
इंडो-पैसिफिक रीजनल डायलॉग (IPRD) 2023
इंडो-पैसिफिक रीजनल डायलॉग (IPRD) 2023
प्रिलिम्स के लिए महत्वपूर्ण:
हिंद-प्रशांत क्षेत्रीय संवाद, गोवा मैरीटाइम कॉन्क्लेव 2023, नेशनल मैरीटाइम फाउंडेशन (NMF), भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारे (आईएमईसी), हिंद प्रशांत क्षेत्र, आसियान (ASEAN), क्वाड (QUAD) तथा हिंद महासागर रिम एसोसिएशन (IORA)।
मेन्स के लिए महत्वपूर्ण:
GS-2: हिंद-प्रशांत क्षेत्रीय संवाद का महत्त्व, हिंद-प्रशांत क्षेत्र का महत्त्व और चुनौतियां।
19 नवंबर, 2023
चर्चा में:
हाल ही में भारतीय नौसेना के वार्षिक शीर्ष-स्तरीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन ‘हिंद-प्रशांत क्षेत्रीय संवाद’ (IPRD) के 5 वें संस्करण का आयोजन संपन्न हुआ।
इंडो-पैसिफिक रीजनल डायलॉग (IPRD) 2023
- 15-17 नवंबर, 2023 के मध्य नई दिल्ली में आयोजित आईपीआरडी-2023 का विषय (Theme) “हिंद-प्रशांत समुद्री व्यापार और कनेक्टिविटी पर भू-राजनैतिक प्रभाव” था।
- IPRD-2023 का आयोजन भारतीय नौसेना द्वारा नेशनल मैरीटाइम फाउंडेशन (NMF) के सहयोग से किया गया।
- आईपीआरडी, गोवा मैरीटाइम कॉन्क्लेव 2023 के अनुसरण के तहत आयोजित हुआ।
गोवा मैरीटाइम कॉन्क्लेव:
- भारतीय नौसेना द्वारा गोवा मैरीटाइम कॉन्क्लेव 29 से 31 अक्टूबर 2023 के दौरान गोवा में आयोजित किया गया था।
- इस संवाद में 16 देशों के वक्ताओं ने निम्नलिखित विषयों पर चर्चा की:
- समुद्री कनेक्टिविटी
- हिंद-प्रशांत क्षेत्र में समुद्री कनेक्टिविटी पर चीन का प्रभाव
- नौवहन और व्यापार के माध्यम से समुद्री कनेक्टिविटी
- नौवहन और व्यापार के माध्यम से समुद्री कनेक्टिविटी
- इंडो-पैसिफिक समुद्री व्यापार और नौवहन की सुरक्षा और संरक्षा में निजी उद्योग
- नियम-आधारित, सुरक्षित और सुरक्षित इंडो-पैसिफिक बनाए रखना
महत्त्व:
राष्ट्रीय सुरक्षा:
- भारतीय नौसेना राष्ट्रीय सुरक्षा हितों के अनुरूप हिंद महासागर क्षेत्र में सभी गतिविधियों पर कड़ी नजर रख सकेगी।
- भारतीय उपराष्ट्रपति के अनुसार, हिंद प्रशांत क्षेत्र में सामुद्रिक व्यापार और कनेक्टिविटी को बेहतर बनाने के लिए 50 से अधिक युद्धपोत तैनाती की जाएगी।
- इन युद्धपोतों की तैनाती से अदन की खाड़ी से होने वाली समुद्री डकैती को रोकने और अरब सागर में चीन तथा पाकिस्तान के समुद्री अभ्यासों पर निगरानी रखने में मदद मिलेगी।
आर्थिक सुरक्षा और भू-राजनीतिक चुनौतियों से निपटने में मदद:
- इससे आगामी वर्षों में भू-राजनीतिक चुनौतियों से निपटने में मदद मिलेगी।
- वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के अनुसार, भारत द्वारा प्रस्तावित भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारे (आईएमईसी) से मौजूदा भू-राजनीतिक चुनौतियों से निपटना आसान होगा। जैसे-इजराइल और फिलिस्तीन संघर्ष।
आईएमईसी के बारे में
- यह एक मल्टीमॉडल आर्थिक गलियारा है जिसमें शिपिंग, रेलवे और रोडवेज, बिजली केबल, हाई-स्पीड डेटा केबल हाइड्रोजन पाइपलाइन आदि नेटवर्क शामिल हैं।
- आईएमईसी हिंद प्रशांत क्षेत्र में परिवहन दक्षता बढ़ाएगा, लॉजिस्टिक लागत कम करेगा, आर्थिक एकता बढ़ाएगा, रोजगार पैदा करेगा और साथ ही ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन भी कम करेगा।
- यह परियोजना भारत के जवाहरलाल नेहरू, मुंद्रा (गुजरात) और कांडला (गुजरात) बंदरगाहों को संयुक्त अरब अमीरात में फुजैराह, जेबेल अली और अबू धाबी और सऊदी अरब के दम्मम, रास अल खैर के बंदरगाहों इज़राइल का हाइफ़ा और सऊदी अरब के हराध और अल हदीथा शहर।
हिंद-प्रशांत क्षेत्रीय संवाद (IPRD)
बारे में:
- हिंद-प्रशांत क्षेत्रीय संवाद भारतीय नौसेना द्वारा सामुद्रिक रणनीतियों पर प्रतिवर्ष आयोजित होने वाला शीर्ष स्तरीय वैश्विक संवाद/सम्मेलन है।
- यह पहली बार वर्ष 2018 में आयोजित किया गया था।
- यह सम्मेलन मुख्य रूप से नेशनल मैरीटाइम फाउंडेशन (एनएमएफ) द्वारा आयोजित किया जाता है।
उद्देश्य:
- इस का उद्देश्य भारत-प्रशांत क्षेत्र में मौजूदा भू-राजनीतिक स्थिति की समीक्षा करना और साथ ही इस क्षेत्र से जुड़े विभिन्न अवसरों और चुनौतियों की पहचान करना है।
महत्त्व:
- यह सम्मेलन भारत की विदेश नीति, विशेष रूप से भारत-प्रशांत क्षेत्र के संबंध में नीति निर्माण महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
नेशनल मैरीटाइम फाउंडेशन (NMF) के बारे में:
- यह भारत का पहला समुद्री स्वायत्त थिंक टैंक है जो समुद्री क्षेत्र पर स्वतंत्र अनुसंधान करता है।
- इसकी स्थापना 2005 में हुई थी और यह नई दिल्ली में स्थित है।
- इस संगठन को विकास हेतु भारतीय नौसेना और केंद्रीय रक्षा मंत्रालय दोनों का समर्थन प्राप्त है।
- यह निकाय नीति निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
हिंद-प्रशांत क्षेत्र:
- हिंद-प्रशांत क्षेत्र एक नवीन भौगोलिक अवधारणा है जिसमें विश्व के सबसे अधिक आबादी वाले और आर्थिक रूप से सक्रिय चार महाद्वीप एशिया, अफ्रीका, ऑस्ट्रेलिया व अमेरिका शामिल हैं।
आर्थिक महत्त्व:
- भारत और प्रशांत क्षेत्र में वैश्विक जनसंख्या का 64% निवास करता है और यह क्षेत्र वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद में 62% का योगदान देता है।
- वैश्विक व्यापार का 50% और तेल का 40% हिंद-प्रशांत क्षेत्र से होकर गुजरता है।
- भारत का 90% व्यापार हिंद-प्रशांत क्षेत्र से होता है, जिसमें 80% महत्वपूर्ण माल ढुलाई (कोयला, पेट्रोलियम व गैस, लौह अयस्क, उर्वरक आदि) शामिल हैं।
सामरिक महत्त्व:
- भारत ने आसियान (ASEAN), क्वाड (QUAD) तथा हिंद महासागर रिम एसोसिएशन (IORA) जैसे कई क्षेत्रीय संगठनों के माध्यम से इस क्षेत्र में अपने सामरिक हितों की पूर्ति कर रहा है।
पर्यावरणीय और पारिस्थितिक महत्त्व:
हिंद-प्रशांत क्षेत्र, प्रवाल भित्तियों और समुद्री जैव विविधता सहित कई पारिस्थितिक तंत्रों का गढ़ है।
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मुख्य परीक्षा प्रश्न
हिंद-प्रशांत क्षेत्र में सुरक्षा, स्थिरता, शांति और समृद्धि को सुनिश्चित करने में हिंद-प्रशांत क्षेत्रीय संवाद की भूमिका एवं महत्त्व पर चर्चा कीजिए।