
भारत में कोयला उत्पादन पर जोर
भारत में कोयला उत्पादन पर जोर
चर्चा मे क्यों:
- हाल ही में, कोयला मंत्रालय ने वर्ष 2023-24 की अवधि में 1 अरब टन कोयले के उत्पादन का लक्ष्य निर्धारित किया है।
- जबकि वर्ष 2024-25 तक 1.23 अरब टन कोयला उत्पादन करने का लक्ष्य रखा है जिसमें कोल इंडिया लिमिटेड (CIL) और गैर-सीआईएल दोनों कोयला ब्लॉक शामिल हैं।
भारत में कोयला उत्पादन:
आंकड़े-
- भारत में कोयले का उत्पादन वर्ष 2019-20 में 73.08 करोड़ टन जबकि वर्ष 2020-21 71.60 करोड़ टन रहा है।
- भारत में लगभग 90 फीसदी से अधिक कोयले का उत्पादन कोल इंडिया लिमिटेड द्वारा ही किया जाता है।
- कोल इंडिया लिमिटेड में कुल 290 खानें परिचालन में हैं, जिनमें 97 कोयला खानों से प्रति वर्ष 1 मिलियन टन से अधिक का उत्पादन होता है।
- कोयला उत्पादन के लिए कुछ खदानें अन्य कंपनियों को भी दी गई हैं, इन्हें कैप्टिव माइन्स कहा जाता है।
- वर्ष 2021 में कोयला उत्पादक के शीर्ष पांच देश - चीन, भारत, इंडोनेशिया, संयुक्त राज्य अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया।
- भारत सरकार ने देश में विद्युत की निर्बाध आपूर्ति बनाए रखने के लिए कोयला उत्पादन के लिए ये लक्ष्य निर्धारित किए हैं।
- भारत में विद्युत आपूर्ति की जिम्मेदारी राज्य सरकारों की होती है। राज्य सरकारें विद्युत वितरण करने वाली कंपनियों से विद्युत खरीदती हैं और फिर ये विद्युत उपभोक्ताओं को दी जाती है। कई राज्यों में निजी कंपनियां भी विद्युत वितरण के कार्य मे संलग्न हैं।
भारत में कोयला भंडार:
- भारत सरकार के कोयला मंत्रालय के अनुसार, भारत के पास कुल 319 अरब टन का कोयले का भंडार मौजूद है।
- भारत दुनिया के उन पांच देशों में से एक है जहां कोयले के सबसे बड़े भंडार हैं।
- भारत में कोयले के सबसे बड़े भंडार झारखंड, ओडिशा, छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल, मध्य प्रदेश, तेलंगना और महाराष्ट्र में हैं।
- इसके अलावा आंध्र प्रदेश, बिहार, उत्तर प्रदेश, मेघालय, असम, सिक्किम, नगालैंड और अरुणाचल प्रदेश में भी कोयले के भंडार हैं।
कोयला उत्पादक राज्य- कोयला क्षेत्र
पश्चिम बंगाल - रानीगंज (भारत का सबसे पुराना कोयला क्षेत्र)
झारखंड- झरिया (भारत का सबसे बड़ा कोयला क्षेत्र), बोकारो, धनबाद, गिरिडीह, करणपुरा, रामगढ़, डाल्टनगंज
मध्य प्रदेश- सिंगरौली, सुहागपुर, जोहला, उमरिया, सतपुरा कोयलाफील्ड
ओडिशा- तालचेर, हिमगिरी, रामपुर
आंध्र प्रदेश- कंटापल्ली, सिंगरेनी
छत्तीसगढ़- कोरबा, बिसरमपुर, सोनहट, झिलमिल, हस्दो-अरंड
अरुणाचल प्रदेश- नामचुक-नामफुक
मेघालय- उमरलोंग, डारंगीगिरी, चेरपूंजी, मावलोंग, लैंग्रिन
असोम- मकुम, नजीरा, जानजी
कोयला:
- कोयला पेड़ों या वनस्पतियों के अवशेषों से बनता है। कोयले को फॉसिल फ्यूल या जीवाश्म ईंधन भी कहा जाता है। कोयले में मुख्य रूप से कार्बन मौजूद होता है।
- पेड़ों या वनस्पतियों के कोयले में परिवर्तन या रूपान्तरण को ‘’कार्बोनाइजेशन’’ कहा जाता है।
- कोयले को काला सोना भी कहा जाता है।
कोयले के प्रकार:
कार्बन की मात्रा के आधार पर कोयला चार प्रकार का होता है-
- पीट कोयला:- इसमें कार्बन की मात्रा 50% से 60% तक होती है। इसे जलाने पर अधिक राख एवं धुआं निकलता है। यह सबसे निम्न कोटि का कोयला है।
- लिग्नाइट कोयला:- कोयला इसमें कार्बन की मात्रा 65% से 70% तक होती है। इसका रंग भूरा होता है, इसमें जलवाष्प की मात्रा अधिक होती है।
- बिटुमिनस कोयला:- इसे मुलायम कोयला भी कहा जाता है। इसका उपयोग घरेलू कार्यों में होता है। इसमें कार्बन की मात्रा 70% से 85% तक होती है।
- एन्थ्रासाइट कोयला:- यह कोयले की सबसे उत्तम कोटि है। इसमें कार्बन की मात्रा 85% से भी अधिक रहती है।
निष्कर्ष:
- दुनिया के सबसे बड़े कोयला उत्पादक देशों में शामिल, भारत अपनी ईंधन आपूर्ति की बढ़ती मांग को पूरा करने और भविष्य की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए कोयला उत्पादन को बढ़ाने पर जोर दे रहा है।
- आशंका जाहिर की गई है कि यदि समय रहते देश में ऊर्जा उत्पादन पर ध्यान नहीं दिया गया, तो बड़े पैमाने पर विद्युत कटौती हो सकती है।
- केंद्र सरकार कोयले की सुव्यवस्थित निकासी के लिए पीएम-गति शक्ति पहल के तहत नई रेल लाइन शुरू करने के लिए भी कार्य कर रही है।
- कोयला आपूर्ति से संबंधित निर्माण परियोजनाओं को तेजी से पूरा करने के लिए भारत सरकार को विशेष टीमों का गठन करना चाहिए।
- कोयला किसी भी विकासशील देश की विकास यात्रा में विशेष भूमिका निभाता है।
- इसी के मद्देनजर अर्थव्यवस्था के विकास को रफ्तार देने के लिए केंद्र सरकार ने यह लक्ष्य तय किया है।
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