जैव विविधता के अस्तित्व पर संकट

 

जैव विविधता के अस्तित्व पर संकट

मुख्य परीक्षा सामान्य अध्ययन:3

(पर्यावरणसे संबंधित मुद्दे एवं चुनौतियां)

संदर्भ:

  • विश्व वन्यजीव कोष (डब्लू.डब्लू.एफ.) की हालिया रिपोर्ट के अनुसार,वन्यजीवों के अस्तित्व पर संकट बढ़ रहा है, दुनियाभर में जैव विविधता तेजी से घट रही है।

लिविंग प्लेनेट रिपोर्ट 2022:

प्रमुख बिंदु-

  • दुनिया भर में पिछले पचास वर्षों में वन्यजीवों की आबादी उनहत्तर फीसद कम हुई है।
  • इनमें स्तनधारी, पक्षी, उभयचर, सरीसृप, मछलियां आदि शामिल हैं।
  • इस रिपोर्ट के अनुसारवैसे तो पूरी दुनिया में वन्यजीवों की आबादी तेजी से घट रही है, लेकिन 1970 के बाद से लैटिन अमेरिका तथा कैरेबियाई क्षेत्रों में वन्यजीव आबादी में करीब 49 फीसद तक की गिरावट आई है, जबकि अफ्रीका में 66 और एशिया में 55 फीसद गिरावट हुई है।
  • शार्क तथा ‘रे’ मछलियों की संख्या में इकहत्तर फीसद कमी:
  • मछली पकड़ने में करीब अठारह गुना वृद्धि होने के कारण शार्क तथा ‘रे’ मछलियों की संख्या में इकहत्तर फीसद कमी हुई है, जबकि ताजा पानी में रहने वाली प्रजातियों में सर्वाधिक तिरासी फीसद की गिरावट दर्ज हुई है, जो किसी भी प्रजाति समूह की तुलना में सबसे बड़ी गिरावट है।
  • विश्वभर में दस लाख से अधिक प्रजातियों पर खतरा:
  • दुनियाभर में900 जैव प्रजातियां विलुप्त हो चुकी हैं और सैंतीस हजार से ज्यादा पर विलुप्त होने का संकट मंडरा रहा है। अगर जैव विविधता पर संकट इसी प्रकार मंडराता रहा, तो विश्वभर में दस लाख से अधिक प्रजातियां खतरे की श्रेणी में या विलुप्ति के कगार पर होंगी।
  • दुनिया के सबसे वजनदार पक्षी ‘एलिफेंट बर्ड’का अस्तित्व अब धरती से खत्म हो चुका है।
  • इसी प्रकार एशिया और यूरोपमें मिलने वाले रोएंदार गैंडे की प्रजातिभी अब इतिहास बन चुकी है।
  • समुद्र में सत्तर वर्ष तक का जीवन चक्र पूरा करने वाला डूगोंग प्रजातिका ‘स्टेलर समुद्री गाय’नामक जीव भी विलुप्त हो चुका है। अब कुछ खास प्रजाति के पौधों के अस्तित्व पर भी संकट मंडरा रहा है।
  • शोधकर्ताओंनेदुनियाभरके581 स्थानों से 538 प्रजातियों पर निरंतर दस वर्षों तक अध्ययन करने के बाद पाया कि अधिकांश स्थानों पर 538 प्रजातियों में से 44 फीसद प्रजातियां विलुप्त हो चुकी हैं। इस अध्ययन में विभिन्न मौसमी कारकों का अध्ययन करने के बाद शोधकर्ताओं का कहना है कि अगर गर्मी ऐसे ही बढ़ती रही तो 2070 तक दुनिया भर में कई प्रजातियां विलुप्त हो जाएंगी।

वर्ल्ड वाइल्ड लाइफ क्राइम रिपोर्ट-2020:

  • ‘वर्ल्ड वाइल्ड लाइफ क्राइम रिपोर्ट 2020’ के अनुसारवन्यजीवों की तस्करी दुनिया के पारिस्थितिकी तंत्र के लिए सबसे बड़ा खतरा है।
  • इस रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया भर में सर्वाधिक तस्करी स्तनधारी जीवों की होती है, उसके बाद रेंगने वाले जीवों की 21.3, पक्षियों की 8.5 तथा पेड़-पौधों की 14.3 फीसद तस्करी होती है।
  • समुद्री प्रजातियों पर मानव प्रभावों का मूल्यांकन करने वाले एक शोध में पता चला है कि मानवीयगतिविधियों के कारण करीब 57 फीसद समुद्री प्रजातियां विलुप्ति के कगार पर हैं।
  • आइयूसीएन की ‘लाल सूची’ की 1271 खतरे वाली समुद्री प्रजातियों के आंकड़ों के आधार पर शोधकर्ताओं ने 2003 से 2013 तक मानवीय गतिविधियों के कारण खतरे में आई प्रजातियों के आकलन के जरिए यह निष्कर्ष निकाला।

आइयूसीएनरिपोर्ट-2021:

  • आइयूसीएन (इंटरनेशनलयूनियनफारकन्जर्वेशनआफनेचर) कीवर्ष2021 की रिपोर्ट के अनुसार दुनिया भर में वन्यजीवों तथा वनस्पतियों की हजारों प्रजातियां संकट में हैं और आने वाले समय में इनके धरती से गायब होने की संख्या में अप्रत्याशित वृद्धि हो सकती है।
  • आइयूसीएननेविश्वभरमेंकरीब1.35 लाख प्रजातियों का आकलन करने के बाद इनमें से 37,400 प्रजातियों को विलुप्ति के कगार पर मानकर ‘लाल सूची’ में शामिल किया था।
  • एक अन्य शोध के मुताबिक 97 फीसद धरती की पारिस्थितिकी सेहत बेहद खराब हो चुकी है और मानवीय हस्तक्षेप से दूर रहने के कारण तथा वहां के स्थानीय जनजातीय लोगों की भूमिका से केवल तीन फीसद हिस्सा पारिस्थितिकी रूप से सुरक्षित रह गया है।

फ्रंटियर्स इनफारेस्ट एंड ग्लोबल चेंज:

  • ‘फ्रंटियर्स इन फारेस्ट एंड ग्लोबल चेंज’ नामक एक पर्यावरण विज्ञान जर्नल में प्रकाशित अध्ययन में शोधकर्ताओं का कहना है कि मानवीय हस्तक्षेप के कारण पृथ्वी के जैव विविधता वाले क्षेत्रों में इतनी तबाही मच चुकी है कि धरती का केवल तीन फीसद हिस्सा इससे पूरी तरह बचा रह पाया है।

स्मिथसोनियनएनवायरनमेंटलरिसर्चसेंटर:

  • ब्रिटेन स्थित स्मिथसोनियन एनवायरनमेंटल रिसर्च सेंटर के शोधकर्ता किंबली कोमात्सू के मुताबिक विश्व के केवल 2.7 फीसद हिस्से में अप्रभावित जैव विविधता बची है, जो बिल्कुल वैसी ही है, जैसी पांच सौ वर्ष पूर्व हुआ करती थी।

प्रमुख उत्तरदायी कारण:

  • डब्लूडब्लूएफ की इस रिपोर्ट में बताया गया है कि वनों की कटाई, आक्रामक नस्लों का उभार, प्रदूषण, जलवायु संकट तथा विभिन्न बीमारियां इसका मुख्य कारण हैं।
  • बड़े पैमाने पर प्राकृतिक संसाधनों कादोहन, उद्योगीकीकरण, शहरीकरण, शिकार, वृक्षों की कटाई आदि कार्यों से वातावरणमें बड़े बदलाव हो रहे हैं।
  • प्रदूषिण वातावरण और प्रकृति के बदलते मिजाज के कारणदुनिया भर में जीव-जंतुओं तथा वनस्पतियों की अनेक प्रजातियों के अस्तित्व पर संकट मंडरा रहा है।
  • सरकारों की अनदेखी-
  • शोधकर्ताओं के अनुसार अप्रभावित जैव विविधता वाला क्षेत्र जिन-जिन देशों की सीमाओं के अंतर्गत आता है, उनमें से केवल ग्यारह फीसद क्षेत्र को संरक्षित क्षेत्र घोषित किया गया है और संबंधित सरकारें इस ओर ध्यान नहीं दे रही हैं। अप्रभावित जैव विविधता वाले क्षेत्रों में से अधिकांश उत्तरी गोलार्ध में हैं, जहां मानव उपस्थिति कम रही है, लेकिन अन्य क्षेत्रों के मुकाबले ये जैव विविधता से समृद्ध नहीं थे।
  • मानव शिकार और बीमारियाँ
  • धरती पर वन्यजीवों के अस्तित्व पर मंडराते संकट को लेकर शोधकर्ताओं का कहना है कि अधिकांश प्रजातियां मानव शिकार के कारण लुप्त हुई हैं, जबकि कुछ अन्य कारणों में दूसरे जानवरों का हमला तथा बीमारियां शामिल हैं।
  • जलवायु परिवर्तन:
  • जलवायु परिवर्तन के कारण हाल के समय में विलुप्त हुई प्रजातियों, उनके इधर-उधर जाने तथा पृथ्वी पर वर्तमान में मौजूद विभिन्न प्रजातियों के आंकड़ों का विश्लेषण करने के बाद अमेरिका की यूनिवर्सिटी आफ एरिजोना के शोधकर्ताओं ने अनुमान लगाया है कि अगले पचास वर्षों में पौधों तथा जानवरों की एक तिहाई प्रजातियां विलुप्त हो जाएंगी।
  • शोधकर्ताओं का मानना है कि समुद्री जैव विविधता पर लोगों का प्रभाव बढ़ रहा है और मछली पकड़ने का दबाव, भूमि तथा महासागर में अम्लीकरण का बढ़ना आदि ऐसे कारण हैं, जिनसे समुद्री जीवों पर विलुप्ति का संकट मंडरा रहा है।
  • पर्यावरण वैज्ञानिकों का कहना है कि जंगलों में अतिक्रमण, कटान, बढ़ते प्रदूषण तथा पर्यटन के नाम पर गैरजरूरी गतिविधियों के कारण पूरी दुनिया में जैव विविधता पर संकट मंडरा रहा है।

विश्व वन्यजीव कोष के बारे में:

  • डब्लू.डब्लू.एफ.का गठन वर्ष 29 अप्रैल,1961 में हुआ था।
  • यह मुख्य रूप से पर्यावरण के संरक्षण, अनुसंधान औररख-रखाव संबंधी विषयों पर कार्य करता है।
  • इसका मुख्यालय ग्लैंड (स्विट्ज़रलैंड) में है।
  • इसकीसहायक कंपनियां डब्ल्यूडब्ल्यूएफ हांगकांग, अंतर्राष्ट्रीय गोरिल्ला संरक्षण कार्यक्रम औरविश्व वन्यजीव कोष, इंक हैं।
  • इसका उद्देश्य पृथ्वी पर पर्यावरण के संकटको रोकना और एक ऐसे भविष्य का निर्माण करना है जिसमें मनुष्य प्रकृति के साथ सामंजस्य स्थापित कर सके।
  • यह निम्नलिखित रिपोर्ट प्रकाशित करता है:
  • लिविंग प्लैनेट रिपोर्ट(हर दो साल में प्रकाशित)
  • लिविंग प्लैनेट इंडेक्स
  • इकोलॉजिकल फुटप्रिंट कैलकुलेशन

जैव विविधता को समृद्ध बनाने हेतु उपाय:

  • बड़े पैमाने पर सरकारों द्वारा वैश्विक हॉटस्पॉट्स में संरक्षण क्षेत्रों को स्थापित करना चाहिए।
  • दुर्लभ प्रजातियों की उपस्थिति के लिए छोटे-छोटेद्वीपों को संरक्षित किया जाना चाहिए।
  • वन्यजीवों के निवास करने और स्वतंत्र रूप से विचरण करने के लिए दुनियाभर की कम से कम 40% भूमि परइन संरक्षण क्षेत्रों को विस्तारित किया जाना चाहिए। 
  • विलुप्त होने वाली प्रजातियों के आवासों की पुनर्बहाली और संरक्षण के प्रयासों को प्रोत्साहितकरने की आवश्यकता है।
  • सर्वोत्तम साधनों का उपयोग करकेकम से कम कृषि भूमि पर अधिक उत्पादन करने का प्रयास किया जाना चाहिए।
  • परिवहन और खाद्य प्रसंस्करण के दौरान उत्पन्न होने वाले अपशिष्ट की मात्रा को कम करके वातावरण को शुद्ध करना चाहिए।
  • ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन को कम करने के लिये नीतिगत उपायों को अपनाया जाना चाहिए। 

निष्कर्ष:

  • डब्लूडब्लूएफ के महानिदेशक मार्कालैंबर्टिनी के अनुसार, हम मानव-प्रेरित जलवायु संकट और जैव विविधता के नुकसान की दोहरी आपात स्थिति का सामना कर रहे हैं, जो वर्तमान और भविष्य की पीढ़ियों के लिए खतरा साबित हो सकती है।
  • यह पर्यावरण संतुलन बिगड़ने का साफ संकेत है और अगर इसमें सुधार के शीघ्र ठोस कदम नहीं उठाए गए तो आने वाले समय में बड़ा नुकसान उठाना पड़ सकता है। वैज्ञानिकों का मानना है कि जैव विविधता के क्षरण का सीधा असर भविष्य में पैदावार, खाद्य उत्पादन आदि पर पड़ेगा, जिससे पूरा पारिस्थितिकी तंत्र बुरी तरह से प्रभावित होगा।
  • वनस्पतियां तथा जीव-जंतुओं की तमाम प्रजातियां मिलकर ही आवश्यक पारिस्थितिकी तंत्र प्रदान करते हैं और वन्य जीव चूंकि हमारे मित्र भी हैं, इसलिए उनका संरक्षण किया जाना बेहद जरूरी है।
  • हालांकि,कुछ सैटेलाइट तस्वीरों के आधार पर शोधकर्ताओं का मानना है कि धरती के ऐसे 20 फीसद हिस्से की जैव विविधता को बचाया जा सकता है, जहां अभी पांच या उससे कम बड़े जानवर ही गायब हुए हैं, लेकिन इसके लिए मानव प्रभाव से अछूते क्षेत्रों में कुछ प्रजातियों की बसावट बढ़ानी होगी, जिससे पारिस्थितिक तंत्र को लाभ होगा।

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मुख्य परीक्षा प्रश्न:

जैव विविधता के अस्तित्व पर संकट आने प्रमुख कारणों को लिखिए।जैव विविधता कोसमृद्ध बनाने के उपाय लिखिए।