
संशोधित सिनेमैटोग्राफ एक्ट 1952 संसद में पारित
संशोधित सिनेमैटोग्राफ एक्ट 1952 संसद में पारित
मुख्य परीक्षा:सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2
(भारतीय राजव्यवस्था: संशोधित विधेयक)
30 अगस्त, 2023
संदर्भ:
- हाल ही में फिल्म निर्माण के क्षेत्र में फिल्म पाइरेसी पर रोक लगाने के उद्देश्य से सिनेमैटोग्राफ एक्ट 1952 को संसद में संशोधित किया गया है। सरकार द्वारा यह नया बिल फिल्म उद्योग के जानकारों के साथ परामर्श के बाद तैयार किया है। इस विधेयक में फिल्मों की अनधिकृत रिकार्डिंग (धारा 6एए) और उनके प्रदर्शन (धारा 6एबी) पर रोक लगाने के प्रावधानों के साथ सिनेमैटोग्राफ एक्ट में नई धाराएं जोड़ने का प्रस्ताव है। अब प्रश्न यह है कि इस संशोधन से क्या फिल्म पाइरेसी पर रोक लग सकेगी?
सिनेमैटोग्राफ एक्ट 1952 (संशोधित):
- विधेयक में पाइरेसी को दंडनीय अपराध बनाने का प्रावधान भी किया गया है।
- सिनेमैटोग्राफ एक्ट 1952 संशोधित विधेयक संसद से पारित हो गया।
- ये एक्ट सेंसरशिप के तरीके को बदलने के साथ-साथ फिल्म पाइरेसी पर रोक लगाता है।
- यह बिल फिल्म उद्योग के जानकारों के साथ परामर्श के बाद तैयार किया गया है।
- इस विधेयक में फिल्मों की अनधिकृत रिकार्डिंग (धारा 6एए) और उनके प्रदर्शन (धारा 6एबी) पर रोक लगाने के प्रावधानों के साथ सिनेमैटोग्राफ एक्ट में नई धाराएं जोड़ने का प्रस्ताव है।
- विधेयक में पाइरेसी को दंडनीय अपराध बनाने का प्रावधान भी किया गया है।
- इसमें दोषी पाए जाने पर तीन साल तक की कैद या 10 लाख रुपए तक का जुर्माना या दोनों हो सकते हैं।
- नए बिल में फिल्म सेंसरशिप को आसान बनाने के लिए कुछ बदलावों का भी सुझाव दिया गया है।
- नए बिल के बाद सेंसर बोर्ड का सर्टिफिकेट हमेशा के लिए मान्य होगा।
- वर्तमान में, किसी भी फिल्म को 10 साल के लिए सेंसर प्रमाण पत्र दिया जाता है।
- सेंट्रल बोर्ड आफ फिल्म सर्टिफिकेशन (सीबीएफसी) से अब टीवी सामग्री को लेकर भी प्रमाणपत्र लेना होगा।
- इस तरह फिल्म और प्रसारक बिना किसी कानूनी समस्या के अपने विषय को दर्शकों तक पहुंचा सकते हैं।
संशोधन के लाभ:
- फिल्म उद्योग के राजस्व में वृद्धि होगी।
- रोज़गार का सृजन होगा।
- भारत के राष्ट्रीय बौद्धिक संपदा अधिकार नीति (India’s National IP policy) के प्रमुख उद्देश्यों की पूर्ति होगी।
- पायरेसी तथा ऑनलाइन विषय-वस्तु के कॉपीराइट उल्लंघन के मामले में राहत मिलेगी।
सजा का प्रावधान-
- पाइरेसी करना भारत में गैर कानूनी है। पाइरेटेड फिल्में देखने, डाउनलोड करने और बांटने पर भी जेल और जुर्माने की सजा है।
- कॉपीराइट एक्ट का उल्लंघन करने पर बिना वारंट के पुलिस द्वारा आरोपी का मोबाइल, लैपटॉप या सिस्टम सीज किया जा सकता था।
- कॉपीराइट एक्ट 1957 सेक्शन 63 के तहत पाइरेसी करते पकड़े जाने पर 3 साल की जेल और 50000 से 3 लाख रुपए तक का जुर्माने का प्रावधान था।
- नए कानून के मुताबिक, अब फिल्म पाइरेसी करते पकड़े जाने पर तीन साल तक की जेल और फिल्म की लागत का पांच फीसद जुर्माना लगेगा।
- यानी अगर किसी फिल्म की लागत 100 करोड़ रुपए है तो उस फिल्म की पाइरेसी करते पकड़े जाने पर 5 करोड़ रुपए का जुर्माना लगाया जाएगा।
इन कारणों से भारत में बढ़ी पाइरेसी-
वीसीआर (वीडियो कैसेट), इंटरनेट, केबल टीवी, ओटीटी प्लेटफॉर्म, मैसेजिंग ऐप- टेलीग्राम
पाइरेसी से फिल्म उद्योग को नुकसान-
- भारत, दुनिया में पाइरेसी का तीसरा सबसे बड़ा बाजार है
- पाइरेसी से भारतीय फिल्म उद्योग को लगभग 24,000 करोड़ रुपए का नुकसान हो रहा है।
- ग्लोबली ऑनलाइन पाइरेसी से फिल्म इंडस्ट्री को 4.15 लाख करोड़ ( 52 बिलियन डॉलर) का नुकसान हुआ है।
2022 में ऑनलाइन पाइरेसी से सबसे ज्यादा घाटा उठाने वाले देश
- संयुक्त राज्य अमेरिका 92000 करोड़
- चाइना 78000 करोड़
- भारत 24000 करोड़
- ब्राजील 20000 करोड़
- मेक्सिको 12000 करोड़
तीन नई श्रेणी में प्रमाणपत्र
- इस बिल में कुछ नई श्रेणी जैसे ‘वअ 7+’, ‘वअ 13+’ और ‘वअ 16+’ को शामिल किया गया है।
- अब फिल्मों को वअ सर्टिफिकेशन के तहत 7 साल, 13 साल और 16 साल के दर्शकों के लिए अलग-अलग प्रमाणित किया जाएगा।
- इस आयु सीमा से कम उम्र के बच्चे माता-पिता के साथ ऐसी फिल्में देख सकते हैं।
- पहले केवल तीन श्रेणी में फिल्मों को बांटा जाता था। पहला ‘व’ यानी कि इसे सभी लोग देख सकते हैं। दूसरा ‘वअ’ यानी बच्चे अपने माता-पिता के साथ फिल्म देख सकते हैं।
- तीसरा है ‘अ’ यानी फिल्म को सिर्फ वही लोग देख सकते हैं, जिनकी उम्र 18 साल से ज्यादा है।
पहले सिर्फ तीन कैटेगरीज में फिल्मों को बांटा जाता था
- पहले तीन तरह से फिल्मों को सर्टिफाई किया जाता था। पहला था U जिसे यूनिवर्सल कहा जाता है। अगर किसी फिल्म को U सर्टिफिकेट मिलता है, तो इसका मतलब उसे किसी भी ऐज ग्रुप का व्यक्ति बिना किसी प्रतिबंध के देख सकता है।
- दूसरे नंबर पर आती हैं UA सर्टिफाइड फिल्म। अगर कोई बच्चा 18 साल से कम है तो वो पेरेंट के मार्गदर्शन में UA सर्टिफाइड फिल्म देख सकता है। तीसरे नंबर पर आती हैं A सर्टिफाइड वाली फिल्में। इन फिल्मों को सिर्फ वही लोग देख सकते हैं, जिनकी उम्र 18 साल से ज्यादा हो चुकी है।
फिल्म उद्योग में पाइरेसी के खिलाफ कार्रवाई करने हेतु केंद्र सरकार द्वारा समितियों का गठन
मुदगल समिति
- इस समिति का गठन 4 फरवरी, 2013 को चलचित्र अधिनियम, 1952 के तहत पूर्व मुख्य न्यायाधीश मुकुल मुदगल की अध्यक्षता में किया गया था।
- मुदगल समिति ने अपनी रिपोर्ट में अश्लीलता और सांप्रदायिक वैमनस्य, महिलाओं के चित्रण और सलाहकार मंडल जैसे मुद्दों के संबंध में दिशा-निर्देश, वर्गीकरण, फिल्मों की पायरेसी, अपीलीय पंचाट की न्याय सीमा तथा चलचित्र अधिनियम, 1952 के प्रावधानों की समीक्षा पर अपनी सिफारिशें प्रस्तुत की थीं।
श्याम बेनेगल समिति
- 1 जनवरी 2016 को गठित इस समिति की अध्यक्षता फिल्म निर्माता श्याम बेनेगल ने की थी।
- इस समिति की रिपोर्ट के अनुसार, सीबीएफसी को पूरी तरह से प्रमाणन संस्था के रूप में कार्य करना चाहिए और किसी भी फिल्म पर बदलाव नहीं थोपना चाहिए।
- सिनेमैटोग्राफ (संशोधन) विधेयक का पहला संस्करण, 2019 में तत्कालीन सूचना और प्रसारण राज्य मंत्री राज्यवर्धन सिंह राठौड़ द्वारा राज्यसभा में पेश किया गया था, जिसमें पाइरेसी के खिलाफ तीन साल तक की कैद या 10 लाख रुपए के जुर्माना अथवा दोनों के साथ दंडात्मक कार्रवाई का प्रस्ताव किया गया था।
निष्कर्ष:
- राष्ट्रपति से मंजूरी मिल जाने के बाद यह अगर ये कानून बन जाता है तो फिल्म पाइरेसी पर रोक लगेगी। इससे फिल्म उद्योग को होने वाला करोड़ों का नुकसान कम किया जा सकेगा।
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मुख्य परीक्षा प्रश्न
संशोधित सिनेमैटोग्राफ एक्ट 1952 के प्रमुख प्रावधान से होने वाले लाभों का उल्लेख कीजिए।