मनरेगा योजना का सामाजिक लेखा परीक्षण

मनरेगा योजना का सामाजिक लेखा परीक्षण

प्रिलिम्स के लिए महत्वपूर्ण:

महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी अधिनियम, केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय, सामाजिक लेखा परीक्षण तंत्र, मनरेगा और सतत् विकास लक्ष्य, क्रय शक्ति।

मेन्स के लिए महत्वपूर्ण:

मनरेगा के तहत सामाजिक लेखा परीक्षा तंत्र और संबंधित चुनौतियां, सामाजिक लेखा परीक्षण से संबंधित अद्यतन आँकड़े, सामाजिक लेखा परीक्षण और वित्तीय लेखा परीक्षण में अंतर।

24 नवंबर, 2023

ख़बरों में क्यों:

34 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में से केवल छह ने 50% से अधिक ग्राम पंचायतों में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (MGNREGS) के तहत किए गए कार्यों का सामाजिक लेखा परीक्षण (social audit) पूरा किया है।

  • ये आंकड़े 10 नवंबर,2023 तक केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय (MoRD) द्वारा बनाए गए सोशल ऑडिट पर प्रबंधन सूचना प्रणाली (MIS) से प्राप्त किए गए हैं।

MGNREGS के तहत राज्यों का निष्पादन:

  • केरल 100% ग्राम पंचायतों को सामाजिक लेखा परीक्षण (social audit) के तहत कवर करने वाला एकमात्र राज्य है।
  • केरल के अलावा, 50% का आंकड़ा पार करने वाले राज्य हैं: बिहार (64.4), गुजरात (58.8%), जम्मू और कश्मीर 64.1%, ओडिशा (60.42%) और उत्तर प्रदेश (54.97%)
  • केवल तीन राज्यों ने 40% या अधिक गांवों को कवर किया है - तेलंगाना (40.5%), हिमाचल प्रदेश (45.32%) और आंध्र प्रदेश (49.7%)
  • तेलंगाना के अलावा, चुनाव वाले राज्यों में संख्या वास्तव में कम है- मध्य प्रदेश (1.73%), मिजोरम (17.5%), छत्तीसगढ़ (25.06), और राजस्थान (34.74%)

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सामाजिक लेखा परीक्षण से संबंधित अद्यतन आँकड़े:

  • वर्तमान वित्तीय वर्ष (2023-24) में मनरेगा के सामाजिक लेखा परीक्षा के परिणामों में इस योजना के तहत ₹27.5 करोड़ की राशि की हेराफेरी की जानकारी दी गई है।
  • सुधारात्मक कार्रवाई करने के बाद यह राशि घटकर ₹9.5 करोड़ हो गई लेकिन अभी तक इसका केवल ₹1.31 करोड़ (कुल का राशि का 13.8%) ही रिकवर किया जा सका है।
  • पिछले वित्तीय वर्षों में रिकवरी की दरों में रिकवरी संबंधी अक्षमता की समान प्रवृत्ति थी:
  • वित्तीय वर्ष 2022-23 में रिकवरी योग्य राशि ₹86.2 करोड़ थी, लेकिन केवल ₹18 करोड़ (कुल राशि का 20.8%) ही रिकवर की गई।
  • वित्तीय वर्ष 2021-22 में, ₹171 करोड़ का लक्ष्य रखा गया था, फिर भी मात्र ₹26 करोड़ (कुल राशि का 15%) की रिकवर की जा सकी।

मनरेगा योजना के बारे में:

  • वर्ष 2005 में, यह योजना केन्द्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा  शुरू की गयी थी।
  • वर्तमान में यह विश्व के सबसे बड़े रोज़गार गारंटी कार्यक्रमों में से एक है।
  • यह योजना वैधानिक न्यूनतम वेतन पर सार्वजनिक कार्य से संबंधित अकुशल शारीरिक कार्य करने के इच्छुक किसी भी ग्रामीण परिवार के वयस्क सदस्यों को प्रत्येक वित्तीय वर्ष में 100 दिनों के रोज़गार की कानूनी गारंटी प्रदान करती है।
  • 2023-24 की अवधि में इस योजना के अंतर्गत 14.32 करोड़ कर्मचारी सक्रिय रहे हैं।

उद्देश्य: 

  • ग्रामीण भारत में गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले व्यक्तियों को अर्ध या अकुशल कार्य प्रदान कर ग्रामीण लोगों की क्रय शक्ति में सुधार करना।
  • देश में अमीर और निर्धन के बीच के अंतर को कम करना।

प्रमुख विशेषताएं:

  • इस योजना में कानूनन गारंटी के तौर पर प्रत्येक ग्रामीण वयस्क को अपनी आजीविका हेतु कार्य पाने का अधिकार है और उसे 15 दिनों के अंतर्गत रोज़गार मिलना चाहिए।
  • यदि यह प्रतिबद्धता पूरी नहीं होती है, तो "बेरोज़गारी भत्ता" देने का प्रावधान है।
  • इस योजना में कम से कम एक-तिहाई महिलाओं को प्राथमिकता के तौर पर रोजगार देने का प्रावधान है।
  • मनरेगा की धारा 17 के तहत निष्पादित सभी कार्यों का सामाजिक लेखा-परीक्षण करवाना अनिवार्य है।
  • इस योजना से संबंधित सभी कार्यों की निगरानी केन्द्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय (MoRD) और देश की  राज्य सरकारों द्वारा की जा रही है।

सामाजिक लेखा परीक्षण तंत्र के बारे में:

  • सामाजिक लेखा परीक्षण जनता की सक्रिय भागीदारी के साथ आयोजित एक कार्यक्रम है जो कार्यों वास्तविक स्थिति की आधिकारिक रिकॉर्ड के साथ तुलना, जाँच और मूल्यांकन करता है।
  • यह सामाजिक परिवर्तन, सामुदायिक भागीदारी और सरकारी जवाबदेही के लिये एक शक्तिशाली उपकरण है।

सामाजिक लेखा परीक्षण और वित्तीय लेखा परीक्षण में अंतर:

  • यह वित्तीय लेखा परीक्षण से भिन्न होता है। वित्तीय ऑडिट में किसी संगठन के आय एवं व्यय संबंधी रिकॉर्ड की जाँच की जाती है, जबकि सामाजिक ऑडिट में हितधारकों को शामिल करके अपने सामाजिक लक्ष्यों को प्राप्त करने में कार्यक्रम की प्रभावशीलता का मूल्यांकन किया जाता है।

MGNREGA के तहत सामाजिक लेखापरीक्षा तंत्र:

प्रावधान:

  • MGNREGS की धारा 17 के अनुसार, ग्राम पंचायत के सभी बुनियादी कार्यों के निष्पादन की निगरानी का उत्तरदायित्व ग्राम सभाओं का है। 
  • इस योजना से संबंधित सभी लेखा परीक्षण प्रावधानों को MGNREGS लेखा परीक्षण नियम, 2011 के नाम से जाना जाता है इन प्रावधानों को भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (CAG) के सहयोग से ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा विकसित किया गया था।

संबंधित चुनौतियां:

  • इकाइयाँ के पास फंड का अभाव: सामाजिक लेखापरीक्षा इकाइयाँ अपर्याप्त वित्तपोषण से जूझ रही हैं, जिससे उनकी प्रभावी ढंग से कार्य करने की क्षमता बाधित हो रही है।
  • केंद्र सरकार राज्यों से उनकी स्वतंत्रता सुनिश्चित करने के लिए सामाजिक लेखा परीक्षा इकाइयों को धन प्रदान करती है।
  • बिहार और कर्नाटक राज्यों की परीक्षण इकाइयों की वित्तीय स्थिति चिंताजनक रही है।
  • प्रशिक्षण की कमी: अपर्याप्त प्रशिक्षण और संसाधनों की कमी दोनों ही निष्पादन की प्रभावशीलता पर बाधा डालते हैं।
  • कार्मिकों का अभाव: कार्मिकों की कमी से सामाजिक लेखापरीक्षा इकाइयों के निष्पादन में विलंब और जटिलता उत्पन्न हो जाती है।
  • कम रिकवरी दर: गुजरात, गोवा, मेघालय, पुडुचेरी व लद्दाख सहित कई राज्यों ने पिछले तीन वर्षों में लगातार शून्य रिकवरी रही है। तेलंगाना जैसे राज्य, सक्रिय सामाजिक लेखा परीक्षा इकाइयाँ होने के बावजूद, कम वसूली दर से जूझ रहे हैं। इससे इन क्षेत्रों में निगरानी की प्रभावशीलता पर सवाल खड़े होते हैं।

आगे की राह:

  • सामाजिक लेखा परीक्षा प्रक्रिया के मूल्यांकन और पुन: डिज़ाइन में लाभार्थियों, नागरिक समाज संगठनों, सरकारी अधिकारियों एवं लेखा परीक्षकों सहित सभी हितधारकों को शामिल किया जाना चाहिए।
  • सामाजिक लेखा परीक्षा हेतु ज़िम्मेदार लेखा परीक्षकों के लिये प्रशिक्षण और क्षमता-निर्माण कार्यक्रमों में निवेश किया जाना चाहिए।
  • MGNREGA परियोजनाओं में अनियमितताओं या भ्रष्टाचार की रिपोर्ट करने वाले मुखबिरों की सुरक्षा के लिए एक सुदृढ़ तंत्र स्थापित करने की आवश्यकता है।
  • सोशल ऑडिट में स्थानीय समुदायों की सक्रिय भागीदारी को बढ़ावा दिया जाना चाहिए। उन्हें परियोजना की प्रगति और निधि उपयोग की निगरानी तथा रिपोर्ट करने के लिये सशक्त बनाना आवश्यक है।
  • सोशल ऑडिट से जुड़ी समस्याओं के त्वरित समाधान के लिये ग्राम स्तर पर शिकायत निवारण समितियाँ स्थापित करने की भी आवश्यकता है।
  • प्रणाली से संबंधित जटिल मुद्दों की पहचान करना और इसमें निरंतर सुधार की दिशा में कार्य करनने की आवश्यकता है।
  • एक फीडबैक लूप स्थापित किया जाना चाहिए ताकि लेखा परीक्षा निष्कर्षों का उपयोग MGNREGA कार्यक्रम को बेहतर बनाने के लिए किया जा सके।

स्रोत: द हिंदू

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मुख्य परीक्षा प्रश्न

मनरेगा के सामाजिक लेखा परीक्षण से संबंधित चुनौतियों का उल्लेख करते हुए उपयुक्त समाधान पर चर्चा कीजिए