
भारत के मुख्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति हेतु नया विधेयक
भारत के मुख्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति हेतु नया विधेयक
मुख्य परीक्षा:सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2
(भारतीय राज व्यवस्था )
16 अगस्त,2023
चर्चा में क्यों:
- केंद्र सरकार ने हाल ही में राज्यसभा में एक विधेयक पेश किया है जिसका उद्देश्य देश के मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति की प्रक्रिया को संशोधित करना है।
चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्त (सेवा की नियुक्ति शर्तें और कार्यकाल) विधेयक, 2023
- इस विधेयक द्वारा प्रस्तावित उल्लेखनीय परिवर्तनों में से एक भारत के मुख्य न्यायाधीश को मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्तों की नियुक्तियों का निर्धारण करने वाली चयन समिति से हटाना है।
- यह विधेयक विधि एवं न्याय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल द्वारा राज्यसभा में पेश किया। यह विधेयक चुनाव आयुक्तों की सेवा की शर्तें और कार्य संचालन की शर्तें अधिनियम, 1991 को निरस्त करता है।
- इस विधेयक के अनुसार चयन समिति अपनी प्रक्रिया को पारदर्शी तरीके से रेगुलेट करेगी।
- मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्त का कार्यकाल 6 वर्ष या 65 वर्ष की आयु तक जो पहले पूरा हो, रहेगा। चुनाव आयुक्तों का वेतन कैबिनेट सचिव के समान होगा।
- मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्त दोबारा नियुक्ति के पात्र नहीं होंगे।
मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति हेतु पैनल:
- नए विधेयक में उल्लिखित प्रावधानों के अनुसार, मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति के लिए जिम्मेदार चयन पैनल में अब तीन सदस्य होंगे:
- प्रधानमंत्री: सरकार का मुखिया, कार्यकारी निर्णय लेने के लिए जिम्मेदार।
- लोकसभा में विपक्ष के नेता: संसद के निचले सदन में विपक्षी दलों का प्रतिनिधित्व करने वाला एक प्रमुख व्यक्ति।
- कैबिनेट मंत्री: सरकार के मंत्रिमंडल का एक सदस्य, जिसे विशिष्ट प्रशासनिक जिम्मेदारियाँ सौंपी जाती हैं।
वर्तमान में मुख्य निर्वाचन आयुक्त और निर्वाचन आयुक्त की नियुक्ति:
- वर्तमान में मुख्य निर्वाचन आयुक्त एवं निर्वाचन आयुक्त की नियुक्ति के लिए संविधान में कोई विशिष्ट विधायी प्रक्रिया परिभाषित नहीं है। संविधान के भाग XV (निर्वाचन) में केवल पाँच अनुच्छेद (324-329) हैं।
- संविधान का अनुच्छेद 324 के अनुसार, "चुनाव का अधीक्षण, निर्देशन और नियंत्रण चुनाव आयोग में निहित है जिसमें मुख्य निर्वाचन आयुक्त एवं समय-समय पर राष्ट्रपति द्वारा निर्धारित अन्य निर्वाचन आयुक्त शामिल होते हैं।
- मार्च 2023 के सर्वोच्च न्यायालय के फैसले से पूर्व मुख्य निर्वाचन आयुक्त और निर्वाचन आयुक्त की नियुक्ति सरकार की सिफारिश पर राष्ट्रपति द्वारा की जाती थी।
मुख्य चुनाव आयुक्त के बारे में:
भूमिका:
- मुख्य चुनाव आयुक्त चुनाव आयोग की सबसे उच्च पदस्थ अधिकारी होता है जिसकी प्रमुख जिम्मेदारियाँ निम्नलिखित होती हैं:
- निष्पक्षता की सुनिश्चिति: मुख्य चुनाव आयुक्त का प्रमुख कार्य चुनाव प्रक्रिया की निष्पक्षता और संवादात्मकता की सुनिश्चिति करना होता है। वह सभी पार्टियों और उम्मीदवारों के प्रति न्यायपूर्ण और समान व्यवहार सुनिश्चित करते हैं।
- चुनाव प्रक्रिया के निर्वहन: मुख्य चुनाव आयुक्त चुनाव प्रक्रिया के सभी पहलुओं की निगरानी करते हैं, जैसे कि मतदान की तिथियाँ तय करना, मतदाताओं की सूची का आयोजन, और मतगणना की प्रक्रिया।
- चुनावी उल्लंघनों का संवादात्मक नियंत्रण: मुख्य चुनाव आयुक्त चुनावी उल्लंघनों की संवादात्मक निगरानी करते हैं और उन्हें रोकने के उपायों का पता लगाते हैं।
- चुनाव प्रक्रिया में शीघ्रता: चुनाव प्रक्रिया को समय पर और शीघ्रता से संचालित करना भी मुख्य चुनाव आयुक्त की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी होती है।
- विभिन्न तकनीकी उन्नतियों का प्रोत्साहन: मुख्य चुनाव आयुक्त का काम चुनाव प्रक्रिया में तकनीकी उन्नतियों को प्रोत्साहित करना भी होता है, जिससे चुनाव प्रक्रिया में और भी सुविधाएँ जुटाई जा सकें।
आगे की राह:
- सरकार को चयन समिति की संरचना की समीक्षा करनी चाहिए और इसे और अधिक संतुलित बनाने पर विचार करना चाहिए। इसमें निष्पक्ष निर्णय लेने की प्रक्रिया सुनिश्चित करने हेतु विपक्ष को एक मजबूत प्रतिनिधित्व प्रदान करना शामिल हो सकता है।
- चयन प्रक्रिया की विश्वसनीयता में वृद्धि करने के लिये सरकार को स्वतंत्र विशेषज्ञों, न्यायविदों और नागरिक समाज के प्रतिनिधियों को खोज समिति में अथवा चयन समिति में पर्यवेक्षकों के रूप में शामिल किया जाना चाहिए।
- विधेयक को अंतिम रूप देने से पहले सरकार को विभिन्न दृष्टिकोणों पर विचार करने और यह सुनिश्चित करने के लिये विपक्षी दलों, कानूनी विशेषज्ञों और हितधारकों के साथ गहन परामर्श करना चाहिए, ताकि संबद्ध मुद्दे पर पर्याप्त विचार-विमर्श हो।
निष्कर्ष:
- मुख्य चुनाव आयुक्त भारतीय लोकतंत्र के मानवाधिकार और मौलिक स्वतंत्रता की रक्षा करने के रूप में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। उनका कार्य निष्पक्ष, संवादात्मक और नियमित चुनाव प्रक्रिया की सुनिश्चिति में सहायक होता है, जिससे देश की जनता न्यायपूर्ण और स्वतंत्र चुनाव में भाग ले सके।
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मुख्य परीक्षा प्रश्न
हालिया दिनों में संसद में प्रस्तुत चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्त (सेवा की नियुक्ति शर्तें और कार्यकाल) विधेयक, 2023 की समीक्षा कीजिए।