युद्धपोत “महेंद्रगिरि”

युद्धपोत “महेंद्रगिरि”

को लांच करने की तैयारी

यह टॉपिक आईएएस/पीसीएस की प्रारंभिक परीक्षा के करेंट अफेयर और मुख्य परीक्षा के सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 के रक्षा तकनीकी से संबंधित है 

30 अगस्त, 2023

चर्चा में:

  • नीलगिरी श्रेणी के अंतिम सातवें अत्याधुनिक स्टेल्थ तकनीक से युक्त जंगी युद्धपोत महेंद्रगिरि (याई12654) का 1 सितंबर, 2023 को मुंबई स्थित मझगांव डाकयार्ड लिमिटेड (एमडीएल) में उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के जरिए जलावतरण किया जाएगा।

प्रमुख बिंदु:

  • इस समारोह में उनके अलावा नौसेना प्रमुख एडमिरल आर हरि कुमार और बल की पश्चिमी कमांड के कई वरिष्ठ अधिकारी इस शामिल होंगे।
  • जलावतरण के बाद भारतीय शिपयार्ड एमडीएल द्वारा यह जांच की जाएगी कि बंदरगाह पर युद्धपोत का समुद्री पानी में गतिमान रहने वाला भाग, इंजन और बिजली पाइप की फिटिंग सही तरीके काम कर रही है या नहीं।
  • इस चरण के पूरा होने में कुछ वक्त लगेगा और उसके बाद समुद्री परीक्षणों की शुरुआत की जाएगी।
  • नौसेना के एक अधिकारी ने बताया कि नौसेना में आधिकारिक रूप से तैनाती से पहले इस युद्धपोत को यार्ड-12654 के नाम से ही जाना जाएगा।
  • मूलरूप से यह नौसेना  के प्रोजेक्ट 17 अल्फा के तहत तैयार किए जा रहे सात में से आखिरी जंगी युद्धपोत है।
  • इससे पहले इसी महीने 17 अगस्त को इस श्रेणी के छठे युद्धपोत विंध्यागिरी का कोलकाता के गार्डन रीच शिपबिल्डर्स इंजीनियर्स (जीआरएसई) द्वारा आयोजित किए गए एक समारोह में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने जलावतरण किया था।
  • सात में से चार युद्धपोत एमडीएल और तीन जीआरएसई बना रहा है।
  • नौसेना अपनी इस परियोजना को शिवालिक श्रेणी के युद्धपोतों का प्रतिरूप मानती है।
  • महेंद्रगिरि को वर्ष 2026-27 तक नौसेना के जंगी बेड़े में तैनात (कमीशन) किया जा सकता है।

प्रोजेक्ट 17ए के बारे में:

  • प्रोजेक्ट 17 अल्फा फ्रिगेट्स (P-17A) को भारतीय नौसेना द्वारा 2019 में स्टील्थ गाइडेड-मिसाइल फ्रिगेट्स की एक श्रृंखला के निर्माण के लिए लॉन्च किया गया था।
  • वर्तमान में प्रोजेक्ट 17 ए के युद्धपोतों का निर्माण मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स (एमडीएल) और गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स (जीआरएसई) द्वारा किया जा रहा है।
  • प्रोजेक्ट 17A के तहत लॉन्च किया गया पहला स्टील्थ युद्धपोत नीलगिरि था , जिसे 2019 में लॉन्च किया गया था।
  • दूसरा जहाज, उदयगिरि, मई 2022 में लॉन्च किया गया था, यह संभवतः 2024 में चालू किया जाएगा।
  • प्रोजेक्ट 17ए अत्याधुनिक तकनीक में स्वदेशी नवाचार को प्रदर्शित करते हुए आत्मनिर्भरता और तकनीकी उन्नति के प्रति भारत की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

प्रोजेक्ट 17 अल्फा की विशेषताएं:

  • प्रोजेक्ट 17 अल्फा के तहत बनाए जा रहे युद्धपोतों की खास बात यह है कि इनकी कुल विस्थापना क्षमता या भार 6 हजार 670 टन है।
  • इसके अलावा लंबाई 149 मीटर, चौड़ाई 17.8 मीटर, समुद्र में सामान्य गति 28 नाट्स और अधिकतम 5 हजार 500 नाट्स होगी।
  • युद्धपोतों के चालक दल में दो सौ से अधिक नाविकों के दल को शामिल किया जाएगा।
  • प्रोजेक्ट 17 अल्फा पर कुल 25 हजार 700 करोड़ रुपए की लागत आएगी।
  • इन जंगी युद्धपोतों का डिजाइन नौसेना के डिजाइन ब्यूरो द्वारा तैयार किया गया है।
  • साथ ही इनमें स्वदेशीकरण और आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने के लिए लगभग 75 फीसद स्वदेशी निर्माण सामग्री का प्रयोग किया जा रहा है।
  • जिससे केंद्र सरकार के रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता के लक्ष्य को बढ़ावा मिलेगा।

तैनात की जाएगी ब्रह्मोस मिसाइल

  • महेंद्रगिरि युद्धपोत में अत्याधुनिक विध्वंसक हथियारों को लगाया जाएगा।
  • इसमें ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल, सतह से हवा में मार करने वाली बराक- आठ मिसाइल, एमएफ स्टार रडार, दो टारपीडो ट्यूब, दुश्मन के विमानों को नेस्तनाबूद करने वाला तंत्र मुख्य है।

नीलगिरी श्रेणी के सभी युद्धपोतों के नाम:

  1. नीलगिरि:  28 सितंबर, 2019 में प्रोजेक्ट 17 अल्फा के तहत लॉन्च किया गया यह पहला युद्धपोत है
  2. उदयगिरि: 17 मई 2022 में लॉन्च किया गया यह दूसरा युद्धपोत है
  3. तारागिरि: मझगाव डाक शिपबिल्डर्स (एमडीएल) द्वारा निर्मित यह तीसरा युद्धपोत है जो 11 सितंबर, 2022 को लांच किया गया था
  4. दुनागिरि: गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स (जीआरएसई) द्वारा निर्मित यह चौथा युद्धपोत है जो जुलाई, 2022 में लांच किया गया था
  5. हिमगिरि: 14 दिसंबर, 2020 को लांच किया गया यह इस श्रेणी का पांचवां युद्धपोत है
  6. विंध्यगिरि: 17 अगस्त, 2023 को लांच किया गया, यह इस श्रेणी का छठा युद्धपोत है।
  7. महेंद्रगिरि: महेंद्रगिरि युद्धपोत इस श्रेणी का अंतिम युद्धपोत है जो 1 सितंबर, 2023 को प्रोजेक्ट 17 अल्फा के तहत लॉन्च किया जाएगा

माझगाव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड (एमडीएल):

  • माझगाव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड भारत का अग्रणी शिपयार्ड है।
  • इसका मुख्य कार्य मुंबई एवं न्हावा यार्ड में उपलब्ध सुविधाओं के आधार पर पनडुब्बियों एवं युद्धपोत का निर्माण करना है।
  • माझगाव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड, मुंबई, एक आईएसओ 9000 : 2008 कंपनी है जो भारत में एक अग्रणी जहाज निर्माण एवं प्रतितट संरचना यार्ड है।
  • इस यार्ड की स्थापना 18 वीं शताब्दी में की गई थी।
  • 1960  में भारत सरकार द्वारा इसका अधिग्रहण करने के पश्चात माझगांव डॉक तेजी से बढ़ते हुए भारत में युद्धपोत निर्माण, परिस्कृत युद्धपोत भारतीय नौसेना, तथा ओएनजीसी के लिए प्रतितट संरचना का उत्पादन करते हुए मुख्य युद्धपोत निर्माण यार्ड बना है।

गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एण्ड इंजीनियर्स लिमिटेड (जीआरएसई):

  • गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एण्ड इंजीनियर्स लिमिटेड (GRSE) भारत सरकार के रक्षा मंत्रालय के नियंत्रणाधीन एक सार्वजनिक क्षेत्र का उपक्रम है।
  • यह कोलकाता में स्थित है। यह भारतीय नौसेना के पोतों से लेकर व्यापारिक जलपोतों तक का निर्माण एवं मरम्मत करता है।
  • यह सन 1884 में हुगली नदी के किनारे यह एक लघु फैक्टरी के रूप में अस्तित्व में आई।
  • सन् 1916 में इसे गार्डन रीच वर्कशॉप (जीआरडब्ल्यू) नाम दिया गया तथा 1913 के भारतीय कम्पनी अधिनियम के अधीन इसे 26 फ़रवरी 1934 से एक कम्पनी के रूप में निगमित किया गया।
  • भारत सरकार ने 1 अप्रैल 1960 को इस कंपनी को अपने अधीन कर लिया।
  • 31दिसम्बर 1977 से इसका नाम बदलकर गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स लिमिटेड कर दिया गया।

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मुख्य परीक्षा प्रश्न

प्रोजेक्ट 17 अल्फ़ा क्या है ? इस श्रेणी के तहत निर्मित सभी युद्धपोतों पर संक्षिप्त चर्चा कीजिए