। वहीं कांगो गणराज्य, इथियोपिया और म्यांमा में संघर्ष के चलते करीब 10-10 लाख लोग अपने मूल आवास और देश छोड़ने पर विवश हुए हैं।

सीरिया युद्ध

  • अमेरिका ने अपने मित्र देश ब्रिटेन और फ्रांस के साथ मिलकर सीरिया पर मिसाइल हमला बोला था। सीरिया में मौजूद रासायनिक हथियारों के भंडारों को नष्ट करने के मकसद से 105 मिसाइलें दागी गई थीं। अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस की ये मिसाइलें राजधानी दमिश्क और होम्स शहरों पर बरसाई गई थीं। इसमें रासायनिक हथियारों के भंडार और वैज्ञानिक शोध केंद्रों को निशाना बनाया गया। इससे कई इमारतों में आग लग गई और दमिश्क धुएं के गुबार से ढंक गया था। ऐसे ही दृश्य आजकल यूक्रेन में रूसी हमले से देखने में आ रहे हैं। अमेरिका ने इराक पर भी जैविक और रासायनिक हथियारों की आशंका के चलते हमला बोला था।
  • 2015 में सीरिया में भड़की हिंसा से बचने के लिए लाखों लोगों ने जान जोखिम में डाल कर महिलाओं और बच्चों के साथ भूमध्य सागर को पार कर ग्रीस और इटली में शरण ली थी। इन दोनों देशों ने तब कहा था कि समय के मारे शरणार्थियों को आश्रय देने की नीति बनाना आवश्यक है। इनमें से बमुश्किल पांच लाख लोग औपचारिक शरणार्थियों के दर्जे में हैं। युद्ध और गृहयुद्ध के हालात के चलते सबसे ज्यादा सीरिया के 67 लाख, अफगानिस्तान के 27 लाख, दक्षिण सूडान के 23 लाख, म्यांमा के 11 लाख और सोमालिया के 9 लाख लोग शरणार्थी के रूप में विभिन्न विकसित देशों के सीमांत इलाकों में शरण लिए हुए हैं। लगभग 7 वर्ष चले सीरिया युद्ध में 5 लाख से ज्यादा लोग मारे गए थे। एक करोड़ लोगों ने शरणार्थी के रूप में विस्थापन का दंश झेला, इनमें से 67 लाख आज भी अनेक देशों में शरणार्थी बने हुए हैं। ये शरणार्थी जिन देशों में रह रहे हैं, उनमें कई संकटों का का सामना करना पड़ रहा है। जर्मनी ने सबसे ज्यादा विस्थापितों को शरण दी थी।
  • वेनेजुएला में राजनीतिक और आर्थिक अस्थिरता के चलते चालीस लाख से ज्यादा लोगों ने पलायन किया था।
  • भारत में बांग्लादेश और म्यांमा के गृहयुद्ध से पलायन किए लगभग चार करोड़ लोगों ने घुसपैठ की हुई है।

शरणार्थियों का पुनर्वास:

  • संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी के प्रमुख फिलिपो ग्रैंडी के अनुसार, ‘2022 में एक लाख 14 हजार शरणार्थियों का पुनर्वास भी किया गया, जो 2021 की तुलना में दोगुना है।

वर्चस्व के लिए युद्ध:

  • विकसित देश अपने वर्चस्व के लिए युद्ध के हालात पैदा करते हैं, जैसा कि यूक्रेन के परिप्रेक्ष्य में अमेरिका और रूस के वर्चस्व की लड़ाई। अमेरिका और रूस ने अपने वर्चस्व की खातिर 1993 तक तीसरी परमाणु शक्ति रहे देश यूक्रेन से 1994 में बुडापेस्ट परमाणु अप्रसार संधि पर हस्ताक्षर कराकर उसके सभी परमाणु हथियार समुद्र में नष्ट करा दिया था। अमेरिका और ब्रिटेन ने यूक्रेन को इस समझौते के लिए राजी किया था और इन्हीं देशों के साथ रूस ने भी सहमति जताते हुए यूक्रेन की सुरक्षा की गारंटी ली थी। लेकिन अब रूस ने सीधा यूक्रेन पर हमला बोल दिया और अमेरिका और ब्रिटेन दूर खड़े रहकर तमाशा देख रहे हैं।
  • बावजूद इसके, यही वे अमीर देश हैं, जो सबसे ज्यादा युद्ध और पर्यावरण शरणार्थियों को शरण देते हैं।

युद्ध शरणार्थियों के लिए समस्याएं:

  • सुरक्षा की समस्याएँ: युद्ध के कारण लोग अपने घरों और देशों को छोड़ने को मजबूर होते हैं। इससे मानसिक तनाव, उदासी और अशांति जैसी समस्याएँ उत्पन्न हो जाती हैं।
  • आर्थिक असुरक्षा: युद्ध क्षेत्रों में अकेले या परिवार के साथ जाने के कारण आर्थिक स्थिति में कमी आ सकती है। कई बार यह लोग अपनी नौकरी, व्यवसाय या संपत्ति खो देते हैं।
  • स्वास्थ्य समस्याएँ: यातायात और आवास की अनियमितताओं के कारण, युद्ध शरणार्थियों को खुद की सेहत की देखभाल की कठिनाईयों का सामना करना पड़ सकता है। नियमित और स्वस्थ आहार और चिकित्सा सुविधाओं की कमी भी हो सकती है।
  • शिक्षा का अभाव: बच्चों को युद्ध शरणार्थियों के लिए उचित शिक्षा की उपलब्धता नहीं हो सकती, जो उनके भविष्य को प्रभावित कर सकता है।
  • सामाजिक संबंधों की हानि: युद्ध शरणार्थियों के अपने समुदायों और संबंधियों से दूर रहकर सामाजिक संबंध पूरी तरह समाप्त हो जाते हैं।
  • चिंता और अवसाद: युद्ध के बाद, युद्ध शरणार्थियों का जीवन अथक और थकावटपूर्ण हो सकता है। उनके मनोबल को उचित समय और स्थान की आवश्यकता होती है।
  • पोस्ट-ट्रौमैटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर (PTSD): युद्ध क्षेत्र में घातक घटनाओं का सामना करने के बाद, युद्ध शरणार्थियों को PTSD की संभावना होती है, जिसमें विविध मानसिक स्वास्थ्य समस्याएँ शामिल हो सकती हैं।
  • असुरक्षित सामाजिक पर्यावरण: युद्ध शरणार्थियों को अपने आस-पास के सामाजिक पर्यावरण में असुरक्षित महसूस कर सकता है, जो उनके नैतिक और भौतिक सुरक्षा को प्रभावित कर सकता है।

निष्कर्ष:

  • युद्ध शरणार्थियों के समक्ष जीवन संकट एक मानवाधिकार का मुद्दा है और हम सभी की जिम्मेदारी होती है कि हम उनकी मदद करें और उनके जीवन को सुझाव देने का प्रयास करें, ताकि वे अपने जीवन को पुनः स्थापित कर सकें।
  • सरकारें, गैर सरकारी संगठन और समुदायों को इन लोगों के साथ सहयोग करने और उनके जीवन को सुधारने के उपायों को बढ़ावा देने की दिशा में कठिन प्रयास करने की आवश्यकता है।

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मुख्य परीक्षा प्रश्न

युद्ध शरणार्थियों के समक्ष जीवन संकट एक मानवाधिकार का मुद्दा है। विवेचना कीजिए।