मानव विकास रिपोर्ट2022

मानव विकास रिपोर्ट2022

GS-3: मानव विकास रिपोर्ट

(यूपीएससी/राज्य पीएससी)

प्रिलिम्स के लिए महत्वपूर्ण:

मानव विकास सूचकांक-2022, लैंगिक असमानता सूचकांक (GII), जीवन प्रत्याशा।

मेन्स के लिए महत्वपूर्ण:

मानव विकास रिपोर्ट (HDR) 2022- प्रमुख विशेषताएं, भारत का प्रदर्शन, समग्र विश्लेषण।

15/03/2024

न्यूज़ में क्यों:

हाल ही में, संयुक्तराष्ट्र ने मानव विकास रिपोर्ट (HDR) 2022 जारी किया है जिसके आधार पर पिछले वर्ष की तुलना में भारत के मानव विकास में अपेक्षाकृत सुधार हुआ है।

मानव विकास रिपोर्ट(HDR) 2022

प्रमुख विशेषताएं:

  • यह मानव विकास रिपोर्ट (HDR) 'ब्रेकिंग द ग्रिडलॉक: रीइमेजिंग कोऑपरेशन इन ए पॉलराइज्ड वर्ल्ड' शीर्षक के साथ प्रकाशित की गयी है।
  • इसमें प्रति व्यक्ति सकल राष्ट्रीय आय, शिक्षा, और जीवन प्रत्याशा के आधार पर देशों का विश्लेषण किया गया है।
  • मानव विकास सूचकांक, 2021-22 की थीम: ‘‘अनिश्चित समय, अनसुलझा जीवन: परिवर्तन में एक दुनिया में हमारे भविष्य को आकार देन’' (Uncertain Times, Unsettled Lives: Shaping our Future in a World in Transformation)।

भारत का प्रदर्शन

मानव विकास सूचकांक (HDI):

  • संयुक्त राष्ट्र द्वारा जारी नवीनतम मानव विकास सूचकांक (HDI) में भारत को 193 देशों की सूची में 134वें पायदान पर रखा गया है।
  • वर्ष 2022 के आंकड़ों पर आधारित इस सूचकांक में भारत को कुल 0.644 अंक दिए गए हैं। यह सूचकांक भारत को मध्यम मानव विकास वाले देशों की श्रेणी में रखता है।
  • वहीं भारत का HDI मूल्य वर्ष 2021 में 0.633 था, जो विश्व औसत 0.732 से कम था। वर्ष 2021 में जारी मानव विकास सूचकांक में भारत 132वें पायदान पर था।
  • भारत के स्कोर में 2021 के मुकाबले 0.011 अंकों का सुधार आया है।

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जीवन प्रत्याशा:

  • वर्ष 2022 में जीवन प्रत्याशा 67.7 वर्ष दर्ज की गयी।
  • वर्ष 2021 में जन्म के समय भारत की जीवन प्रत्याशा 67.2 वर्ष दर्ज की गई थी।

स्कूली शिक्षा:

  • वर्ष 2022 में स्कूली शिक्षा के अपेक्षित वर्ष 12.6 तक पहुंच गए, जबकि स्कूली शिक्षा के औसत वर्ष बढ़कर 6.57 हो गए।
  • वर्ष 2021 में स्कूली शिक्षा के अपेक्षित वर्ष 11.9 वर्ष और स्कूली शिक्षा के औसत वर्ष 6.7 वर्ष दर्ज किए गए थे।

सकल राष्ट्रीय आय:

  • वर्ष 2022 में प्रति व्यक्ति सकल राष्ट्रीय आय 6,951 अमेरिकी डॉलर हो गई।
  • भारतीय करेंसी में यह राशि लगभग 5.75 लाख रुपये होती है।
  • वर्ष 2021 में प्रति व्यक्ति सकल राष्ट्रीय आय 6,590 अमेरिकी डॉलर थी।

लैंगिक असमानता सूचकांक(GII):

  • वर्ष 2022 में, भारत का लैंगिक असमानता सूचकांक (GII) 0.437 रहा, इस इंडेक्स में भारत ने प्रगति दर्ज की है। वर्ष 2022 में, भारत 108 वें स्थान पर था।
  • वर्ष 2021में लैंगिक असमानता सूचकांक में भारत 122वें स्थान पर था।
  • वैश्विक औसत 0.462 और दक्षिण एशियाई औसत 0.478 की तुलना में भारत का प्रदर्शन बेहतर रहा है।
  • उल्लेखनीय है कि इस इंडेक्स का कम मान इस बात का सूचक है कि महिलाओं और पुरुषों के बीच असमानता कम है

वैश्विक परिदृश्य:

उच्च मानव विकास सूचकांक वाले देश:

  • स्विटजरलैंड, नॉर्वे और आइसलैंड जैसे देश राष्ट्रीय स्तर पर मानव विकास सूचकों में सबसे आगे हैं।

निम्न मानव विकास सूचकांक वाले देश:

  • सेंट्रल अफ्रीकन रिपब्लिक, दक्षिण सूडान, सोमालिया, नाइजर, चाड, माली, बुरुंडी, यमन, बुर्किना फासो जैसे देश अभी भी बेहद पीछे हैं।

मानव विकास रिपोर्ट के बारे में:

  • यह रिपोर्ट वर्ष 1990 से यूएनडीपी(22 नवंबर 1965 में स्थापित, मुख्यालय-न्यूयॉर्क) द्वारा जारी की जाती है।
  • इस रिपोर्ट में मानव विकास दृष्टिकोण के माध्यम से विभिन्न विषयों का पता लगाया जाता है।
  • लक्ष्य: इसका लक्ष्य अवसरों, विकल्पों और स्वतंत्रता के विस्तार में योगदान करना है।

मानव विकास सूचकांक:

  • HDI एक समग्र सूचकांक है जो चार संकेतकों के माध्यम से सतत विकास लक्ष्य निर्धारण में विशेष मदद करता है:
  • जन्म के समय जीवन प्रत्याशा- सतत विकास लक्ष्य 3
  • स्कूली शिक्षा के अपेक्षित वर्ष- सतत विकास लक्ष्य 4.3
  • स्कूली शिक्षा के औसत वर्ष- सतत् विकास लक्ष्य 4.4
  • सकल राष्ट्रीय आय(GNI)- सतत विकास लक्ष्य 8.5

रिपोर्ट का समग्र विश्लेषण:

  • यह मानव विकास सूचकांक, मानव विकास के तीन प्रमुख आयामों स्वस्थ लंबा जीवन, शिक्षा तक पहुंच और जीवन गुणवत्ता को मापता है। इनकी गणना चार प्रमुख संकेतकों जीवन प्रत्याशा, औसत स्कूली शिक्षा, स्कूली शिक्षा के अपेक्षित वर्ष और प्रति व्यक्ति सकल राष्ट्रीय आय पर आधारित है।
  • 2019 की तुलना में भारत ने मानव विकास में उल्लेखनीय प्रगति दर्ज की है। जहां 1990 के बाद से देश में जन्म के समय जीवन प्रत्याशा में 9.1 वर्षों का इजाफा हुआ है। इसी तरह स्कूली शिक्षा के अपेक्षित वर्षों में 4.6 वर्ष की वृद्धि हुई है। इतना ही नहीं इस दौरान स्कूली शिक्षा के औसत वर्षों में भी 3.8 वर्ष की वृद्धि दर्ज की गई है।
  • गौरतलब है कि इससे पहले 2019 के लिए जारी मानव विकास सूचकांक (HDI) में भारत को 189 देशों की लिस्ट में 131वें स्थान पर रखा गया था। वहीं पिछले वर्ष भारत इस लिस्ट में 130वें पायदान पर था। कहीं न कहीं यह इस बात को भी दर्शाता है कि भारत इस सूची में लगातार नीचे आ रहा है।
  • आंकड़ों के अनुसार जहां वैश्विक स्तर पर 2022 में जन्म के समय जीवन प्रत्याशा 67.7 वर्ष दर्ज की गई थी। वहीं 2019 में यह आंकड़ा 70.9 वर्ष जबकि 2021 में 67.2 वर्ष दर्ज की गई थी। ऐसे में यदि 2019 से तुलना करें तो देश में औसत जीवन प्रत्याशा में 3.2 वर्षों की गिरावट आई है।
  • देखा जाए तो जीवन प्रत्याशा के मामले में जो रुझान वैश्विक स्तर पर सामने आए थे उन्हें भारत से जुड़े आंकड़ों में भी स्पष्ट तौर पर देखा जा सकता है। इसके लिए कहीं न कहीं कोरोना जिम्मेवार था, जिसने देश में जीवन प्रत्याशा पर गहरा आघात किया है।
  • आंकड़ों के मुताबिक देश में शिक्षा प्राप्ति के औसत वर्षों को देखें तो वो 2022 में 6.57 वर्ष दर्ज की गई थी। बता दें कि 2021 में यह आंकड़ा 6.7 वर्ष दर्ज किया गया था। हालांकि देश में स्कूली शिक्षा के अपेक्षित वर्षों में इजाफा दर्ज किया गया है जो 2021 में 11.9 वर्ष से बढ़कर 2022 में 12.6 वर्षों पर पहुंच गया।
  • इसी तरह देश में प्रति व्यक्ति सकल राष्ट्रीय आय से जुड़े आंकड़ों को देखें तो वो 6,951 डॉलर दर्ज की गई है। वहीं 2021 में यह 6,590 डॉलर दर्ज की गई थी। मतलब की इसमें पिछले वर्ष की तुलना में इजाफा दर्ज किया गया है। आंकड़ों के मुताबिक यदि 1990 से 2022 के बीच, भारत के मानव विकास सूचकांक के मूल्यों को देखें तो वो 0.434 से बढ़कर 0.644 पर पहुंच गया है। मतलब की इन तीन दशकों में इसमें 48.4 फीसदी का बदलाव आया है।

समृद्ध और वंचित समुदायों के बीच बढ़ रही असमानता की खाई

  • जहां 2020, 2021 में कोरोना महामारी के कारण मानव विकास की राह में बड़ी गिरावट दर्ज की गई थी, लेकिन 2023 में गाड़ी दोबारा पटरी पर लौट रही है। यही वजह है कि वैश्विक स्तर पर मानव विकास अपने रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया है, लेकिन साथ ही समृद्ध और वंचित समुदायों के बीच असमानता की खाई और गहरी हुई है।
  • एक तरफ जहां समृद्ध देशों में अभूतपूर्व विकास हुआ है, वहीं दुनिया के सबसे कमजोर देशों में से करीब आधे देश, विकास की राह में कोविड संकट से पहले के स्तर से भी नीचे चले गए हैं। बता दें कि 2020 या 2021 में अपने मानव विकास सूचकांक में गिरावट दर्ज करने वाले 35 सबसे कमजोर देशों में से 18 अभी 2019 के स्तर पर नहीं लौट पाए हैं। रिपोर्ट के अनुसार विकास की राह में मौजूद इस विषमता के चलते सबसे कमजोर देश पीछे छूट रहे हैं। इससे असमानताएं बढ़ रही हैं और राजनैतिक ध्रुवीकरण को बढ़ावा मिल रहा है।
  • कुल मिलकर देखें तो अफ्रीकी देशों में स्थिति सबसे ज्यादा खराब है।
  • वहीं यदि ओईसीडी के सभी 38 देशों की बात करें तो इन सभी ने 2023 में 2019 की तुलना में मानव विकास सूचकांक में बेहतर प्रदर्शन किया है। मानव विकास को सबसे अधिक हानि अफगानिस्तान व यूक्रेन में हुई है। अफगानिस्तान में ह्यूमन डेवलपमेंट इंडेक्स 10 वर्ष पहले के स्तर पर पहुंच गया है, जबकि यूक्रेन में यह 2004 के बाद से अपने सबसे निचले स्तर पर है।
  • वहीं सभी विकासशील क्षेत्र 2019 से पहले के मानव विकास सूचकांक के रुझानों के अनुसार अपनी सम्भावनाओं को पूरा नहीं कर पाए हैं, और भविष्य में भी उनकी विकास प्रक्रिया को झटका लगने का खतरा है।  
  • रिपोर्ट की मानें तो इसके लिए कोविड-19, यूक्रेन में जारी युद्ध और जलवायु परिवर्तन और पर्यावरण से जुड़े कारक जिम्मेवार हैं। इन सबने मिलकर लोगों के जीवन पर व्यापक असर डाला है, राजनैतिक, वित्तीय और जलवायु से जुड़े संकटों ने कोरोना की मार झेल रही आबादी को संभलने का मौका ही नहीं दिया।

स्रोत: डाउन टू अर्थ

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मुख्य परीक्षा प्रश्न:

मानव विकास रिपोर्ट 2022 को आलोचनात्मक विश्लेषण कीजिए